जैविक खेती (Organic Farming) पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। इसमें रासायनिक उर्वरकों और रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता है। जैविक खेती मे जैव पदार्थों को सङा-गलाकर के तैयार की गई ऐसी खाद जिसमे की सूक्ष्म जीवों की संख्या एवं पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रर्याप्त मात्रा मे होती है ऐसे खादों को प्रयोग करके जैविक खेती करते हैं। किसान मृदा में पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए कम्पोस्ट खाद, गोबर की खाद, हरी खाद, मुर्गी का खाद, जैव उर्वरक और वर्मी कम्पोस्ट खाद का प्रयोग करते हैं। कीटनाशक के तौर पर किसान नीमास्त्र, ब्रम्हास्त्र, अग्नि-अस्त्र आदि का उपयोग करते हैं।
खेत की उर्वरा शक्ति मे गिरावट के साथ मानव स्वास्थ्य पर रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के उपयोग से गहरा प्रभाव पङा है। खेती मे कृषि रसायनों का अंधाधुन उपयोग करने से मानव के साथ ही मृदा की सेहत को भी प्रभावित किया है। इससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। इनके अधिक उपयोग से भूमि में जीवांश कार्बन की कमी भी आ गई है, साथ ही कृषि उत्पादों में गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। खेती का रसायनों पर आधारित होने से खेती लागातर महंगी होती जा रही है एवं इसका वातावरण पर भी बुरा प्रभाव पङ रहा है जिससे कि हमारा जल विषाक्त एवं वातावरण प्रदूषित हो रहा हैं।
सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना को वर्ष 2015 में प्रारंभ किया। जिसका मुख्य उदेश्य जैविक खेती (ऑर्गेनिक खेती) को बढ़ावा देना हैं. तथा इसके साथ ही इस योजना के माध्यम से सरकार जैविक उत्पादों के सर्टिफिकेशन (प्रमाणीकरण) और मार्केटिंग को प्रोत्साहित करने की कार्य करती है।
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जैविक खेती क्या हैं (Organic Farming Kya hai)
जैविक खेती (Jaivik Kheti) कृषि की वह पद्धति है जिसमे रासायनिक उर्वरकों, खरपतवारनाशीयों, कीटनाशकों आदि का प्रयोग नहीं करते है बल्कि उसके स्थान पर जीवांश खाद जैसे कि गोबर की खाद, हरी खाद, जैव उर्वरक और वर्मी कम्पोस्ट आदि का प्रयोग करते हैं। जिससे न केवल भूमि की उर्वरा शक्ति लंबे समय तक बनी रहती हैं, बल्कि हमारी वातावरण भी प्रदूषित नहीं होता हैं साथ ही खेती के लागत मे भी कमी आती हैं। यह प्रकृति के साथ सामंजस्य बना के चलती है ना की उसके विरुद्ध।
वर्तमान समय मे जैविक खेती से प्राप्त उपज की मांग बहुत अच्छी है बाजार मे इसकी मांग अच्छी खासी देखने को मिलती है। इसकी कीमत भी रासायनिक उपज की तुलना मे ज्यादा होती हैं। कई किसान ऐसे भी है जो जैविक खेती करके अच्छे पैसे कमा रहे है। क्योंकि जैविक खेती मे लागत कम लगती है और इसकी उपज का कीमत काफी अच्छा मिलता है। किसान रासायनिक खेती को छोङ जैविक खेती करके अच्छे मुनाफे कमा सकते हैं। सरकार की तरफ से भी जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के योजनायें चलाए जा रहे है।
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जैविक खेती कैसे शुरू करें (Jaivik Kheti Kaise Karen)
जैविक खेती शुरू करने से पहले किसानों के पास पर्याप्त मात्रा मे जैविक खाद की उपलब्धता होनी चाहिए। यदि किसानों के पास जैविक खाद की उपलब्धता नहीं है तो किसान जैविक खाद आसानी से घर पर बना सकते है। किसान जैविक खाद के रूप मे वर्मी कम्पोस्ट, गोबर की खाद, जैव उर्वरक, मुर्गी का खाद आदि का उपयोग कर सकते है।
जैविक खेती (jaivik kheti) शुरू करने से पहले किसानों को खेत की मिट्टी की जाँच करा लेनी चाहिए। मिट्टी की जाँच किसान मिट्टी जाँच केंद्र से आसानी से करा सकते हैं। मिट्टी की जाँच के लिए सरकार के द्वारा मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना चलाई जा रही हैं जिसका मुख्य उदेश्य किसानों की मिट्टी की जाँच कर एक रिपोर्ट तैयार करना और उसी अनुसार मिट्टी की उर्वरकता बढ़ाने हेतु सही खाद उचित मात्रा में इस्तेमाल कराना है।
जैविक खेती मे कीटों के रोकथाम के लिए प्राकृतिक कीट रोधी जैसे नीमास्त्र, ब्रम्हास्त्र, अग्नि-अस्त्र आदि का उपयोग करते हैं। नीमास्त्र रस चुसने वाले कीङे, छोटी सूँडी/इलियाँ के लिए उपयोगी हैं। वही अग्नि-अस्त्र का उपयोग रस चूसने वाले कीङे, छोटी सूँडी/इलियाँ, पत्ती हॉपर एवं फली छेदक आदि कीटों को नियंत्रित करने के लिए उपयोगी हैं। साथ ही ब्रम्हास्त्र का उपयोग बङी सुडियों/इल्लियों के नियंत्रण के लिए किया जाता हैं।
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जैविक खेती क्यों जरूरी (Why organic farming is necessary)
अधिक उपज के चक्कर मे खेती मे कृषि रसायनों का अंधाधुन उपयोग करने की वजह से दिन प्रति दिन मिट्टी की उपजाऊ क्षमता पर असर पड़ रहा है जो की पर्यावरण के साथ-साथ मनुष्य में भी कई प्रकार के बीमारियों को दावत दे रही है। खेती का रसायनों पर आधारित होने से खेती लागातर महंगी होती जा रही है दिन प्रतिदिन खेती की लागत मे वृद्धि हो रही है जिससे किसानों की आय पर प्रभाव पर रहा है।
जैविक खेती इसलिए भी जरूरी है कि इससे खेत की उर्वरा शक्ति बनी रहती है साथ ही यह महंगे रासायनिक उर्वरकों, खरपतवारनाशी और कीटनाशकों से छुटकारा दिलाता है। खेती का यही एकमात्र टिकाऊ और सस्ता उपाय हैं। हमारे देश मे ज्यादातर छोटे जोत के किसान हैं उन्हे अपने संसाधन सस्ते, कम खर्चे और आसानी से जुटाने के लिए भी जैविक खेती एक अच्छा और आसान विकल्प हैं। जैविक खेती (Jaivik Kheti) मे हम खेतो से एवं उनके आस पास के संसाधनों से खेतो के लिए जैविक खाद, प्राकृतिक कीट रोधी और अन्य उपयोगी साधन बना सकते हैं।
जैविक खेती से लाभ (Benefits of organic farming)
- महंगे रासायनिक उर्वरकों, खरपतवारनाशी और कीटनाशकों से छुटकारा दिलाता हैं जिससे खेती की लागत मे कमी आती हैं।
- भूमि की उपजाऊ क्षमता मे वृद्धि के साथ ही फसलों के उत्पादकता मे वृद्धि।
- जैविक खाद के उपयोग से भूमि की गुणवत्ता मे सुधार होती हैं।
- भूमि की जल धारण क्षमता मे बढ़ोतरी एवं जल का वाष्पीकरण कम होता हैं।
- इसे सभी वर्ग के किसान आसानी से अपनाकर जैविक तरीके से खेती कर सकते हैं साथ ही किसान जैविक खाद तथा जैविक कीटनाशकों को किसान स्वयं आसानी से तैयार कर सकते हैं।
- जैविक खेती से मानव एवं पशुओ को विषमुक्त स्वस्थ्य भोजन एवं चारा उपलब्ध होता हैं।
- किसानों को लागत मे कमी और उत्पादों के भाव अधिक मिलने से अच्छा मुनाफा होता हैं।
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