जानीयें, चने की खेती के बारें में। 

चना मुख्यतः सिंचित एवं असिंचित क्षेत्रों मे रबी ऋतु मे उगाए जाने वाली दलहनी फसल हैं। 

चना दलहनी फसल है।

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चना की फसल वायुमंडल की स्वतंत्र नाइट्रोजन का स्थिरीकरण कर मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाते है जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति एवं मृदा स्वास्थ्य मे सुधार होता हैं।

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खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु की आवश्यकता होती हैं। चने की फसल की वृद्धि एवं विकाश के लिए 20-30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की आवश्यकता होती हैं।

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चने की बुआई अक्टूबर-नवंबर के माह मे करनी चाहिए। अगर चने की पछेती बुआई की जा रही हैं तो इसकी बुआई दिसंबर के प्रथम सप्ताह तक कर देनी चाहिए।

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देशी चना की बुआई के लिए कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर एवं काबुली चने की बुआई के लिए कतार से कतार की दूरी 45 सेंटीमीटर एवं पौधों से पौधों की बीच की दूरी लगभग 10 सेंटीमीटर रखना चाहिए।

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एक निश्चित अंतराल पर फसल की बुआई होने से फसल की पैदावार भी अच्छी होती है। चना से अच्छा उत्पादन लेने के लिए कतार मे ही बुआई करनी चाहिए।

चना की उपज लगभग 15 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की है।

चना की खेती के बारे मे और विस्तार से जानने के लिए नीचे क्लिक करें।  

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