इस सिचाई पद्धति मे पानी सीमित मात्रा मे केवल जङो के पास गिरने से पानी की बर्बादी नहीं होती है इस प्रकार जरूरत के हिसाब से पौधों को पानी देने से पानी की बचत होती है जिससे की पानी की खपत कम से कम होता है और किसानों को पूरे साल भर खेती के लिए पानी भी मिलता रहता हैं।