यह किस्म करनाल बंट, फफूंदी और गलन रोग प्रतिरोधक होती है. इसमें प्रोटीन 12.8 प्रतिशत तक होता है. पहली सिंचाई बुवाई के 21 दिन बाद की जाती है. इसकी बुवाई 5 नवंबर से 25 नवंबर तक उचित मानी जाती है. बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 100 किलो बीज की आवश्यकता पड़ती है. वहीं इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 57.5 से 79.60 क्विंटल की उपज ली जा सकती है। इस किस्म में उच्चतम रोटी गुणवत्ता और पाव रोटी के साथ परफेक्ट ग्लू -1 है जो विभिन्न उपयोगी उत्पादों के लिए अच्छा माना जाता है।
गेहूं की एचडब्ल्यू 5207 किस्म को पहाड़ी क्षेत्र या इससे सटे स्थानों में लगाया जा सकता है यह किस्म लीफ रस्ट और स्टीम रस्ट प्रतिरोधी हैं। यह बहुत ही पौष्टिक अनाज का किस्म है, इस किस्म में ग्यारह प्रतिशत से अधिक प्रोटीन, उच्च लौह तत्व (53.1 पीपीएम), जिंक (46.3 पीपीएम), मैग्नीज (47.5 पीपीएम) एवं कॉपर (5.33 पीपीएम) पाया जाता है इस किस्म की औसतन उपज 40.76 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
द्विजीन बौनी, 85 से 90 सेंटीमीटर ऊँची यह किस्म 95 से 110 दिनों मे पककर तैयार हो जाता है, इसकी फसल को चार से पाँच सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसकी उपज 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की है. इसके 1000 दानों का वजन 45 से 55 ग्राम तक होता है।