जानें, गुलाब की खेती से संबंधित कुछ बातें 

गुलाब लोकप्रिये फूलों मे से एक हैं यह सभी फूलों मे एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता हैं। यह फूल अपनी सुंदरता, आकार, रूप, रंग, मनमोहक सुगंध एवं औषधिये गुणों के कारण इस फूल को काफी महत्व दिया जाता हैं।

गुलाब फूल का इस्तेमाल आज सजावट, सुंदरता, गुलदस्ते, हार बनाने तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि इसका इस्तेमाल मूल्य संवर्धित उत्पाद जैसे कि गुलाब तेल, गुलाब जल, गुलकंद, गुलाब शरबत एवं इत्र बनाने मे भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा हैं।

गुलाब को फूलों का राजा भी कहा जाता हैं।

गुलाब के फूल एवं इससे निर्मित उत्पाद की स्थानिये बाजार के साथ-साथ वैश्विक बाजार मे भी अच्छी मांग होती हैं जिसके कारण इसकी खेती करना काफी मुनाफे का सौदा हो सकता हैं।

गुलाब की खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टियों मे की जा सकती हैं बलुई दोमट मिट्टी जिसमे कार्बनिक पदार्थ की मात्रा भरपूर हो इसकी खेत के लिए अच्छी मानी जाती हैं

मैदानी क्षेत्रों मे गुलाब का रोपण का समय अक्टूबर से नवम्बर तथा फरवरी से मार्च को अच्छा समय माना जाता हैं। वहीं पहाङी क्षेत्रों मे गुलाब का रोपण का समय सितंबर से अक्टूबर एवं मार्च को अच्छा माना जाता हैं।

पॉलीहाउस मे गुलाब की रोपाई के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 50 सेंटीमीटर तथा पौधों से पौधों की बीच की दूरी 20 से 25 सेंटीमीटर रखते हैं। 

गुलाब की पौध की रोपाई हो जाने के बाद खेत मे खरपतवार हो जाते हैं खरपतवार नियंत्रण करने के लिए पौध की रोपाई के बाद खेत से खरपतवार को निकालते रहना चाहिए। अच्छे फूलों के उत्पादन के लिए कम से कम एक या दो निराई-गुङाई करनी चाहिए।

जब फूल पूर्ण रूप से खिल जाता हैं तो फूल की तुङाई करनी चाहिये। फूल को सुबह या शाम मे तोङना चाहिए जिससे सूर्य के तेज किरणें फूल पर न पङे। फूल के तुङाई होने के बाद फूल को छायादार स्थान पर रखना चाहिए। कट फ्लवार के रूप मे इस्तेमाल करने के लिए फूलों को टहनी के साथ काटना चाहिए।

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