जानें, गेंदें की फूल की खेती से जुङी कुछ बातें। 

वैसे तो गेंदे की खेती सभी प्रकार की मिट्टियों मे की जा सकती हैं लेकिन बलुई दोमट मिट्टी जिसका पी.एच. मान 6.5 -7.5 के बीच हो इसकी खेती के लिए  उचित माना जाता हैं।

इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकास वाला भूमि काफी अच्छा माना जाता हैं। 

गेंदे की फूल के बीज को सीधे खेत मे बुआई नहीं किया जाता है इसकी रोपाई से पहले इसके पौध को तैयार किया जाता है इसके पौध को तैयार करने के लिए पौधशाला मे बुआई करके इसकी नर्सरी तैयार की जाती है।

पौध को नर्सरी से उखारते समय इस बात का ध्यान रखे कि जितना कम से कम पौधों की जङो को नुकसान पहुँचे। 

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पौध की रोपाई करते समय इस बात का ध्यान रखे कि वैसे पौधे को न लगाया जाए जो की पहले से ही रोगों से ग्रसित है और जो पौधा शुरू मे ही रोपाई के समय या रोपाई के कुछ दिन बाद मर जाए या सुख जाए तो वैसे पौधों के जगह पर नई पौधों का रोपाई करें।

पौधों की रोपाई करते समय इस बात का ध्यान रखे कि पौधों कि रोपाई एक निश्चित दूरी एवं निश्चित अंतराल पर हो।

खेत मे पौध की रोपाई के ठिक बाद प्रथम सिंचाई करें, गर्मियों के दिनों मे 5 से 6 दिनों के अंतराल पर एवं सर्दियों के मौसम मे 8 से 10 दिनों के अंतराल पर गेंदे की सिंचाई करें। शुष्क मौसम मे सिंचाई पर विशेष ध्यान दे।  

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गेंदे की पौध की रोपाई हो जाने के बाद खेत मे खरपतवार हो जाते हैं खरपतवार नियंत्रण करने के लिए पौध की रोपाई के बाद खेत से खरपतवार को निकालते रहना चाहिए। अच्छे फूलों के उत्पादन के लिए कम से कम दो निराई-गुङाई करनी चाहिए। पहली पौधों के रोपाई के 20 से 25 दिनों के बाद तथा दूसरी 40 से 45 दिनों के बाद करना चाहिए।

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गेंदे के पौध के रोपाई के दो से तीन माह बाद फूल निकलने लगते हैं फूल के पूर्ण विकसित होने पर तुङाई की जाती हैं यानि की जब फूल पूर्ण रूप से खिल जाता हैं तो फूल की तुङाई करनी चाहिये। फूल को सुबह या शाम मे तोङना चाहिए जिससे सूर्य के तेज किरणें फूल पर न पङे।