पहले के समय मे मछली बाजार मे नदी या समुद्रों से पकङ कर लाया जाता था जो की काफी जोखिम भरा काम था। लेकिन आज के आधुनिक युग मे मछली पालन करने के लिए कई ऐसी तकनीक विकसित हुई है जिसकी मदद से मछली पालन करना काफी आसान हो गया है
हमारे देश मे ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया मे मछलियों की मांग बढ़ती जा रही है. वहीं मांग बढ़ने का मुख्य कारण मछली का स्वादिष्ट होना और इसमें उपस्थित कई प्रोटीन एवं विटामिन्स के स्रोतों का होना है. इसलिए विश्व स्तर पर इसका बाजार बढ़ता ही जा रहा है।
मछली पालन शुरू करने के लिए आपको तालाब या टैंक, मछली की नस्ल का चुनाव करना, मछलियों के खाने का इंतज़ाम, मछलियों की देखभाल, तालाब के आस-पास मे पानी की अच्छी सुबिधा आदि की आवश्यकता होती है।
हमारे देश मे रोहू, कटला, नैनी/मृगल, सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प, कॉमन कार्प, देशी मंगुर, सिंघी एवं हिस्ला मछलियों की प्रजातियां ही मुख्य रूप से पायीं जाती हैं. इस तरह की प्रजातियां मानसून एवं परिस्थितियों के हिसाब से अपने आपको ढाल भी सकती है।
मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई प्रकार की योजनाओ की शुरुआत की है इन्ही योजनाओ मे से एक है मत्स्य संपदा योजना। मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य संपदा योजना की शुरुआत की गई है।