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जानें, मल्चिंग से जुङी कुछ महत्वपूर्ण बातें  

जमीन की खुली सतह को किसी बाहरी सामग्री जैसे कि पौधों के अवशेषों या अन्य सामग्रियों की प्राकृतिक या कृत्रिम परत से ढकने की प्रक्रिया को मल्चिंग कहते हैं।

ढकने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री को मल्च कहा जाता है।

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मल्चिंग आमतौर पर व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण फसलों, फलों के पेड़ों, सब्जियों, फूलों की खेती करते समय की जाती है।

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मल्चिंग पौधों के चारों ओर जमीन पर की जाती हैं ताकि खरपतवार की वृद्धि को रोका जा सके, मिट्टी मे नमी बरकरार रखी जा सके एवं जड़ों का बेहतर विकाश हो सके।

जैविक मल्चिंग मे मुख्यतः प्राकृतिक सामग्री जैसें पेङो के पत्ते, घास, भूसा, फसलों के अवशेष, लकङी का छिलका एवं बुरादा आदि को मल्चिंग के रूप मे इस्तेमाल करते हैं। जैविक मल्चिंग समय के साथ विघटित होती रहती हैं। जैविक मल्चिंग के पूर्ण रूप से विघटन होने पर ये मिट्टी को पोषक पदार्थ भी प्रदान करते हैं।

अकार्बनिक मल्चिंग – हर समय जैविक मल्च की अनुपलब्धता के कारण प्लास्टिक (पॉलीथीन) सामग्री का उपयोग मल्च के रूप में किया जाता है।

प्लास्टिक मल्चिंग पेपर की मोटाई अलग-अलग फसलों के लिए अलग-अलग होती हैं जैसे कि एक वर्षीय फसल के 25 माईक्रॉन, द्विवर्षीय फसलों के लिए 50 माईक्रॉन एवं बहुवर्षीय फसलों के लिए 100 माईक्रॉन की मोटाई का इस्तेमाल मल्चिंग करने मे किया जाता हैं।

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फसलों से अच्छे उत्पादन कम लागत मे लेने के लिए मल्चिंग का इस्तेमाल करना काफी अच्छा माना जाता हैं।

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