पिछले कुछ वर्षों मे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुधारने मे मुर्गी पालन का बहुत ही अच्छा योगदान रहा है मुर्गी पालन ग्रामीण समुदाय को अजीविका, प्रोटीन युक्त खाद्य तथा स्वरोजगार प्रदान करने मे अहम भूमिका निभा रही है।
प्राचीन काल से ग्रामीण परिवार अपने घर के आँगन मे या घर के पीछे खाली स्थान मे परंपरिक तरीकों से मुर्गी पालन करते हुए आ रहे है इसमे 10 से 20 मुर्गियों का एक समूह एक परिवार के द्वारा पाला जाता है जो घर एवं उसके आस पास अनाज के गिरे दाने, झाङ-फूसो के बीच के कीङे-मकौङे, घास की कोमल पत्तीयां तथा घर के जूठन आदि खाकर अपना पेट भरती है।
बेकयार्ड मुर्गी पालन यानि की घर के पिछवारे मे मुर्गी पालन करना। वर्तमान समय मे देशी एवं बेहतर कम लागत वाली मुर्गियों के नस्लों को आसानी से बेकयार्ड मे पाला जा सकता है। बेकयार्ड मुर्गी पालन ग्रामीण समुदाय को अजीविका प्रोटीन युक्त खाद्य एवं स्वरोजगार प्रदान करने मे काफी मदद कर रहा है।