स्प्रिंकलर सिंचाई के फायदें

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स्प्रिंकलर सिंचाई मे पानी को महीन-महीन बूँदों मे बदलकर फसलों पर वर्षा के बूँदों के समान गिराया जाता हैं जिससे फसलों की सिंचाई होती हैं। स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली से सिंचाई करने पर पानी पौधों पर वर्षा के बूंदे की तरह पङती हैं।

जब पानी वर्षा की बूँदों की तरह पौधों पर गिरती है तो भूमि पर जल का जमाव नहीं होता है और कम पानी मे फसल की सिंचाई हो जाता हैं।

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जिस खेत की भूमि ऊँची-नीची होती है वहाँ पर सतही सिंचाई करना मुश्किल हो जाता है ऊँची जगहों पर पानी चढ़ाने के चक्कर मे निचली भूमि मे ज्यादा पानी लग जाता है जिससे फसल नुकसान होने के साथ-साथ पानी की भी बर्बादी होती हैं।

सिंचाई मे स्प्रिंकलर के इस्तेमाल करने से पानी के साथ-साथ उर्वरक, कीटनाशक एवं खरपतवारनाशक आदि दवाइयों का छिङकाव भी आसानी से इसकी मदद से की जा सकती हैं।

सतही सिंचाई के तुलना मे इस सिंचाई पद्धति से सिंचाई करने पर कम पानी मे ज्यादा क्षेत्र की सिंचाई की जा सकती हैं।

इस सिंचाई पद्धति के मदद से फसल को आवश्यकता के अनुसार हर दिन या एक दो दिन छोड़कर पानी आसानी से दिया जा सकता हैं।

इस सिंचाई पद्धति का इस्तेमाल करने से पानी का ही नहीं बल्कि मजदूरी, समय और पैसे आदि की भी बचत होती हैं।

स्प्रिंकलर सिंचाई मे दूसरी सिंचाई के तरीको के तुलना में मानव श्रम का कम उपयोग होता है।

स्प्रिंकलर सिंचाई से सिंचाई करने पर खेतो मे मेढ एवं नालियाँ बनाने की आवश्यकता नहीं होती है जिससे किसानों को श्रम के साथ-साथ पैसे की भी बचत होती है।

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