यह भिंडी की किस्म येलोवेन मोसैक वाइरस प्रतिरोधी हैं इसके फल रोम रहित मुलायम गहरे हरे होते हैं एवं इसके फल 15 से 18 सेंटीमीटर लंबे होते हैं। इस किस्म की पैदावार 9 से 12 टन प्रति हेक्टेयर की हैं। इस किस्म मे फल बुआई के लगभग 50 दिन बाद आना शुरू हो जाता हैं।
यह भिंडी की किस्म पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकशीत की गई हैं यह किस्म पीतरोग रोधी हैं इसके फल मध्यम एवं हरे रंग के होते हैं। इस किस्म मे बुआई के लगभग 55 दिन बाद फल आने शुरू हो जाते हैं। इस किस्म की पैदावार 8 से 12 टन प्रति हेक्टेयर की हैं।
यह भिंडी की किस्म चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकशीत की गई हैं इस किस्म को वर्षा तथा गर्मियों के सीजन मे भी उगाया जा सकता हैं। इसके फल लंबे एवं हरे रंग के आकर्षक होते हैं। इस किस्म की पैदावार 12 से 13 टन प्रति हेक्टेयर की हैं।
यह भिंडी की किस्म भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी द्वारा विकशीत की गई हैं इसके फल बैगनी लाल रंग के होते हैं। यह किस्म ग्रीष्म एवं ख़रीफ़ दोनों मौसमों के लिए उपयुक्त। इस किस्म की पैदावार 14 से 15 टन प्रति हेक्टेयर की हैं।
इस किस्म के पौधे सीधे तथा अच्छे शाखा युक्त होते हैं। यह किस्म येलोवेन मोजेक विषाणु रोग रोधी हैं। यह भिंडी की किस्म भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बैगलोर द्वारा विकशीत की गई हैं।
यह भिंडी की अधिक उत्पादन देने वाली किस्म हैं यह किस्म येलोवेन मोजेक वाइरस प्रतिरोधी किस्म हैं। इसके फल गहरे हरे रंग के होते हैं इस किस्म की पैदावार 9 से 11 टन प्रति हेक्टेयर की हैं।
यह भिंडी की किस्म चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकशीत की गई हैं इसके पौधे मध्यम ऊंचाई के होते हैं। इस किस्म की पैदावार 9 से 10 टन प्रति हेक्टेयर की हैं।
यह भिंडी की किस्म भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी द्वारा विकशीत की गई हैं इस भिंडी के किस्म को काशी प्रगति के नाम से भी जाना जाता हैं। इस किस्म की पैदावार 12 से 13 टन प्रति हेक्टेयर की हैं। यह किस्म येलोवेन मोजेक विषाणु रोग रोधी हैं।
यह किस्म गर्मी और वर्षा दोनों मौसमों के लिए उपयुक्त हैं इसके फल गहरे हरे रंग के होते हैं। इस किस्म की पैदावार 9 से 10 टन प्रति हेक्टेयर की हैं। यह किस्म पीली मौजेक के रोग से प्रभावित नही होती हैं।