Saturday, April 27, 2024

Mushroom ki kheti : मशरूम की खेती कैसे करें, जानिए इसकी खेती की पूरी जानकारी। 🍄

मशरूम (Mushroom) एक प्रकार का फूफूँद (कवक) हैं जो वर्षा ऋतु मे छतरी नुमा आकार के विभन्न प्रकार एवं विभिन्न रंगों की पौधों जैसी आकृतीयां अक्सर हमारी खेतो, खलिहानों एवं घर के आस-पास जहाँ पर फसलों के अवशेष सङे होते है वहाँ पर दिखाई देते है जिसे मशरूम, कुकुरमुत्ता या खुम्ब के नाम से जाना जाता है। इस मशरूम को मानवों द्वारा प्राचीन काल से ही सेवन किया जा रहा हैं हमारे पूर्वज भी आदिकाल से ही मशरूम का सेवन खाने के लिए एवं दवा के रूप मे इसका प्रयोग करते आ रहे हैं। प्रकृति मे लगभग हजारों तरह की मशरूम की प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिनमे कुछ खाने योग्य होती हैं तो कुछ मशरूम जहरीले भी होते हैं जिनका सेवन करने से जान भी जा सकता हैं अतः बिना जानकारी के किसी भी जंगली मशरूम का सेवन नही करना चाहिए।

हमारे देश मे आमतौर पर चार प्रकार की मशरूम की खेती (Mushroom ki kheti) की जाती हैं जिसमे श्‍वेत बटन मशरूम, डिंगरी मशरूम, पुआल मशरूम और दुधिया या मिल्की मशरूम शामिल हैं। इन मशरूमों की खेती के लिए अलग-अलग जलवायु एवं तापमान की आवश्यकता होती हैं इसलिए ऋतुओं को ध्यान मे रखकर अलग-अलग समय पर विभिन्न प्रकार की मशरूमों की प्रजातियों की खेती की जाती हैं। मशरूम मे प्रोटीन, विटामिन एवं खनिज लवण जैसे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा मे पाया जाता हैं साथ ही इसमे कई तरह के औषधिय तत्व भी पाए जाते हैं जो मानव स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता हैं। इसकी खास प्रकार की सब्जी में शामिल मशरूम का टेस्ट लोगों को बेहद पसंद आता हैं जिसकी वजह से मशरूम की मांग बाजारों मे पूरे वर्ष भर होती हैं। पूरे साल मशरूम की मांग को पूरी करने के लिए प्रोसेस्ड मशरूम को बाजार मे लाया गया हैं क्योंकि इसकी शेल्फ लाइफ (shelf life) ज्यादा होती है।

Mushroom ki kheti
Mushroom

मशरूम की खेती का सबसे खास बात यह हैं कि इसकी खेती के लिए कृषि योग्य भूमि की आवश्यकता नहीं पङती हैं। इसे झोपड़ी या घर के एक कमङे में भी आसानी से उगाया जा सकता हैं। मशरूम की खेती कम भूमि, कम पानी और कम लागत मे भी किया जाता सकता हैं। मशरूम की खेती धान की पुआल, गेहूं के भूसे, मक्का के सूखे पत्ते, सरसों, सोयाबीन, मटर फसल की अवशेषों एवं दालों के छिलके आदि पर सफलतापूर्वक की जा सकती हैं। इसकी खेती को कृषि और पशुपालन के साथ-साथ मे भी किया जा सकता हैं और अतिरिक्त आमदनी की जा सकती हैं। इसकी खेती सिर्फ पुरुष ही नही बल्कि घर की महिलाए भी घर के काम करने के साथ-साथ मे कर सकती हैं।  

मशरूम की खेती कैसे करें (Mushroom ki Kheti Kaise karen)🍄

ज्यादातर उगाई जाने वाली मशरूम की किस्में (Most Cultivated Mushroom Varieties)

प्रकृति मे लगभग हजारों तरह की मशरूम की किस्में पाई जाती हैं लेकिन हमारे देश मे ज़्यादतर श्‍वेत बटन मशरूम, डिंगरी मशरूम, पुआल मशरूम और दुधिया या मिल्की मशरूम की खेती की जाती हैं तो आइये अब विस्तार से जानते हैं इन मशरूम के किस्मों के बारे मे।

श्‍वेत बटन मशरूम (White button mushroom)

हमारे देश मे श्‍वेत बटन मशरूम की एगैरिकस बाइसपोरस (Agaricus bisporus) प्रजाति की खेती व्यावसायिक स्तर पर की जाती हैं। अन्य मशरूमों की तुलना मे इसकी खेती हमारे यहां अधिक होती हैं। इस मशरूम की मांग हमारे देश तक ही सीमित नही हैं बल्कि इसकी मांग विदेशी बाजारों मे भी होती हैं जिसकी वजह से इसकी व्यावसायिक खेती बङे पैमाने पर की जाती हैं। इसकी खेती सर्दियों के मौसम मे हमारे देश के पहाङी एवं मैदानी भागों मे की जाती हैं। इस मशरूम की खेती कंपोस्ट खाद पर की जाती हैं। कंपोस्ट खाद को किसान अपने घर पर ही तैयार कर सकते हैं। मशरूम के लिए कंपोस्ट खाद तैयार करने के लिए किसानों को गेहूं की भूसा, यूरिया, कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट, गेहूं का चोकर, सुपर फास्फेट, जिप्सम, म्यूरेट ऑफ पोटाश (M.O.P) आदि की आवश्यकता होती हैं।

Mushroom ki kheti
mushroom packaging

डिंगरी मशरूम (Dingari Mushroom)

इस मशरूम की खास बात यह हैं कि इसे किसी भी प्रकार के कृषि अवशिष्टों पर आसानी से उगाया जा सकता हैं। इस मशरूम को साल के मई-जून महीने को छोङकर पूरे वर्ष इसकी खेती की जा सकती हैं। इसकी खेती के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सीयस तापमान की आवश्यकता होती हैं। इस मशरूम को आसानी से कम लागत एवं कम समय मे उगाया जा सकता हैं।

पुआल मशरूम (Straw mushroom)

इस मशरूम की खेती धान की पराली पर आसानी से की जा सकती हैं बस जरूरत होती हैं इसमे कुछ कार्बनिक पदार्थ मिलाने की। इस मशरूम की खास बात ये हैं कि इसका जीवन चक्र छोटा होता हैं और इस मशरूम की स्वाद भी खाने मे अच्छा होता हैं। इस मशरूम की खेती 30 से 40 डिग्री सेल्सीयस तापमान पर भी की जा सकती हैं।

दुधिया या मिल्की मशरूम (Milky mushroom)

इस मशरूम को पॉलीथीन की थैलियों या रेक्स मे भी आसानी से उगाया जा सकता हैं इसे कृषि अवशिष्टों जैसे गेहूं का भूसा, धान का पुआल आदि पर उत्पादित किया जा सकता हैं। इसकी खेती के लिए 30 से 35 डिग्री सेल्सीयस तापमान की जरूरत होती हैं। यह मशरूम दूधिया सफेद रंग कि होती हैं और इसकी स्ट्राइप लंबी तथा रेशा से युक्त होता हैं इस मशरूम की खास बात यह हैं की इसे अच्छी गुणवत्ता मे लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता हैं। 

Mushroom ki Kheti
Mushroom

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जानें, डिंगरी मशरूम उगाने की विधि (Learn how to grow Dingri Mushroom)

ढिंगरी मशरूम उत्पादन करने की विधि भी काफी आसान है जैसे की अन्य मशरूमों की किस्मों को उत्पादन के लिए उत्पादन कक्ष की आवश्यकता होती है ठिक इसके लिए भी एक कक्ष की आवश्यकता होती है ये उत्पादन कक्ष बांस, कच्ची ईटें, पॉलीथिन तथा पुआल आदि से भी बनाए जा सकते हैं। जो की पूरी तरह से हवादार हो और समय पङने पर इसे आसानी से बंद किया जा सके। कक्ष का निर्माण करते समय इस बात का ध्यान रखे की कक्ष मे खिड़कियाँ अवश्य हो और उसपर जाली लगी होनी चाहिए।

ढिंगरी मशरूम को उगाने के लिए किसी भी प्रकार के जैसे कि पुआल, भूसा तथा गेहूँ, चावल, ज्वार, बाजरा, सरसों, मुगफली, सोयाबीन, मक्का, गन्ना आदि जैसे फसलों की बेकार अवशेषों का उपयोग कर ढिंगरी मशरूम की खेती की जा सकती है। अगर आप कृषि के बेकार अवशेषों का प्रयोग करके मशरूम का उत्पादन लेना चाहते है तब आपको इस बात का हमेशा ध्यान रखना है की भूसा या पुआल सङा-गला नहीं होना चाहिए।

कृषि अवशेष पुआल या भूसे मे किसी भी प्रकार का जीवाणु न रहे इसके लिए रासायनिक विधि का प्रयोग किया जा सकता है या गर्म पानी की मदद से भी कृषि अवशेषों को उपचारित किया जा सकता है। इसके लिए कृषि अवशेषों को पहले छिद्रदार जुट के थैलों या बोरे मे भरकर रात भर गीला किया जाता हैं तथा अगले दिन कृषि अवशेषों को गर्म पानी मे डालकर करीब 30 से 45 मिनट तक उपचारित करते हैं फिर उपचारित भूसे को अच्छी तरीके से फैला कर ठंडा करते हैं।

Agriculture in hindi

जब भूसा पूरी तरह से ठंडा हो जाता हैं तो उसके बाद उसमे बीज मिलाया जाता हैं प्रति 3 किलोग्राम गीले भूसे मे लगभग 100 ग्राम बीज अच्छी तरह से मिलाकर पॉलीथिन मे अच्छी तरह से फैला देते हैं। और पॉलीथिन मे 15-20 छिद्र कर दे देते हैं। फिर पॉलीथिन को उत्पादन कक्ष मे रख दे। और इस बात का ध्यान रखते हैं कि कमरे मे सूर्य की सीधी रोशनी न आए। लगभग 15-20 दिनों के बाद मशरूम का सफेद कवक जाल सारे भूसे पर फैल जाता है। नमी बनाए रखने के लिए आवश्यकता के अनुसार जल का छिड़काव करते रहना चाहिए। 

जब मशरूम की फसल पूरी तरह से तैयार हो जाती है तो ढिंगरी मशरूम की छतरी के बाहरी किनारे ऊपर की तरफ मूङने लगती है तो वह तुङाई के लायक हो जाती है। मशरूम की तूङाई करते समय हमेशा इस बात का ध्यान रखे कि मशरूम की तूङाई पानी का छिड़काव होने से पहले करें।

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मशरूम से बनाये जाते हैं कई तरह के उत्पाद (Many types of products are made from mushrooms)

मशरूम से कई तरह के उत्पाद बनाये जा सकते हैं जैसे कि मशरूम सूप पाउडर, नूडल, पापङ, नगेटस, मशरूम से बना बिस्कुट, कैडिज, मशरूम करी, मुरब्बा, मशरूम चिप्स, मशरूम का आचार, मशरूम केचअप आदि। कई किसान तथा मशरूम उत्पादक मशरूम से बने उत्पाद को बनाकर बाजार मे बिक्री कर रहे है साथ ही मशरूम से बने उत्पाद को ई-कॉमर्स वेबसाइट के माध्यम से भी बिक्री कर अच्छे मुनाफे कमा रहें हैं।

Mushroom ki kheti
Mushroom ki kheti

जब बाजार मे मशरूम का रेट अच्छा न मिले और उत्पादन ज्यादा हो तो इसका उत्पाद बनाना ज्यादा अच्छा होता हैं क्योंकि मशरूम का शेल्फ लाइफ कम होता हैं इसकी सबसे बङी वजह मशरूम मे पानी की अधिक मात्रा का होना। जिसकी वजह से मशरूम की खराब होने की संभावना ज्यादा होती हैं। इसलिए मशरूम की प्रोसेसिंग करके या इसका उत्पाद बनाकर इसकी सेल्फ लाइफ को बढ़ाया जा सकता हैं जिसके बाद मशरूम कई महीने बाद तक भी खाने लायक रहता हैं। प्रोसेस्ड मशरूम एवं मशरूम के उत्पाद का कीमत भी बाजार मे काफी अच्छा मिलता हैं।

मशरूम की खेती से कमाई और लागत (Mushroom ki kheti se munafa)

डिंगरी मशरूम की खेती मे ज्यादा लागत नही आती हैं क्योंकि इसकी खेती के लिए उत्पादन कक्ष बनाने मे ज्यादा खर्च नही होता हैं साथ ही इसे कृषि अवशेषों पर आसानी से उगाया जा सकता हैं जो किसानों के पास फ्री मे उपलब्ध होता हैं या इसे बहुत की कम कीमत पर खरीदा जा सकता हैं। एक किलोग्राम डिंगरी मशरूम का उत्पादन करने मे लगभग 20 से 30 रुपये की लागत आती हैं और इसे बाजारों मे 150 से 200 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचा जा सकता हैं। अगर इन्ही मशरूमों का कोई मशरूम का उत्पाद बना लिया जाए तो इससे और अधिक मुनाफा कमाया जा सकता हैं।

मशरूम की उत्पाद से होगी मोटी कमाई (Mushroom products will earn big money)

मशरूम से कई उत्पाद बनाएं जा सकते हैं लेकिन अभी भी हमारे देश के कई मशरूम उत्पादक एवं किसान ज्यादातर ताजे मशरूम की बिक्री पर ही निर्भर करते हैं जिसकी वजह से मशरूम की सही समय पर बिक्री न होने से किसानों तथा मशरूम उत्पादकों को काफी नुकसान का सामना करना पङता हैं। क्योंकि मशरूम मे नमी ज्यादा होती हैं इसलिए इसके खराब होने की संभावना ज्यादा होती हैं। ऐसे मे मशरूम उत्पादक एवं किसान मशरूम से बने उत्पादों को बनाकर बिक्री करें तो इससे अच्छे मुनाफे कमा सकते हैं। मशरूम से बने कुछ उत्पाद ऐसे भी हैं जिनकी बाजारों मे काफी अच्छी मांग होती हैं जिनमे मशरूम का आचार एवं मशरूम का बिस्कुट शामिल हैं इनकी कीमत भी अच्छी मिलती हैं और इसकी मांग पूरे साल भर होती हैं।

Mushroom ki kheti
Mushroom ki kheti
मशरूम की खेती से लाभ (Mushroom ki Kheti se labh)
  • इसकी खेती किसान भी खेती, पशुपालन का कार्य करते हुए कर सकते हैं साथ ही इसकी खेती घर की महिलाये भी घर के कार्य को करते हुए कर सकती हैं।
  • इसकी खेती मे लागत कम आती हैं और मुनाफा अच्छा होता हैं।
  • इसकी खेती करने के लिए किसी विशेष प्रकार की मिट्टी एवं उपजाऊ जमीन की आवश्यकता नही होती हैं इसकी खेती झोपड़ी या घर के एक कमङे में भी आसानी से किया जा सकता हैं।
  • इसकी खेती करने से फसलों के बेकार पङे अवशेषों का भी सही उपयोग हो पाता हैं।
  • इसकी खेती करने के लिए ज्यादा पढ़ें लिखे होने की भी जरूरत नही होती हैं बस कुछ बातों को ध्यान मे रखकर इसकी खेती की जा सकती हैं।
  • मशरूम को बेचने के लिए किसी खास तरह की बाजार की आवश्यकता नही होती हैं मशरूम को आसानी से नजदीकी सब्जी मंडी आदि मे बेचा जा सकता हैं। मशरूम को सिर्फ बाजार मे ही नहीं बल्कि इसे होटल, रेस्टोरेंट, दवाई बनाने वाली कंपनियां आदि को भी बेचा जा सकता हैं क्योंकि इसकी जरूरत इन्हे भी होती हैं।  
  • इसकी खेती पूरे साल की जा सकती हैं बस जरूरत हैं इसकी सही प्रजातियाँ का चुनाव करना। 
  • मशरूम का उत्पादन हो जाने के बाद बचे हुए कंपोस्ट का उपयोग खाद के रूप मे भी किया जा सकता हैं।

farming in hindi

महत्वपूर्ण: मशरूम की खेती करने से पहले एक बार मशरूम का प्रशिक्षण आवश्य ले। मशरूम की प्रशिक्षण लेने के लिए आप अपने राज्य के कृषि विश्वविद्यालय या महाविधालय से संपर्क कर सकते है या तो फिर आप अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र से भी संपर्क कर सकते है। यहाँ पर आपकी पूरी मदद की जाएगी।

मशरूम के बीज को ऑनलाइन यहाँ से ऑर्डर किया जा सकता हैं – Click here

मशरूम की खेती से संबंधित पूछे गए प्रश्न (FAQs)
मशरूम का दूसरा नाम क्या है?
मशरूम को दूसरे नाम मे कुकुरमुत्ता या खुम्ब भी कहा जाता हैं।
मशरूम को सब्जी बाजार मे बेचा जाता हैं।
प्रकृति मे लगभग हजारों तरह की मशरूम की किस्में पाई जाती हैं लेकिन हमारे देश मे ज़्यादातर श्‍वेत बटन मशरूम, डिंगरी मशरूम, पुआल मशरूम और दुधिया या मिल्की मशरूम की खेती की जाती हैं।
मशरूम में कितने प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता है?
मशरूम प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत है इसमे प्रोटीन की 20 से 35 प्रतिशत मात्रा पाई जाती है।

तो दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा, अगर आपको पसंद आया है तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे। और उन तक भी मशरूम की खेती के बारे मे जानकारी पहुँचाए।

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