Saturday, April 27, 2024

Makka ki Kheti : कैसें करें मक्का की खेती, जानिए मक्का की खेती की A टू Z जानकारी।🌽

खाद्यान्न फसलों में मक्के (Maize) का प्रमुख्य स्थान है, विश्व भर मे मक्का एक महत्वपूर्ण फसल के रूप मे जाना जाता है। हमारे देश भारत मे मक्का धान एवं गेहूं के बाद सबसे महत्वपूर्ण फसल है। मक्का को कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है इसे मकई तथा भुट्टा के नाम से भी जाना जाता है साथ ही मक्का को आनाज की रानी के नाम से भी जानते हैं। मक्का की खेती (Makka ki Kheti) अनाज तथा पशुओ की चारा दोनों के लिए किया जाता है। किसान बेबी कॉर्न, पॉप कॉर्न, स्वीट कॉर्न एवं गुणवता प्रोटीन युक्त मक्के की खेती (makke ki kheti) कर भी अच्छे मुनाफे कमा रहे हैं।

मक्का का उपयोग मानव आहार के साथ-साथ कुक्कुट आहार, पशु आहार, बीज आदि के रूप मे किया जाता है तथा इसके अलावा मक्का का उपयोग मक्का तेल, साबुन, मक्के की रोटी आदि बनाने मे भी किया जाता है। मक्के से कई प्रकार के उत्पाद तैयार किए जाते है जैसे कि मक्के का चुरा जिसे की कॉर्न केक (Corn Cake) के नाम से भी जाना जाता है। कॉर्न केक के अलावे मक्के से छोटे बच्चों के पौष्टिक भोजन भी बनाए जाते है। 

Makka ki Kheti
मक्के की फसल

मक्का का वानस्पतिक नाम जिया मेज (Zea mays) है एवं इसका परिवार पोएसी (ग्रेमिनी) हैं। मक्का का उत्पत्ति स्थान मध्य अमेरिका तथा मैक्सिको को माना जाता है। संयुक्त राज्य अमरीका (U.S.A) मक्का का सबसे बड़ा उत्पादक है। वहीं हमारे देश मे मक्का का प्रमुख उत्पादक राज्य कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश हैं। भारत में मक्का सोलहवीं सदी में पुर्तगालियों द्वारा लाया गया था। तभी से इसकी खेती हमारे पूरे भारत मे होनी लगी। मक्का की खेती तीनों मौसमों मे की जा सकती हैं। मक्का की खेती हमारे देश के लगभग सभी राज्यों मे किया जाता हैं क्योंकि इसकी खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टियों मे भी सफलतापूर्वक की जा सकती हैं।

🌽 मक्का की खेती कैसें करें (Makka ki kheti kaise kare)

Page Contents

मक्का के किस्म (Makka ki kisme)

पंत संकर मक्का-1 (Pant Shankar Makka-1) एचएम-12 (HM-12)
पंत संकर मक्का-2 (Pant Shankar Makka-2) एचएससी 1 (HSC 1)
पंत संकुल मक्का-3 (Pant Sankul Makka-3) एच क्यू पी एम-4 (HQPM-4)
पंत संकर मक्का- 4 (Pant Shankar Makka-4) एचएम-11 (HM-11)
पंत संकर मक्का-5 (Pant Shankar Makka-5) एचएम-10 (HM-10 )
पंत संकर मक्का-6 (Pant Shankar Makka-6) एच क्यू पी एम-7 (HQPM-7)
डी – 994 (D-994) एच क्यू पी एम-5 (HQPM-5)
अमर (डी-941) (Amar D-941) एचएम-8 (HM-8)
गौरव डी-931 (Gaurav D-931) एचएम-9 (HM-9)
एचएम-13 (HM-13) एच क्यू पी एम-1 (HQPM-1)
बिरसा विकास मक्का-2 (Birsa Vikas Makka-2 शक्तिमान-1 (Shaktiman-1)
बिरसा मक्का -1 (Birsa Makka-1) शक्तिमान-2 (Shaktiman-2)
पूसा कम्पोजिटट-3 (Pusa Composite-3) शक्तिमान-3 (Shaktiman-3)
पूसा कम्पोजिटट-4 (Pusa Composite-4) शक्तिमान-4 (Shaktiman-4)
जेएच-3459 (JH-3459) एचक्यूपीएम-4 (HQPM-4)
प्रकाश (जेएच 3189) Parkash (JH 3189) एचएम-4 (HM-4)
पर्ल पॉपकॉर्न (Pearl Popcorn) एचएम-5 (HM-5)
केसरी (Kesari) एचएचएम-1 (HHM-1)
जवाहर पॉप कॉर्न-11 (Jawahar Pop Corn-11) एचएचएम-2 (HHM-2)
डीएचएम 121 (DHM 121) मालवीय हाइब्रिड मक्का-2 (Malviya Hybrid Makka-2)
डीएचएम 191 (DHM 191) सीओएच (एम) 5 (COH(M) 5)
विवेक हाइब्रिड 27 (Vivek Hybrid 27) सीओएच (एम) 4 (COH(M) 4)

मक्के की बेबी कॉर्न किस्में (Makka ki Baby Corn Kism)

विवेक हाइब्रिड 27 (Vivek Hybrid 27), एचएम-4 (HM-4), वीएल बेबी कॉर्न-1 (VL Baby Corn-1), सीओबीसी-1 (COBC-1) आदि.

मक्के की पॉप कॉर्न किस्में (Makka ki Pop Corn Kism)

शालीमार पॉप कॉर्न-1 (Shalimar Pop Corn-1), जवाहर पॉप कॉर्न-11 (Jawahar Pop Corn-11), पर्ल पॉपकॉर्न (Pearl Popcorn), वीएल एम्बर पॉप कॉर्न (VL Amber Pop Corn) आदि.

मक्के की स्वीट कॉर्न किस्में (Makka ki Sweet Corn kism)

शालीमार स्वीट कॉर्न-1 (Shalimar Sweet Corn-1), वीएल स्वीट कॉर्न हाइब्रिड-2 (VL Sweet Corn Hybrid-2), सेंट्रल मक्का वीएल स्वीट कॉर्न 1 (Central Maize VL Sweet Corn 1), एचएससी 1 (HSC 1), प्रिया स्वीट कॉर्न (Priya Sweet corn) आदि.

Makka ki Kheti
Maize Field

मक्का की खेती कैसे करें (Makka ki Kheti Kaise Karen)

मक्का की खेती के लिए मिट्टी एवं जलवायु (Soil and Climate for Maize Cultivation)

वैसे तो मक्के की खेती सभी प्रकार की मिट्टियों मे की जा सकती हैं लेकिन इसकी खेती से अच्छी पैदावार लेने के लिए बलुई दोमट से लेकर दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं। इसकी खेती के लिए ऐसे खेत का चुनाव करें जिसमे जल जमाव न होता हो साथ ही जिसमे जीवांश पर्याप्त मात्रा मे हो। लवणीय एवं क्षारीय भूमि मक्का की खेती के लिए अच्छा नही होता हैं। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पी0 एच0 मान 6.5 से 7.5 के बीच को अच्छा माना जाता है।

वैसे तो इसकी खेती विभन्न प्रकार की जलवायु मे भी की जा सकती हैं लेकिन यह गर्म ऋतु की फसल हैं इसके अंकुरण या जमाव के लिए रात एवं दिन का तापमान ज्यादा होना चाहिए। इसके जमाव के लिए 18 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान एवं इसके वृद्धि एवं विकास की अवस्था मे 28 डिग्री सेल्सियस तापमान को उत्तम माना गया हैं।

मक्का की खेती के लिए भूमि की तैयारी (Land preparation for maize cultivation)

किसी भी फसल से अच्छी पैदावर लेने के लिए भूमि की अच्छी तैयारी करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल यानि की मोल्ड बोर्ड हल (Mould Board Plough) या डिस्क हैरो से करनी चाहिए। इसके बाद हैरो द्वारा क्रॉस जुताई करके कल्टीवेटर से एक जुताई करके पाटा लगाकर मिट्टी को समतल कर लेना चाहिए। जिस क्षेत्र मे अधिक वर्षा होती हैं उन क्षेत्रों मे मक्का की बुआई मेङ पर करना चाहिए। मेंङ बनाने के लिए खेत की अंतिम जुताई हो जाने के ठीक बाद ही निर्धारित दूरी पर मेङ का निर्माण कर लेना चाहिए। मेंङ के निर्माण हो जाने के बाद किसानों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब हमारा मेङ तैयार हो गया हैं तो उस पर बुआई कर दे क्योंकि ज्यादा देर से मेङ पर बुआई करने से मेंङ की नमी मे कमी आती हैं जो कि बीज की अंकुरण को प्रभावित करती हैं।

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मक्के की बुआई का समय (Makka bone ka samay)

वैसे तो मक्के की बुआई पूरे साल भर मे कभी भी खरीफ, रबी एवं जायद ऋतु मे की जा सकती हैं लेकिन खरीफ ऋतु की बात करे तो इसकी बुआई मानसून पर निर्भर करती हैं। वैसे राज्यों मे जहां पर फसलों की सिंचाई की सुबिधा उपलब्ध हो वहाँ पर खरीफ मे बुआई का उपयुक्त समय मध्य जून से लेकर मध्य जुलाई तक को माना जाता हैं। वैसे क्षेत्र जहां पर कम तापमान एवं पहाङी क्षेत्र हो उन क्षेत्रों मे मई के अंत से लेकर जून की शुरुआत तक मक्के की बुआई की जाती हैं। 

Makka ki Kheti
Maize
1 हेक्टेयर खेत मे बुआई के लिए मक्का की बीज की मात्रा (Seed quantity of maize for sowing in 1 hectare field)

1 हेक्टेयर क्षेत्र मे मक्के की बुआई के लिए 20 से 22 किलोग्राम बीज की मात्रा पर्याप्त होती हैं।

मक्का के बीज का बीजोपचार (maize seed treatment)

मक्का की बुआई से पहले इसके बीजों को उपचारित करना काफी अच्छा माना जाता हैं उपचारित बीज से बीज जनित रोग होने का भय नहीं रहता है तथा अंकुरण भी अच्छा होता है इसलिए बीज को बुआई से पहले बाविस्टीन या कैप्टान से 2 ग्राम प्रति किलो से बीजों को उपचारित कर लेना चाहिए।

मक्का की बीज की बुआई (Makka ki bij ki buai)

मक्का बोने की विधि

मक्का की बीजों की बुआई के लिए कतार से कतार एवं पौधों से पौधों की दूरी 75 सेंटीमीटर x  20 सेंटीमीटर या 60 सेंटीमीटर x 25 सेंटीमीटर की दूरी रखते हैं। वहीं अगर किसान मक्का की बुआई बेबी कॉर्न एवं पॉप कॉर्न के लिए कर रहे हैं तो इसके लिए पौधों से पौधों की बीच की दूरी 60 सेंटीमीटर x 20 सेंटीमीटर की दूरी उचित रहती हैं।

Agriculture in hindi

मक्के की पौधों के जङो को पर्याप्त मात्रा मे नमी मिलती रहे साथ ही खेत मे जल जमाव ना हो इसके लिए किसानों को चाहिए कि इसकी फसल को मेङ पर बुआई करें। बीज की बुआई करते समय इस बात का ध्यान रखे कि बीज उचित दूरी पर ही बोया जाए। आज कल तो विभन्न प्रकार के प्लांटर भी बाजार मे उपलब्ध हैं जिसकी सहायता से बुआई करने पर कम समय एवं कम खर्च आता हैं। इसकी बुआई मे प्लांटर मशीनों का उपयोग करने से एकही बार मे बीज एवं उर्वरक को ये मशीन उचित स्थान पर डालने मे मदद करती हैं। अगर कोई किसान मक्के को चारे के लिए बुआई कर रहा हैं तो उन्हे चाहिए कि इसकी बुआई सीडड्रिल मशीन से करें। साथ ही किसानों को ये खास करके ध्यान देना चाहिए कि जब वो मक्के की बुआई करे तो मक्के के बीज को 3.5 से 5.0 सेंटीमीटर की गहराई पर बुआई करें, जिससे बीज मिट्टी से अच्छी तरह ढक जाए जिससे बीजों का अंकुरण सही से हो सके।

Makka ki Kheti
Makka
मक्के की फसल की सिंचाई (Makka ki sinchai kab karen)

मक्के की फसल नही तो ज्यादा पानी सहन कर पाती हैं और नाहीं ज्यादा सूखा सहन कर पाती हैं। वैसे तो वर्षा ऋतु की मक्के की फसल के लिए सिचाई की आवश्यकता नही होती हैं अगर वर्षा सामान्य रही तो। आवश्यकता पङने पर ही फसलों की सिंचाई करनी चाहिए। इसकी फसल मे पहली सिंचाई करते समय इस बात का ध्यान रखे की पानी मेङो के ऊपर से ना बहे, क्योंकि अधिक पानी से छोटे पौधे की बढ़वार नही होती हैं। सामान्यतः मेंङो के नालियों के दो तिहाई ऊंचाई तक ही सिंचाई करना लाभदायक माना जाता हैं।

मक्के की फसल मे फूल आने, नई पौध, पौधे जब घुटने की ऊंचाई के अवस्था मे हो तथा दाने भराव की अवस्था मे हो तो खेतों मे पर्याप्त नमी का रहना अत्यंत आवश्यक माना जाता हैं क्योंकि ये अवस्था मक्के की सबसे संवेदनशील अवस्था होती हैं।

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मक्का की फसल मे खरपतवार नियंत्रण (Weed control in maize)

मक्का की खरीफ ऋतु की फसल मे खरपतवार की समस्या ज्यादा होती हैं, इसलिए फसल मे खरपतवार का ज्यादा प्रकोप होने पर इसका नियंत्रण करना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि मक्का की फसल (makka ki fasal) में खरपतवार के कारण उपज में 40 से 50 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है। अतः खरपतवारों का नियंत्रण करना बहुत ही आवश्यक हो जाता है इसलिए मक्का के खेत से शुरू के 45 दिनों तक खरपतवार को निकालते रहना चाहिए। इसकी फसल के लिए 2 से 3 निराई-गुङाई पर्याप्त होती हैं।

मक्का के फसल के खरपतवार के नियंत्रण के लिए कई खरपतवारनाशी दवाये बजार मे उपलब्ध हैं इन खरपतवारनाशी दवाओ का इस्तेमाल करके भी खरपतवार पर नियंत्रण पाया जा सकता हैं।

मक्का की फसल मे लगने वाले रोग एवं कीट (Diseases and pests of maize crop)

मक्का की फसल मे भी कई तरह के रोग एवं कीट लगते है जिनमे प्रमुख्य कीट वृंत भेदक, पाइरिला, आर्मीवर्म, कटवर्म एवं दीमक आदि कीट लगते है इन कीटों पर अगर समय रहते नियंत्रण न किया जाए तो इसका बुङा प्रभाव हमारी फसल पर पङती है जो कि हमारी उपज को प्रभावित करती है। इन कीटों के आलवा मक्का की फसल मे रोग का भी प्रकोप बना रहता है मक्का की फसल मे प्रमुख्य रोग बैंडेड लीफ एवं शीथ ब्लाइट, तरसिकम लीफ ब्लाइट, मेडिस लीफ ब्लाइट, पोलीसोरा रस्ट एवं डाउनी मिल्ड्यू आदि जैसे रोग मक्का की फसल (makka ki fasal) मे लगते है। इन सभी रोगों से बिना ज्यादा नुकसान के बचा जा सकता है बस जरूरत होती है फसल की अच्छी देखभाल की। अच्छी देखभाल के साथ-साथ अगर किसान को किसी रोग का लक्षण दिखे तो शुरुआती लक्षण दिखते ही इसके रोकथाम का इंतजाम करना चाहिए।farming in hindi

मक्के की फसल की कटाई (Makka ki katai ka samay)

मक्के की फसल की कटाई उस समय करनी चाहिए जब मक्के की भुट्टों के ऊपर की पत्तियां सूखने लगे या पीले पङने लगे तथा दाना सख्त हो जाए। इस समय दानों मे करीब 20 से 30 प्रतिशत नमी होती हैं कटाई हो जाने के बाद भुट्टों को एक सप्ताह के लिए धूप मे सूखा देना चाहिए। उसके बाद भुट्टो से दानों को अलग करना चाहिए। भुट्टो से दानों को अलग करने की गहाई यंत्र बाजार मे उपलब्ध हैं जिसकी मदद से किसान बहुत ही कम समय मे भुट्टो से दानों को अलग कर सकते हैं। मक्का को भंडारण से पहले अच्छे से धूप मे सूखा ले।

मक्का की उपज (Maize yield)

मक्का की उपज मक्का की किस्म, खेत की मिट्टी की उर्वरता शक्ति, एवं इसकी कैसी देखभाल की गई है इस पर भी निर्भर करता है वैसे आमतौर पर इसकी उपज लगभग 40 से 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है इसकी उपज पूरी तरह से इसकी किस्म पर निर्भर करती है।

Makka ki Kheti
Maize
मक्का की खेती मे ध्यान देने योग्य बातें (Things to note in Maize cultivation)
  • सही समय पर सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण करें।
  • मक्का की दूधिया अवस्था मे अवश्य सिंचाई करें।
  • मक्के से अच्छी उपज पाने के लिए कतार से कतार एवं पौधों से पौधों की निर्धारित दूरी पर ही बुआई करें।
  • मक्के की प्रमाणित बीज (certified seed) आदि का ही प्रयोग करें और अगर मक्का का हाइब्रिड बीज का प्रयोग कर रहे हैं तो प्रति वर्ष नया बीज का ही बुआई करें। 
  • मक्का की फसल मे लगने वाले मक्का छेदक किट का सही समय पर नियंत्रण करें।

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मक्का की खेती से संबंधित पूछे गए प्रश्न (FAQs)
1 हेक्टेयर में मक्का का कितना बीज लगता है?
1 हेक्टेयर क्षेत्र मे मक्के की बुआई के लिए 20 से 22 किलोग्राम बीज की मात्रा पर्याप्त होती हैं।
पूसा कम्पोजिटट-4 मक्का की किस्म की उपज कितनी हैं?
इस किस्म की उपज क्षमता 44 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की है।

तो मुझे आशा है कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा, अगर आपको पसंद आया है तो इस लेख को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे। और उन तक भी मक्का की खेती (makka ki kheti kaise karen) के बारे मे जानकारी पहुँचाए।

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