Monday, April 29, 2024

lauki ki variety : जानिए लौकी के हाइब्रिड एवं उन्नत किस्मों, इसकी विशेषताएं और पैदावार के बारे मे। Bottle Gourd Varieties in india

कद्दूवर्गीय सब्जियों मे लौकी का प्रमुख्य स्थान है, लौकी (Bottle Gourd) को घीया के नाम से भी जाना जाता है। हमारे देश भारत मे इसकी खेती सभी राज्यों मे की जाती है कई राज्य ऐसी भी है जो की लौकी की व्यपारिक खेती भी करती है। लौकी का उपयोग सब्जी के आलवा रायता, आचार, कोफ्ता, मिठाइयाँ आदि बनाने मे भी किया जाता है।

लौकी की खेती के लिए गर्म एवं आद्र जलवायु की आवश्यकता होती है इसकी फसल पाले को सहन करने मे बिल्कुल ही असमर्थ होती है इसकी फसल मे रोग एवं कीटों का प्रकोप अधिक वर्षा और बादल वाले दिनों मे बढ़ जाती है। इसकी खेती विभिन्न प्रकार की मृदाओं मे की जा सकती है।

लौकी की खेती करने से पहले लौकी की किस्मों (lauki ki variety) के बारे मे जानकारी होना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. क्योंकि लौकी की कई ऐसी किस्मे है जिनकी अलग-अलग पैदावार और विशेषता होती है। नीचे के सारणी मे लौकी की कुछ किस्मों के साथ उसकी पैदावार और विशेषता की जानकारी दी गई है तो आइये जानते है कि लौकी की खेती के लिए कौन-कौन से किस्मे है और इन किस्मों की क्या खासियत है।

Bottle Gourd Varieties
Bottle Gourd

लौकी की किस्में (Bottle Gourd Varieties)

Pusa Santushti (पूसा संतुष्टि) Arka Nutan (अर्का नूतन)
Pusa Sandesh (पूसा संदेश) Arka Shreyas (अर्का श्रेयस)
Pusa Naveen (पूसा नवीन) Arka Ganga (अर्का गंगा)
Pusa Hybrid 3 (पूसा हाइब्रिड 3) Arka Bahar (अर्का बहार)
Kashi Kiran (काशी किरन) Pusa Summer Prolific Round
Kashi Kundal (काशी कुंडल) Pusa Summer Prolific round
Kashi Kirti (काशी कीर्ति) Samrat (सम्राट)
Kashi Ganga (काशी गंगा) Kashi Bahar (काशी बहार)

लौकी की हाइब्रिड किस्में (Hybrid Bottle Gourd Varieties)

Kashi Bahar (काशी बहार) Pusa Hybrid 3 (पूसा हाइब्रिड 3)
Arka Ganga (अर्का गंगा)

लौकी की किस्मों की विशेषताएं और पैदावार

➢ Samrat (सम्राट) – यह लौकी की किस्म महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ, राहुरी द्वारा विकशित की गई है। इसकी फल 30-40 सेमी लंबे और आकार में पूरी तरह से बेलनाकार होती है, एवं इसका फल हरे रंग का होता है। इसकी फसल की अवधि 150 से 180 दिनों तक की होती है। इसकी उत्पादकता 400-500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की है।

➢ Arka Bahar (अर्का बहार) – इस लौकी के किस्म का फल का आकार मध्यम लंबे एवं सीधा होता है, इसका फल हल्के हरे रंग की चमकदार त्वचा वाली होती है। यह किस्म प्रति हेक्टेयर 40 से 45 टन तक की पैदावार देती है।

Bottle Gourd
Bottle Gourd

➢ Arka Ganga (अर्का गंगा) – यह उच्च उपज वाली एफ 1, संकर किस्म है, इसका फल अंडाकार एवं हरे रंग का होता है। यह किस्म रोपाई के 56 दिन बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाता है यह किस्म प्रति हेक्टेयर 58 टन तक की पैदावार देती है।

➢ Arka Nutan (अर्का नूतन) – इस लौकी के किस्म (Bottle Gourd Varieties) का फल का आकार मध्यम बेलनाकार एवं हल्के हरे रंग का होता है। यह किस्म रोपाई के 56 दिन बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाता है यह किस्म प्रति हेक्टेयर 46 टन तक की पैदावार देती है।

➢ Pusa Santushti (पूसा संतुष्टि) – इसका फल आकर्षक हरे, चिकने, नाशपाती के आकार के होते है, इसके फलों का वजन 0.8- 1.0 किलोग्राम तक की होती है। इस किस्म की औसत उपज 25 से 29 टन प्रति हेक्टेयर की है।

➢ Pusa Sandesh (पूसा संदेश) – इसका फल आकर्षक हरे, गोल, गहरे चपटे, मध्यम आकार के होते है, एवं इसके फल का वजन 500 से 600 ग्राम तक की होती है। इस किस्म की औसत उपज 32 टन प्रति हेक्टेयर की है।

➢ Pusa Hybrid 3 (पूसा हाइब्रिड 3) – इसका फल हरे एवं क्लब के आकार के होते है, इस किस्म की खास बात यह है की इसकी पैकिंग आसान एवं लंबी दूरी के परिवहन के लिए यह किस्म उपयुक्त है। इस किस्म की औसत उपज 42 से 47 टन प्रति हेक्टेयर की है। इसकी पहली तुड़ाई 50-55 दिनों में की जा सकती है।

Bottle Gourd Varieties
Bottle Gourd Varieties

➢ Pusa Naveen (पूसा नवीन) – यह किस्म (lauki ki variety) गर्मी और खरीफ दोनों मौसमों के लिए उपयुक्त है, इसका फल गोल एवं हरे रंग का होता है। इस किस्म की औसत उपज 32 टन प्रति हेक्टेयर की है। इसकी पहली तुड़ाई 60-65 दिनों में की जा सकती है। 

➢ Kashi Bahar (काशी बहार) – यह लंबी फल वाली संकर किस्म है, इसका फल सीधा एवं हल्के हरे रंग का होता है। इसकी फल की औसत वजन 780-850 ग्राम तक की होती है, यह लौकी का किस्म बरसात और गर्मी के मौसम की खेती के लिए उपयुक्त है। इसकी उत्पादकता 500-550 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की है।

➢ Kashi Ganga (काशी गंगा) – इसका फल हल्के हरे रंग एवं फलों का वजन 800 से 900 ग्राम तक की होती है। यह किस्म बरसात और गर्मी के मौसम की खेती के लिए उपयुक्त है इसकी उपज 480-550 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की है।

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