हमारे देश भारत के कुछ राज्यों को छोङकर लगभग सभी राज्यों मे प्याज की खेती (Pyaj ki Kheti) की जाती हैं। प्याज को पूरे साल उगाया जा सकता हैं वैसे तो प्याज मुख्यतः ठंडे जलवायु की फसल हैं लेकिन इसकी व्यावसायिक खेती विभिन्न जलवायु मे की जा सकती हैं। प्याज का इस्तेमाल लगभग सभी के घरों मे प्रतिदिन होता हैं क्योंकि प्याज का इस्तेमाल सब्जी बनाने मे, सलाद बनाने मे एवं अन्य व्यंजन बनाने मे खूब इस्तेमाल किया जाता हैं। प्याज का सेवन करना हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता हैं क्योंकि प्याज मे कई तरह के पोषक तत्व एवं विटामिन पाया जाता हैं जो की स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता हैं।
भारत मे प्याज की खेती मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, बिहार, पंजाब और उत्तर प्रदेश आदि राज्यों मे की जाती हैं। भारत मे सबसे ज्यादा प्याज का उत्पादन महाराष्ट्र राज्य के नाशिक जिले मे होता हैं। चीन और भारत प्रमुख प्याज उत्पादक देश हैं। बाजार की मांग को देखते हुए हमारे देश भारत मे प्याज की खेती बङे पैमाने पर किया जाता हैं। प्याज की मांग पूरे साल भर बजार मे देखने को मिलता हैं। प्याज की कीमत मे काफी उतार – चढ़ाव आते रहता हैं कभी इसके भाव मे एकदम से गिरावट आ जाती हैं तो कभी एकदम से उछाल आ जाती हैं और कीमत प्रति किलोग्राम 100 को भी पार कर जाती हैं। प्याज की कीमत अगर किसानों को अच्छी मिल जाती हैं तो किसान प्याज की खेती से अच्छी आमदनी कर लेते हैं।
प्याज का वानस्पतिक नाम एलियम सेपा हैं यह एलिऐसी कुल का पौधा हैं इसका उत्पति स्थान मध्य एशिया हैं। प्याज को काटने या छीलने पर आँख मे आँसू प्रोपेनिल सल्फोनिक एसिड के कारण आता हैं। गर्मियों के दिनों मे शरीर को लू से बचाने के लिए प्याज का सेवन करना लाभदायक माना जाता हैं।
आज के इस लेख मे प्याज की बुआई, रोपाई से लेकर भंडारण तक की पूरी जानकारी देने की कोशिश की गई हैं। अगर आप भी प्याज की खेती करने का सोच रहे हैं तो ये लेख आपको प्याज की खेती (Onion Farming in hindi) से संबंधित जानकारी जुटाने मे मदद कर सकता हैं।
Page Contents
प्याज की किस्म (Pyaj ki kism)
पूसा रेड (Pusa Red) | हिसार 2 (Hisar 2) |
नासिक रेड (Nashik Red) | पंजाब सिलेक्शन (punjab selection) |
पटना रेड (Patna Red) | एग्रीफाउंड डार्क रेड (Agrifound Dark Red) |
उदयपुर 101 (Udaipur 101) | अर्का कल्याण (Arka Kalyan) |
उदयपुर 102 (Udaipur 102) | निफाद 53 (Niphad 53) |
पूसा रतनार (Pusa Ratnar) | अर्का प्रगति (Arka Pragati) |
कल्याणपुर रेड राउन्ड (Kalyanpur Red Round) | अर्का निकेतन (Arka Niketan) |
पूसा माधवी (Pusa Madhavi) | अर्ली ग्रेनो (Early Greno) |
एग्रीफाउंड लाइट रेड (Agrifound Light Red) | अर्का पीताम्बर (Arka Pitambar) |
अर्का बिंदू (Arka bindu) | अर्का लालिमा (Arka lalima) |
अर्पिता (RO 59) Arpita | अर्का कल्याण (Arka Kalyan) |
पूसा रतनार (Pusa Ratnar) | अर्का कीर्तिमान (Arka kritimaan) |
फुले सुवर्णा (Phule Suvarna) | निफाद 241 (Niphaad 241) |
फुले सफेद (Phule Saphed) | पूसा रिद्धि (Pusa Riddhi) |
पंच 48 (punch 48) | पूसा सोना (pusa sona) |
बंगलौर ब्लू (bangalore blue) | पूसा शोभा (Pusa Shobha) |
भीमा डार्क रेड (Bhima Dark Red) | पूसा व्हाइट राउन्ड (Pusa White Round) |
भीमा लाइट रेड (Bhima Light Red) | पूसा व्हाइट फ्लैट (Pusa White Flat) |
भीमा रेड (Bhima Red) | भीमा किरण (Bhima Kiran) |
भीमा सुपर (Bhima Super) | भीमा शक्ति (bhima shakti) |
भीमा राज (Bhima Raj) | भीमा शुभ्रा (Bhima Shubhra) |
भीमा सफेद (bhima white) | N-2-4-1 |
बसवंत 780 (Baswant 780) | फुले समार्थ (Phule Samarth) |
हिसार प्याज 4 (Hisar Onion 4) | हिसार प्याज 3 (Hissar Onion 3) |
ऊपर के सारणी मे कुछ प्याज के किस्मों का नाम दिया गया है।
प्याज की खेती कैसें करे (Pyaj ki Kheti kaise kare)
प्याज की खेती के लिए मिट्टी एवं जलवायु (Soil and climate for onion cultivation)
प्याज (Onion) की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होता हैं किसानों को प्याज की खेती (Pyaj ki unnat kheti) करने के लिए ऐसी भूमि का चयन करना चाहिए जिसमे जल निकास की उचित व्यवस्था हो ऐसी भूमि का चुनाव करना इसकी खेती के लिए काफी अच्छा माना जाता हैं क्योंकि प्याज की फसल जल भराव के प्रति संवेदनशील होता हैं। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पी.एच 6 से 7.5 अच्छा माना जाता हैं।
प्याज मूल रूप से ठंड के मौसम की फसल हैं प्याज की फसल मध्यम जलवायु मे सबसे अच्छा प्रदर्शन करती हैं। अच्छे कंद बनने के लिए बङे दिन तथा अधिक तापमान होना अच्छा होता हैं।
प्याज की खेती के लिए भूमि की तैयारी (Land preparation for onion cultivation)
किसी भी फसल से अच्छी पैदावर लेने के लिए भूमि की अच्छी तैयारी करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई करें। इसके बाद देसी हल या कल्टीवेटर से दो बार क्रॉस जुताई करके पाटा लगाकर मिट्टी को समतल कर लेना चाहिए।उसके बाद क्यारियों का निर्माण करना चाहिए। खरीफ मे प्याज की खेती करने पर इसकी रोपाई ऊंची उठी हुई क्यारियों पर की जाती हैं। जबकी अन्य मौसम मे समतल क्यारियों मे रोपाई की जाती हैं। किसानों को सिंचाई एवं जल निकासी की उचित व्यवस्था कर लेनी चाहिए।
प्याज की नर्सरी कैसे तैयार करें (How to prepare onion nursery)
- जिस जगह पर प्याज की फसल के लिए नर्सरी तैयार करनी है उस जगह की मिट्टी उपजाऊ होनी चाहिए। भूमि की जुताई हो जाने के बाद खेत की मिट्टी मे उपलब्ध खरपतवार को चुनकर बाहर निकाल लेना चाहिए जिससे की नर्सरी मे खरपटवारों का प्रकोप कम हो। मिट्टी मे गोबर या कम्पोस्ट की खाद को आवश्यकता के अनुसार मिलाकर मिट्टी को समतल कर लेना चाहिए। नर्सरी धूप वाली जगह पर होनी चाहिए।
- प्याज की पौध तैयार करने के लिए क्यारियों का निर्माण कर ले। क्योरियों का निर्माण करते समय इस बात का ध्यान रखे की क्यारी जमीन से ऊंची उठी हुई हो ताकि वर्षा होने से क्यारी मे पानी न लगे। इसके बाद प्याज के बीज (pyaj ka bij) को क्यारियों मे बुआई करें।
- नर्सरी मे बीजों की बुआई करने से पहले बीजों को बाविस्टीन से 2 ग्राम प्रति किलो के हिसाब से बीज को उपचारित कर ले। बीजों को उपचारित करने से बीज जनित रोग नही होते हैं।
- क्यारियों मे बीज की बुआई हो जाने के बाद फौव्वारे या हजारे से हल्की सिंचाई करें।
- खरीफ नर्सरी मे 4 से 5 दिनों मे और रबी नर्सरी मे 7 से 10 दिनों मे बीज अंकुरित हो जाते हैं।
- नर्सरी मे लगे पौधों को समय-समय पर देखते रहना चाहिए। नर्सरी मे कोई रोग आदि का प्रकोप दिखे तो उसका निदान जल्दी करना चाहिए।
- नर्सरी मे बुआई के 6 से 7 सप्ताह बाद पौध रोपण योग्य हो जाता हैं।
नोट – नर्सरी मे पौध तैयार करने के लिए खरीफ की फसल हेतु जून – जुलाई मे तथा रबी की फसल के लिए अक्टूबर – नवंबर मे नर्सरी मे बीजों की बुआई करें। (pyaj ki kheti ka samay)
प्याज की बीज दर (onion seed rate)
एक हेक्टेयर मे प्याज की खेती (Onion Cultivation) करने के लिए लगभग 8 से 10 किलोग्राम प्याज की बीज की आवश्यकता होती हैं।
प्याज की पौध की रोपाई (Pyaj ki ropai)
प्याज की पौध की रोपाई की आदर्श दूरी 15 सेंटीमीटर x 10 सेंटीमीटर हैं। प्याज की रोपाई करते समय कतारों की बीच की दूरी 15 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की बीच की दूरी 10 सेंटीमीटर रखते हैं। रोपाई के समय पौधे के शीर्ष का एक तिहाई भाग काट देना चाहिए। काटने के बाद ही पौधों की रोपाई करनी चाहिए। पौध रोपण के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।
पौध की रोपाई करते समय इस बात का ध्यान रखे कि वैसे पौधे को न लगाया जाए जो कि पहले से ही रोगों से ग्रसित हो और जो पौधा शुरू मे ही रोपाई के समय या रोपाई के कुछ दिन बाद मर जाए या सुख जाए तो वैसे पौधों के जगह पर नई पौधों का रोपाई करें। कतार में रोपाई करने की वजह से सिंचाई, निराई-गुराई एवं प्याज की खुदाई आदि का कार्य करने मे आसानी होती हैं। (onion ki kheti)
प्याज की फसल मे सिंचाई (Pyaj ki sichai)
प्याज की फसल की सिंचाई आवश्यकता के अनुसार करते रहना चाहिए जिससे की फसल को पानी की कमी न हो। बरसात के दिनों मे अगर बराबर वर्षा हो रही हैं तो ऐसे मे सिंचाई की आवश्यकता नही होती हैं। आमतौर पर खरीफ की फसल मे 5 से 10 सिंचाई, पछेती खरीफ मे 10 से 12 और रबी की फसल मे 12 से 15 सिंचाई की आवश्यकता होती हैं। प्याज की खेती मे भी अब ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल किया जा रहा हैं।
संभव हो तो किसानों को ड्रिप सिंचाई प्रणाली को अपनाना चाहिए। ड्रिप सिंचाई का प्याज की खेती (Onion Farming) मे इस्तेमाल होने से पानी की बचत होगी साथ ही प्याज की खेती से अधिक उत्पादन भी प्राप्त किया जा सकता हैं।
प्याज की फसल मे खरपतवार नियंत्रण (Weed control in onion crop)
प्याज की फसल के साथ-साथ अनचाहे खरपतवार उग आते है जो मिट्टी में उपस्थित पोषक तत्व और उपर से दिये गए खाद एवं पानी को ग्रहण कर लेते हैं और पौधों के विकास मे बाधा उत्पन्न करते हैं। जिसके कारण प्याज की खेती (Onion farming) मे किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पङ सकता हैं, अतः खरपतवारों पर नियंत्रण पाने के लिए रोपाई के 45 से 90 दिनों के बीच 2 से 3 हाथ से निराई – गुङाई करके खरपटवारों पर नियंत्रण पाया जा सकता हैं। निराई – गुङाई करते समय इस बात का ध्यान रखे की पौधों की जङे न कटे। खरपतवार का नियंत्रण रासायनिक विधि द्वारा भी किया जा सकता हैं।
प्याज की फसल मे लगने वाले रोग एवं कीट (Diseases and pests of onion crop)
प्याज की फसल मे भी कई तरह के रोग एवं कीट लगते है जिनमे प्रमुख्य कीट थ्रिप्स एवं पर्णजीवी आदि है इन कीटों पर अगर समय रहते नियंत्रण न किया जाए तो इसका बुङा प्रभाव हमारी फसल पर पङती है जो की हमारी उपज को प्रभावित करती है। इन कीटों के अलावा प्याज की फसल मे रोग का भी प्रकोप बना रहता है प्याज की फसल मे प्रमुख्य रोग पत्ती का बैगनी धब्बा रोग, अंगमारी एवं झुलसा, कंद सङन आदि जैसे रोग प्याज की फसल मे लगते है। इन सभी रोगों से बिना ज्यादा नुकसान के बचा जा सकता है बस जरूरत होती है फसल की अच्छी देखभाल की। अच्छी देखभाल के साथ-साथ अगर किसान को किसी रोग का लक्षण दिखे तो शुरुआती लक्षण दिखते ही इसके रोकथाम का इंतजाम करना चाहिए।
प्याज की फसल की खुदाई (Digging of onion crop)
प्याज की फसल की खुदाई उस समय करना चाहिए जब पत्तियां पीली होने लगे तथा पौधे के गर्दन कमजोर होकर गिरने लगे। जब 75 प्रतिशत पौधे की गर्दन गिर जाती हैं तो खुरपी की मदद से बल्ब को बिना नुकसान पहुचाएं मिट्टी की खुदाई करके बल्ब को निकाल लेंना चाहिए।
प्याज को सुखाना (Drying onions)
प्याज को उखाड़ने के बाद 3 से 5 दिनों तक फसल को छाया मे सुखाया जाता हैं उसके बाद शीर्ष पत्ती को गर्दन क्षेत्र से 2.0 से 2.5 सेंटीमीटर छोङकर काट दिया जाता हैं यह बल्बों को ठीक से सुखाने मे मदद करता हैं। (onion ki kheti)
प्याज की भंडारण (Onion storage)
सालों भर प्याज की आपूर्ति बनी रहे इसके लिए प्याज का भंडारण किया जाता हैं प्याज का भंडारण क्यूरिंग के बाद किया जाता हैं प्याज मे क्यूरिंग सुखाने को कहते हैं। प्याज के भंडारण से पहले क्षतिग्रस्त और डबल्स बल्बों को हटा देना चाहिए। प्याज को ठंडी एवं सुखी हवादार जगह मे भंडारित करना चाहिए जिससे की प्याज का नुकसान कम से कम हो। सामान्यतः खरीफ प्याज की भंडारण क्षमता कम होने के कारण इसे खराब होने से पहले बेच देना चाहिए।
प्याज की उपज (Onion Yield)
प्याज की उपज प्याज की किस्म, खेत की मिट्टी की उर्वरता शक्ति, एवं इसकी कैसी देखभाल की गई है इस पर भी निर्भर करता है वैसे आमतौर पर अच्छी तरह से उगाई गई फसल से लगभग 30 से 40 टन प्रति हेक्टेयर उपज होती हैं। इसकी उपज पूरी तरह से इसकी किस्म पर निर्भर करती है।
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प्याज की खेती से संबंधित पूछे गए प्रश्न (Onion FAQs)
क्या आप गर्मियों में प्याज उगा सकते हैं? |
जी हाँ |
भारत मे कौन से रंग का प्याज का सबसे ज्यादा उत्पादन होता हैं? |
लाल रंग के प्याज का। |
प्याज मे तीखापन का क्या कारण हैं? |
प्याज का तीखापन एक वाष्पशील तेल एलाइल प्रोपाइल डाय सल्फाइड के कारण होता है। |
प्याज का लाल रंग का क्या कारण हैं? |
प्याज का लाल रंग एंथोसायनिन के कारण होता हैं। |
प्याज का पीला रंग का क्या कारण हैं? |
प्याज का पीला रंग क्यूरेसीटीन के कारण होता हैं। |
प्याज के लिए कौन सी मिट्टी उपयुक्त हैं?
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प्याज की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होता हैं। |
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