हमारे देश मे फूलों (Phoolon) का लगभग सभी समारोहों मे इस्तेमाल होने के कारण इसका दिन प्रतिदिन मांग बढ़ रहा हैं। वर्तमान समय मे फूलों का इस्तेमाल पूजा पाठ के अलावा फूलो का उपयोग घर, ऑफिस, शादी, उद्घाटन समारोह, जन्मदिन व सालगिरह आदि के मौके पर सजावट के कार्यो को करने के लिए फूलों का इस्तेमाल किया जा रहा हैं। फूल जन्म से मृत्यु तक जीवन मे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गेंदा फूल (Genda Phool) बाजारों मे पूरे साल देखने को मिलता हैं इसका कारण हैं भारत मे फूल व्यवसाय मे गेंदा का महत्वपूर्ण स्थान हैं क्योंकि गेंदा फूल को धार्मिक एवं समाजिक अवसरों पर बङे पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता हैं। इसका इस्तेमाल पूजा पाठ के अलावे शादी समारोह, जन्म दिन, पंडालों मे, मंडप मे, गाङी को सजाने के लिए एवं अतिथियों के स्वागत के लिए माला, बुके, फूलदान आदि सजाने मे भी फूलों का प्रयोग किया जाता हैं।
गेंदे की वैज्ञानिक तरीके से खेती (Genda ki Kheti) करने पर किसानों को धान एवं दलहनी फसलों की तुलना मे इससे कई गुना अधिक आमदनी होता हैं। हाल के दिनों मे गेंदा की खेती (Genda Phool Ki Kheti) करने वाले किसानों की संख्या मे बढ़ोत्तरी हुई हैं जिसका मुख्य कारण हैं गेंदे की खेती मे लागत का कम लगना एवं मुनाफा का अधिक होना। अधिक मुनाफा होने के कारण ही देश भर मे गेंदे की खेती पर अधिक ध्यान दिया जा रहा हैं। जिससे की हमारे देश मे लघु और सीमांत किसान भी इसकी खेती (gende ki kheti) कर अधिक से अधिक आमदनी कर अपनी आर्थिक स्थिति मे सुधार ला रहे हैं।
हमारे देश मे प्रमुख व्यवसायिक फूलों मे से एक हैं गेंदा। गेंदे की पूरे सालभर में तीन फसले सर्दी, गर्मी एवं बरसात मे ली जा सकती हैं पूरे वर्ष खेती होने के कारण गेंदे की फूलों की बाजार मे उपलब्धता पूरे वर्ष देखने को मिलती हैं। गेंदा फूल की व्यवसायिक खेती ज्यादातर इसके फूलों की पंखुङियों से प्रसंस्करण (processing) विधि द्वारा कैरोटिनोएड्स निकालने के लिए किया जाता हैं। कैरोटिनोएड्स का ज्यादातर इस्तेमाल मुर्गी का दाना यानि की पॉल्ट्री फीड (Poultry feed) बनाने मे किया जाता हैं। इससे बने मुर्गी के दाना को मुर्गियों को खिलाने पर उसके अंडे के योक (जर्दी) एवं मांस का रंग पीला हो जाता हैं। ऐसे अंडों एवं मांस की मांग बाजारों मे अधिक हैं। इसके अतिरिक्त गेंदे के फूल से प्राप्त तेल का उपयोग इत्र एवं अन्य सौंदर्य प्रसाधन बनाने मे किया जाता हैं साथ ही कुछ फसलों मे कीटों के प्रकोप को कम करने के लिए फसलों के बीच मे या किनारों पर इसके कुछ पौधों को लगाया जाता हैं।
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गेंदें की फूल की खेती कैसे करें (Marigold ki Kheti Kaise Kare)
गेंदे की फूलों की खेती (genda phool ki kheti) करने वाले किसानों को ये जानकारी होना चाहिए कि कब बुआई करनी हैं, खेत कैसें तैयार करना, सिंचाई कितनी करनी, उर्वरक की कितनी मात्रा देना हैं, कौन-कौन से रोग लगते हैं इससे बचाव के क्या उपाय हैं आदि के बारे मे पहले से ही जानकारी होना चाहिए। तभी गेंदे की खेती से अच्छी आमदनी की जा सकती हैं तो आइये जानते हैं गेंदा फूल की खेती (Phoolon ki kheti) के बारे मे।
भूमि (land)
वैसे तो गेंदे की खेती सभी प्रकार की मिट्टियों मे की जा सकती हैं लेकिन बलुई दोमट मिट्टी जिसका पी.एच. मान 6.5 -7.5 के बीच हो इसकी खेती के लिए उचित माना जाता हैं। इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकास वाला भूमि काफी अच्छा माना जाता हैं।
मिट्टी की तैयारी (Soil preparation)
गेंदे की खेती के लिए मिट्टी की तैयारी अच्छे से करना काफी महत्वपूर्ण माना जाता हैं। किसान खेत की तैयारी करने के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल यानि एमo बीo प्लाऊ से कर सकते हैं तथा 2-3 जुताई देशी हल से करके मिट्टी को भुरभुरा बनाकर खेत को समतल कर ले। इसके बाद क्यारी बनाना शुरू करें। अच्छी तरह से जुताई की गई भुरभुरी मिट्टी मे 2 से 3 मीटर चौङा तथा अपनी सुबिधा अनुसार लंबी क्यारी बनाना चाहिए। दो क्यारियों की बीच मे 1 से 1.5 फिट चौङा मेङ रखना चाहिए।
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गेंदे की फूल की नर्सरी तैयार करना (Marigold flower nursery)
गेंदे की फूल के बीज को सीधे खेत मे बुआई नहीं किया जाता है इसकी रोपाई से पहले इसके पौध को तैयार किया जाता है इसके पौध को तैयार करने के लिए पौधशाला मे बुआई करके इसकी नर्सरी तैयार की जाती है।
गेंदे की नर्सरी तैयार करने के लिए पौधशाला की मिट्टी की जुताई कर भुरभुरी और समतल कर ले, साथ की क्यारी निर्माण करने से पहले क्यारी से खरपतवार को अच्छे से निकाल ले। इसके बाद पौध तैयार करने के लिए क्यारियों का निर्माण कर ले। ध्यान रहे क्यारी जमीन से 15 से 20 सेंटीमीटर ऊंची हो। क्यारी का निर्माण करने से पहले पौधशाला की मिट्टी मे पर्याप्त मात्रा मे गोबर की खाद या कंपोस्ट खाद को अच्छे से मिला ले। इसके बाद पौधशाला के क्यारियों मे बुआई करें। दो क्यारियों के बीच मे 30 से 40 सेंटीमीटर का फासला छोङ डे जिससे आसानी से नर्सरी मे उगे खरपतवार को निकाला जा सके एवं क्यारी से पौध को रोपण के लिए निकालने मे आसानी हो। नर्सरी मे बीज की बुआई के एक माह बाद पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाता हैं।
गेंदा के प्रचलित एवं उन्नत किस्में (Popular and improved varieties of marigold)
अफ्रीकन गेंदा की किस्में (African marigold varieties)
- पूसा नारंगी गेंदा (Orange Colour)
- पूसा बसंती गेंदा (Sulphur yellow Colour)
- पूसा बहार (Yellow Colour)
- रिवर साइड
- सन जायंट
- सुपर चीफ
- डबल येलोस्टोन
- गोल्डन येलो
- गोल्डन जुबली
- जयंत सनसेट
- फायर ग्लो
- डब्बलन
- क्राउन ऑफ गोल्ड
- क्रैकर जेक
- एप्रीकाट
फ्रेंच गेंदा की किस्में (French marigold varieties)
- पूसा अर्पिता (Orange Colour)
- पूसा दीप (Maroon Colour)
- हिसार ब्यूटी
- रस्टी रेड
- रेड बोकाडों
- फ़्लैश
- बटर स्कॉच
- वालेंसिया
- सुकाना
- हिसार जाफरी -2
एफ 1 हाइब्रिड गेंदा की किस्में (F1 Hybrid Marigold Varieties)
- अपोलो
- क्लाइमैक्स
- फस्ट लेडी
- गोल्ड लेडी
- ऑरेंज लेडी
- इन्का येलो
- इन्का गोल्ड
- इन्का ऑरेंज
गेंदा की फूल की पौध की रोपाई एवं दूरी (Planting and spacing of marigold flower seedlings)
जब गेंदे की पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाए तो गेंदे की पौध को सावधनीपूर्वक नर्सरी से उखारकर तैयार खेत मे रोपाई करें. पौध को नर्सरी से उखारते समय इस बात का ध्यान रखे कि जितना कम से कम पौधों की जङो को नुकसान पहुँचे. संभव हो तो तैयार खेत मे पौध की रोपाई करने के लिए शाम के समय का चयन करें। पौध की रोपाई करते समय इस बात का ध्यान रखे कि वैसे पौधे को न लगाया जाए जो की पहले से ही रोगों से ग्रसित है और जो पौधा शुरू मे ही रोपाई के समय या रोपाई के कुछ दिन बाद मर जाए या सुख जाए तो वैसे पौधों के जगह पर नई पौधों का रोपाई करें।
पौधों की रोपाई करते समय इस बात का ध्यान रखे कि पौधों कि रोपाई एक निश्चित दूरी एवं निश्चित अंतराल पर हो। अफ्रीकन गेंदा 40×40 सेंटीमीटर तथा फ्रेंच गेंदा के पौध 30×30 सेंटीमीटर पौध से पौध एवं पंक्ति से पंक्ति के फासले पर 4 से 5 सेंटीमीटर की गहराई पर लगाना चाहिए।
गेंदा की पौध की सिंचाई (Marigold Plant Irrigation)
खेत मे पौध की रोपाई के ठिक बाद प्रथम सिंचाई करें, गर्मियों के दिनों मे 5 से 6 दिनों के अंतराल पर एवं सर्दियों के मौसम मे 8 से 10 दिनों के अंतराल पर गेंदे की सिंचाई करें। शुष्क मौसम मे सिंचाई पर विशेष ध्यान दे। फसलों को सिंचाई की आवश्यकता पङने पर ही फसलों को आवश्यकतानुसार सिचाई करें। क्यारियों मे पानी का जमाव न हो इसके लिए उचित व्यवस्था करनी चाहिए। बरसात मे अत्याधिक पानी के निकासी के लिए जल निकास नाली पहले से तैयार रखनी चाहिए।
गेंदे की खेती मे खरपतवार नियंत्रण (Weed control in marigold)
गेंदे की पौध की रोपाई हो जाने के बाद खेत मे खरपतवार हो जाते हैं खरपतवार नियंत्रण करने के लिए पौध की रोपाई के बाद खेत से खरपतवार को निकालते रहना चाहिए। अच्छे फूलों के उत्पादन के लिए कम से कम दो निराई-गुङाई करनी चाहिए। पहली पौधों के रोपाई के 20 से 25 दिनों के बाद तथा दूसरी 40 से 45 दिनों के बाद करना चाहिए। गुङाई करने से मिट्टी भुरभुरी बनी रहती हैं जिससे पौधों की जङो की अच्छी वृद्धि एवं विकास होता हैं।
गेंदे की फूल की तोङाई (Marigold flower plucking)
गेंदे के पौध के रोपाई के दो से तीन माह बाद फूल निकलने लगते हैं फूल के पूर्ण विकसित होने पर तुङाई की जाती हैं यानि की जब फूल पूर्ण रूप से खिल जाता हैं तो फूल की तुङाई करनी चाहिये। फूल को सुबह या शाम मे तोङना चाहिए जिससे सूर्य के तेज किरणें फूल पर न पङे। फूल के तुङाई होने के बाद फूल को छायादार स्थान पर रखना चाहिए। कट फ्लवार के रूप मे इस्तेमाल करने के लिए फूलों को टहनी के साथ काटना चाहिए।
गेंदे की फूल की 1 हेक्टेयर मे उपज (Marigold flower yield in 1 hectare)
गेंदे की उपज गेंदे की किस्म, खेत की मिट्टी की उर्वरता शक्ति, एवं इसकी कैसी देखभाल की गई है इस पर भी निर्भर करता है वैसे आमतौर पर अफ्रीकन गेंदा की उपज लगभग 200 से 250 क्विंटल तथा फ्रेंच गेंदा के किस्मों की उपज 100 से 125 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है इसकी उपज पूरी तरह से इसकी किस्म पर निर्भर करती है।
गेंदे की खेती मे लागत एवं आमदनी (Cost and income of marigold cultivation)
अगर कोई किसान एक हेक्टेयर मे गेंदे की खेती करता हैं तो लगभग 80 हजार से 1 लाख रुपये तक की लागत आती हैं और कमाई करीब 1.5 लाख से 2 लाख तक की होती हैं। आमतौर पर गेंदे का बाजार भाव करीब 40 से 60 रुपये तक का होता हैं। लेकिन त्योंहारों, पूजा आदि के समय गेंदे की बाजार भाव 200 से 300 रुपये प्रति किलो तक की हो जाती हैं।
अगर कोई किसान गेंदे की माला आदि बनाकर बजार मे बिक्री करता हैं तो इससे और अतरिक्त आमदनी कमा सकते हैं क्योंकि बाजार मे गेंदे की छोटी वाली एक माला की कीमत 10 से 20 रुपये तक की होती है जो की काफी महंगा होता हैं। अन्य फसलों के मुकाबले गेंदे की खेती से किसान काफी अच्छी कमाई कर सकते हैं।
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गेंदे की खेती से संबंधित पूछे गए प्रश्न (FAQs)
Q. गेंदा फूल की खेती कौन से महीने में की जाती है? |
गेंदे की पूरे सालभर में तीन फसले खरीफ (जून से जुलाई), रबी (सितम्बर से अक्टूबर) एवं जायद (फरवरी से मार्च) के महीने में ली जाती हैं। |
Q. गेंदा का फूल कितने रुपए किलो बिकता है? |
आम दिनों मे गेंदे के फूल का कीमत 40 से 60 रुपये तक का होता हैं। लेकिन त्योंहारों, पूजा आदि के समय गेंदे की बाजार भाव 200 से 300 रुपये प्रति किलो तक की हो जाती हैं। |
Q. गेंदे के माला का कीमत कितना होता हैं? |
बाजारों मे गेंदे का माला 10 से 20 रुपये मे आसानी से मिल जाता हैं। |
गेंदे के पौध से रोपाई के दो से तीन माह बाद फूल निकलने लगता हैं। |
Q. क्या मैं जुलाई में गेंदा लगा सकता हूँ? |
जी, हाँ |
फूलों के बीज आसानी से बीज के दुकान (Seed Shop) पर मिल जाते हैं। आजकल तो अनलाइन (Online) भी ऑर्डर करके बीज को आसानी से घर पर मगाया जा सकता हैं।
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Humein jafri geinda ka beej cahinye
आप जाफरी गेंदा के बीज को ऑनलाइन ऑर्डर करके घर पे मांगा सकते हैं या तो फिर आपने नजदीक के बीज बाजार से इसके बीज को खरीद सकते हैं।
Khet taiyar hone ke kitne der bad gende ka podga khet me lga sakte he?
Or kya narsari se podha lane ke bad 1 – 2 din podho ko rakh kr khet me booooo sakte he
अगर आपका खेत तैयार हैं तो आप गेंदें के पौधे को लगा सकते हैं।
अगर आप नर्सरी से पौधे को लाते हैं तो इस बात का ध्यान रखे की पौधे मुरझाए नही। पौधे के मुरझाने से पहले खेत मे रोपाई कर दें।