विश्व मे सब्जी (Vegetable) उत्पादन मे हमारे देश भारत का दूसरा स्थान है वहीं चीन पूरे विश्व मे सब्जी उत्पादन के मामले मे पहले स्थान पर आता हैं। हमारे देश मे 50 से भी अधिक सब्जियों का उत्पादन किया जाता हैं जिनमे कुछ देशी सब्जियों का उत्पादन किया जाता है तो कुछ विदेशी सब्जियों का भी उत्पाद किया जाता हैं। खाद्यान्न फसलों की तुलना मे सब्जियां कम समय मे तैयार हो जाती हैं और किसानों को अच्छा मुनाफा देती हैं। सब्जियों मे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, अमीनो अम्ल, खनिज लवण एवं अनेक विटामिन पाए जाते हैं, जो हमारे भोजन को न केवल स्वादिष्ट बनाते हैं बल्कि शरीर को भी रोगों से लङने की ताकत देती हैं।
वैसे तो हमारे देश मे कई प्रकार के सब्जियों का उत्पादन किया जाता हैं लेकिन आलू, प्याज, टमाटर, बैगन, मिर्च आदि यहां की प्रमुख्य सब्जी फसले हैं। इन सब्जियों की मांग पूरे साल होती हैं जिसके कारण किसान इसकी खेती बेमौसम मे भी पॉलीहाउस एवं लो टनल की मदद से करते है जिससे ये सब्जियां पूरे वर्ष बाजार मे उपलब्ध होती हैं। विदेशी सब्जीयों की मांग बङे शहरों एवं बङे-बङे होटलों मे होने से भी किसान अब कुछ विदेशी सब्जी की खेती भी साथ मे करते हैं जिससे किसान अतिरिक्त मुनाफा कमाते हैं क्योंकि विदेशी सब्जियों का कीमत किसानों को काफी अच्छा मिलता हैं।
किसान पहले के अपेक्षा पिछले कुछ सालों मे ज्यादा जागरूक हुए हैं जिससे किसान अब नई फसलों की खेती करना शुरू किए हैं और अब साथ ही किसान ऐसी भी फसलों की खेती करते है जिसका मांग पूरे वर्ष होता हैं एवं इनकी कीमत भी बाजार मे अच्छी होती हैं। आज के इस लेख मे ऐसे की कुछ महंगी सब्जियों की खेती के बारे मे जानकारी दी गई हैं तो आइये जानते हैं।
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चप्पन कद्दू या जुकुनी की खेती (Zucchini Farming)
चप्पन कद्दू आम कद्दू के मुकाबले जल्दी तैयार होती है एवं इसका बाजार भाव आम कद्दू के मुकाबले ज्यादा होती हैं और महंगा बिकता हैं। इसकी खेती करना आसान है. क्योंकि इसकी खेती खुले खेत एवं पॉलीहाउस दोनों जगहों पर आसानी से की जा सकती हैं साथ ही इसे घर के बगीचे में भी आसानी से उगाया जा सकता हैं। इसकी खेती ज्यादातर पहले विदेशों मे की जाती थी लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इसकी खेती हमारे देश भारत मे भी की जा रही हैं। जुकिनी काफी महंगी बिकती है. इसलिए यह किसानों की आय बढ़ाने के लिए मददगार साबित हो सकती है।
साधारणतया यह फसल गर्मियों की है लेकिन इसकी मांग बाजार में हमेशा रहती है बाजार की मांग को देखते हुए इसकी खेती व्यवसायिक तौर पर पूरे वर्ष पॉलीहाउस मे की जा सकती हैं और अच्छी आमदनी कमाया जा सकता हैं। सामान्यत: जुकीनी पीले और हरे रंग की होती है। इसका पौधा झाड़ीदार होता है इसमें विटामिन सी एवं खनिज पदार्थो की मात्रा प्रचुर होती है। इसे सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। यह सब्जी वजन घटाने में उपयोगी है।
चप्पन कद्दू या जुकुनी की किस्में (zucchini variety)
- ऑस्ट्रेलियन ग्रीन
- अर्ली यलो
- पूसा पसंद
- पूसा अलंकार
- पैटी पेन
- प्रोलिफिक
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चेरी टमाटर की खेती (Cherry Tomato Farming)
टमाटर (Tomato) एक महत्वपूर्ण फसल है, जिसे काफी प्रसंद किया जाता है. यह हमारे देश मे उगाई जाने वाली सब्जी फसल है जिसे हमारे देश मे सभी जगहों पर उगाया जाता है। हाल के दिनों मे चेरी टमाटर के बारे मे काफी सुनने को मिल रहा है इसकी वजह इसकी कीमत एवं इसकी गुणवत्ता का होना हैं। देश में ये 300 रुपए तो विदेशों में 500 रुपए प्रति किलो तक बिकता है। यानी इसकी कीमत अनार और सेब फल से भी ज्यादा है। चेरी टमाटर का साइज सामान्य टमाटर की तुलना में काफी छोटा होता है और यह गुच्छे में फलता है। चेरी टमाटर को सलाद के तौर पर एवं सब्जियों के रूप मे इस्तेमाल किया जाता हैं।
बाजार मे इसकी मांग को देखते हुए एवं अच्छी कीमत मिलने के कारण इसकी खेती करना किसानों के लिए काफी फायदेमंद हो सकता हैं। अगर इसकी खेती पॉलीहाउस मे की जाए तो इससे एक एकड़ मे करीब 20 टन का उत्पादन लिया जा सकता हैं। इसकी खेती पॉलीहाउस मे पूरे वर्ष की जा सकती हैं और इससे पूरे वर्ष मुनाफा कमाया जा सकता हैं। जब बाजार मे सामान्य टमाटर की आवक नहीं होती हैं तो इसकी कीमत मे और ज्यादा उछाल आता हैं।
चेरी टमाटर की किस्में (Cherry Tomato Varieties)
- पंजाब रेड चेरी (Punjab Red Cherry)
- पंजाब सोना चेरी (Punjab Sona Cherry)
- पंजाब केसरी चेरी (Punjab Kesar Cherry)
- पूसा चेरी टमाटर-1 (Pusa Cherry Tomato-1)
लैट्यूस की खेती (Lettuce farming)
लैट्यूस (Lettuce) का इस्तेमाल खाने मे सलाद और सब्जी के रूप मे किया जाता हैं लैट्यूस एक तरह की सब्जी है, जिसका इस्तेमाल यूरोपीय देशों में सलाद के तौर पर किया जाता है। विश्व में चीन पत्तेदार सलाद का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. विश्व में लेट्यूस की सबसे ज्यादा खेती चीन में की जाती है। इसकी ज्यादातर खेती इसके पत्तो के लिए किया जाता हैं। देश में दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, चंडीगढ़, सहित तमाम बड़े महानगरों में लैट्यूस की काफी मांग है। पीजा, बर्गर सहित अन्य चाइनीज डिश और सलाद में लैट्यूस का इस्तेमाल किया जाता है।
लैट्यूस की ज्यादातर खेती पॉलीहाउस एवं हाइड्रोपोनिक (hydroponic farming) मे की जाती है पॉलीहाउस एवं हाइड्रोपोनिक तकनीक से इसकी खेती पूरे साल भर की जा सकती हैं। लैट्यूस की होटल एवं बाजार मे ज्यादा मांग होने से इसकी खेती करना काफी फायदेमंद हो सकता हैं। लैट्यूस की पत्तियां सलाद के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं. पत्तेदार सलाद का सेवन स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है क्योंकि सलाद से खनिज पदार्थ और विटामिंस मिलते हैं. लैट्यूस विटामिन ‘ए’ का मुख्य स्रोत है. इस के अलावा प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, कैल्शियम और विटामिन ‘सी’ भी मिलता है।
लैट्यूस की किस्में (Lettuce Varieties)
- अलामो -1
- सीडिड
- सिम्पसन ब्लैक
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