टमाटर की खेती (Tomato Farming) जहां बङे पैमाने पर की जाती हैं वहीं इसे घर के किचन गार्डनिंग, गमले, बैकयार्ड फार्मिंग आदि मे भी खूब उगाया जाता हैं। इसका उपयोग कम या ज्यादा मात्रा मे लगभग सभी प्रकार की सब्जियों को बनाने मे किया जाता हैं जिसकी वजह से इसकी मांग बाजारों मे पूरे साल भर होती हैं टमाटर की बाजारों मे पूरे साल मांग होने से एवं अच्छी कीमत मिलने से इसकी खेती पूरे वर्ष पॉलीहाउस आदि मे की जाती हैं। पूरे साल इसकी खेती होने से बाजारों मे पूरे साल टमाटर उपलब्द होता हैं।
टमाटर एक महत्वपूर्ण फसल है जिसे काफी प्रसंद किया जाता है. यह हमारे देश मे उगाई जाने वाली सब्जी फसल है जिसे हमारे देश के लगभग सभी राज्यों मे उगाया जाता हैं। टमाटर मे कैल्शियम, फास्फोरस, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा एवं अम्ल प्रचुर मात्रा मे पाया जाता है। टमाटर विटामिन A, B और C का अच्छा स्त्रोत है टमाटर का उपयोग सब्जी, सूप, सलाद, सॉस, कैचअप एवं इसके आलवा इसका उपयोग व्यवसायिक तौर पर किया जाता है। टमाटर की खेती किसानों के लिए अतिरिक्त आय का एक बेहतर जरिया है, क्योंकि टमाटर की खेती एक व्यवसाय के रूप में अपना स्थान रखती है। टमाटर का लाल रंग लाइकोपिन के कारण होता है एवं टमाटर का पीला रंग कैरोटीन के कारण होता है।
हमारे देश के प्रमुख्य टमाटर उत्पादक राज्य बिहार, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, आंध्रप्रदेश, उङीसा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं पश्चिम बंगाल हैं। इन सभी राज्यों मे टमाटर की बङे स्तर पर खेती की जाती हैं कई किसान ऐसे भी हैं जो पूरे साल भर टमाटर की व्यवसायिक खेती करके इससे बङा मुनाफा कमाते हैं। अगर किसान 1 हेक्टेयर मे टमाटर की खेती करते हैं तो लगभग 50 से 80 टन तक टमाटर का उत्पादन होता हैं अगर बाजार मे इसका अच्छा कीमत मिल गया तो इससे काफी अच्छी आमदनी होती हैं। वैसे तो टमाटर की खेती करना आसान हैं अगर किसानों को मौसम आदि का साथ मिले तो। इसकी खेती करने के दौरान अगर किसान कुछ चीजों का ध्यान रखे तो इसकी खेती मे सफलता पाई जा सकती हैं तो आइये अब जानते हैं टमाटर की खेती से जुङी जानकारी।
टमाटर की खेती कैसें करें (Tamatar ki kheti kaise karen)
Page Contents
टमाटर की किस्म (Tamatar ki kisam)
Pusa Rohini (पूसा रोहिणी) | Kashi Amul (काशी अमूल) |
Pusa Sadabahar (पूसा सदाबहार) | Kashi Adarsh (काशी आदर्श) |
Pusa Hybrid 8 (पूसा हाइब्रिड 8) | Kashi Aman (काशी अमन) |
Pusa Hybrid 4 (पूसा हाइब्रिड 4) | Kashi Abhiman (काशी अभिमन) |
Pusa Uphar (पूसा उपहार) | Kashi Anupam (काशी अनुपम) |
Arka Vishesh (H-391) (अर्का विशेष) | Kashi Vishesh (काशी विशेष) |
Arka Apeksha (अर्का अपेक्षा) | Kashi Hemant (काशी हेमंत) |
Arka Abhed (अर्का अभेद) | Kashi Amrit (काशी अमृत) |
Arka Rakshak (अर्का रक्षक) | Dhanshree (धनश्री) |
Arka Samrat (अर्का सम्राट) | Bhagyashree (भाग्यश्री) |
Arka Ananya (अर्का अनन्या) | Rajashree (राजश्री) |
Arka Meghali (अर्का मेघाली) | Phule Raja (फुले राजा) |
Arka Alok (अर्का अलोक) | Phule Kesari (फुले केसरी) |
Arka Abha (अर्का अभा) | Phule Jayshree (फुले जयश्री) |
Arka Vikas (अर्का विकास) | Hisar Arun (हिसार अरुण) |
Arka Saurabh (अर्का सौरभ) | Hisar Lalima (हिसार लालिमा) |
HS-101 | Hisar Lalit (हिसार ललित) |
HS-102 | Hisar Anmol (हिसार अनमोल) |
HS-110 | Punjab Chhuhara |
CO-1 | Paiyur-1 |
CO-2 | Sonali (सोनाली) |
टमाटर की हाइब्रिड किस्म (Tamatar ki hybrid kisam)
Arka Vishal | Pusa Hybrid -4 |
Arka Vardan | Pusa Hybrid -8 |
Arka Shreshta | Rajashree |
Arka Samrat | COTH-1 |
Arka Rakshak | COTH-2 |
Arka Ananya | COTH-3 |
Arka Abhijit | Pant Hybrid-1 |
Pusa Divya | Pant Hybrid-2 |
Pusa Hybrid -1 | TH-2312 |
Pusa Hybrid -2 | TH-802 |
ऊपर के सारणी मे कुछ टमाटर के किस्मों का नाम दिया गया है।
टमाटर की खेती के लिए मिट्टी एवं जलवायु (Soil and climate for tomato cultivation)
टमाटर की खेती के लिए भूमि की तैयारी (Land preparation for tomato cultivation)
टमाटर की नर्सरी कैसें तैयार करें (Tamatar ki nursery kaise taiyar kare)
- जिस जगह पर टमाटर की फसल के लिए नर्सरी तैयार करनी है उस जगह की मिट्टी की तैयारी करना भी आवश्यक होता है. उस जगह की जुताई हो जाने के बाद खेत की मिट्टी मे उपलब्द खरपतवार को चुनकर निकाल लेना चाहिए जिससे की नर्सरी मे खरपटवारों का प्रकोप न हो। एवं इसकी मिट्टी मे गोबर एवं कम्पोस्ट की खाद को जरूरत के हिसाब से मिलाकर मिट्टी को समतल कर लेना चाहिए।
- टमाटर की पौध तैयार करने के लिए क्यारियों का निर्माण कर ले। क्यारियों का निर्माण करते समय इस बात का ध्यान रखे कि क्यारी जमीन से ऊंची उठी हुई हो ताकि वर्षा होने से क्यारी मे पानी न लग पाए। इसके बाद पौधशाला के क्यारियों मे बुआई करें।
- नर्सरी मे बीजों की बुआई करने से पहले बीजों को केप्तान या बाविस्टीन से 2 ग्राम प्रति किलो के हिसाब से बीज को उपचारित कर ले।
- क्यारियों मे बीज की बुआई हो जाने के बाद फौव्वारे/हजारे से हल्की मात्रा मे पानी का छिङकाव करें।
- खरीफ की फसल के लिए टमाटर की नर्सरी जून महिना मे तैयार करे एवं गर्मी की फसल के लिए दिसम्बर-जनवरी माह मे तैयार करें। वहीं सर्दी की फसल के लिए सितंबर मे ही नर्सरी तैयार करें।
- अगर आप एक एकङ खेत मे टमाटर की खेती करना चाहते हैं तो आप नर्सरी तैयार करने के लिए क्यारियों का चौङाई 1 मीटर एवं लंबाई 5 मीटर रखेगे तो आपको 25 क्यारियों की आवश्यकता होगी।
- जब नर्सरी मे पौध 4 से 5 सप्ताह का हो जाता हैं तो पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाता हैं।
1 हेक्टेयर मे टमाटर की खेती के लिए बीज की मात्रा (Seed quantity for tomato cultivation in 1 hectare)
एक हेक्टेयर मे टमाटर की खेती के लिए संकर किस्मों की 200 से 250 ग्राम एवं अन्य किस्मों के लिए 400 से 500 ग्राम बीज पर्याप्त होता हैं।
टमाटर के पौध की रोपाई का समय (Tamatar ki ropai kab karen)
खरीफ | जुलाई से अगस्त |
रबी | अक्टूबर से नवंबर |
टमाटर की गर्मी की फसल के लिए पौध की रोपाई फरवरी माह के अंत तक कर देनी चाहिए।
टमाटर की पौध की रोपाई (Tamatar ki ropai kaise karen)
टमाटर की पौध की रोपाई 60 सेंटीमीटर की दूरी पर बनी कतारों मे करे साथ ही पौध से पौध की दूरी 45 से 60 सेंटीमीटर रखे। संभव हो तो तैयार खेत मे पौध की रोपाई करने के लिए शाम के समय का चयन करें। पौध की रोपाई करते समय इस बात का ध्यान रखे कि वैसे पौधे को न लगाया जाए जो कि पहले से ही रोगों से ग्रसित हो और जो पौधा शुरू मे ही रोपाई के समय या रोपाई के कुछ दिन बाद मर जाए या सुख जाए तो वैसे पौधों के जगह पर नई पौधों का रोपाई करें।
टमाटर की फसल मे सिंचाई (Tamatar mein kab sichai karen)
गर्मियों के दिनों मे 5 से 6 दिनों के अंतराल पर एवं सर्दियों के मौसम मे 8 से 10 दिनों के अंतराल पर टमाटर की फसल की सिंचाई करें। फसलों को सिंचाई की आवश्यकता पङने पर ही फसलों को आवश्यकतानुसार सिचाई करें।
टमाटर की फसल मे खरपतवार नियंत्रण (Weed control in tomato crop)
टमाटर की फसल मे खरपतवार का ज्यादा प्रकोप होने पर इसका नियंत्रण करना काफी महत्वपूर्ण होता है। पौध लगाने के 20 से 25 दिन बाद प्रथम निराई एवं गुङाई का कार्य करें। इसकी फसल मे निराई-गुङाई करके खरपतवार पर नियंत्रण पाया जा सकता है इसके अलावा खरपतवार पर नियंत्रण पाने के लिए खरपतवारनाशी का उपयोग कर सकते है।
पौधों की जङो की समुचित विकाश के लिए निराई-गुङाई करना काफी आवश्यक माना जाता है इसकी फसल मे निराई-गुङाई करने से जङो के आस-पास की मिट्टी ढीली हो जाती है जिससे की हवा का आवागमन अच्छी तरह से होता है जिसका अच्छा प्रभाव हमारी फसल के पैदावार पर पङती है अगर सिंचाई करने या वर्षा के मौसम मे पौधों की जङो के पास की मिट्टी हट गई हो तो ऐसे मे चारों तरफ से पौधों के जङो के पास मिट्टी चढ़ा देना चाहिए।
टमाटर की फसल मे लगने वाले रोग एवं कीट (Diseases and pests of tomato crop)
टमाटर की फसल मे भी कई तरह के रोग एवं कीट लगते है जिनमे प्रमुख्य कीट सफेद मक्खी (व्हाइट फ्लाई), टमाटर फल छेदक (टोमेटो फ्रूट), तंबाकू की इल्ली (टोबैको कैटरपिलर), पत्ती सुरंगक किट (लीफ माइनर) आदि कीट लगते है इन कीटों पर अगर समय रहते नियंत्रण न किया जाए तो इसका बुङा प्रभाव हमारी फसल पर पङती है जो की हमारी उपज को प्रभावित करती है। इन कीटों के आलवा टमाटर की फसल मे रोग का भी प्रकोप बना रहता है टमाटर की फसल मे प्रमुख्य रोग पर्ण कुंचन (लीफ कर्ल), बकाय रॉट आदि जैसे रोग टमाटर की फसल मे लगते है। इन सभी रोगों से बिना ज्यादा नुकसान के बचा जा सकता है बस जरूरत होती है फसल की अच्छी देखभाल की। अच्छी देखभाल के साथ-साथ अगर किसान को किसी रोग का लक्षण दिखे तो शुरुआती लक्षण दिखते ही इसके रोकथाम का इंतजाम करना चाहिए।
टमाटर की उपज (Tomato yield)
टमाटर की उपज टमाटर की किस्म, खेत की मिट्टी की उर्वरता शक्ति, एवं इसकी कैसी देखभाल की गई है इस पर भी निर्भर करता है वैसे आमतौर पर इसकी उपज लगभग 50 से 80 टन प्रति हेक्टेयर तक होती है इसकी उपज पूरी तरह से इसकी किस्म पर निर्भर करती है।
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टमाटर की खेती से संबंधित पूछे गए प्रश्न (FAQs)
टमाटर की अर्का रक्षक किस्म की कितनी उपज हैं? |
टमाटर की अर्का रक्षक उच्च उपज देने वाली संकर किस्म है जो कि प्रति हेक्टेयर 60 से 80 टन तक की पैदावार देती है। |
टमाटर की उत्पत्ति स्थान कहाँ हैं? |
टमाटर की उत्पत्ति स्थान दक्षिण अमेरिका (South America) हैं। |
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