खीरे (Cucumbers) की खेती ज्यादातर जायद और खरीफ़ दो सीजन में की जाती है. वैसे तो खीरे की खेती पॉलीहाउस या ग्रीन हाउस मे पूरे साल भर आसानी से किया जा सकता है। किसान खीरे की खेती करके अच्छे मुनाफे कमा सकते है क्योंकि खीरे की मांग बाजार मे पूरे साल भर बनी रहती है और इसका बाजार भाव भी अच्छा मिलता है। गर्मी के मौसम में खीरे की मांग बाजार मे काफी देखने को मिलता है खीरे में 95 फीसदी पानी होता है जो गर्मियों में शरीर को डी-हाइड्रेट होने से बचा सकता है. एवं इसमे कई तरह के विटामिन एवं पोषक तत्व पाए जाते है जो कि त्वचा और बालों के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। खीरे को कच्चा, सलाद या सब्जियों के रूप में प्रयोग किया जाता है।
खीरे की कई उन्नत किस्म (Varieties of Cucumbers) विकशित हो चुकी हैं जिनमे की कुछ किस्म सामान्य किस्म के है तो कुछ संकर किस्म के है हमारे देश के किसान खीरे की कुछ विदेशी किस्मों की खेती कर रहे है और उन किस्मों से भी अच्छे मुनाफे कमा रहे है तो आइये जानते है खीरे के कुछ उन्नत और संकर किस्मों के साथ कुछ विदेशी किस्मों की विशेषताएं और पैदावार के बारे मे।
खीरा की किस्में (Kheera ki variety)
Pusa Uday (पूसा उदय) |
Pusa Barkha (पूसा बरखा) |
Swarna Ageti (स्वर्ण अगेती) |
Swarna Sheetal (स्वर्ण शीतल) |
Himangi (हिमांगी) |
Phule Shubangi (फुले शुभांगी) |
Sheetal (शीतल) |
Pant Parthenocarpic Khira – 2 (पंत पार्थेनोकार्पिक खिरा – 2) |
Pant Parthenocarpic Khira – 3 (पंत पार्थेनोकार्पिक खिरा – 3) |
Pant Sankar Khira – 1 (पंत संकर खीरा – 1) |
Pant Khira 1 (पंत खीरा 1) |
Swarna Poorna (स्वर्ण पूर्णा) |
Phule Prachi (फुले प्राची) |
Punjab Khira -1 (पंजाब खीरा 1) |
Punjab Naveen (पंजाब नवीन) |
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खीरा की विदेशी किस्म (Exotic Variety of Cucumber)
विदेशी किस्में- जापानी लौंग ग्रीन, स्ट्रेट- 8 और पाइनसेट आदि
खीरा की संकर किस्म (Cucumbers hybrid Varieties)
संकर किस्में- पंत संकर खीरा- 1, पूसा संयोग आदि
Pusa Uday (पूसा उदय) – खीरे के इस किस्म के फल माध्यम आकार एवं 13 से 15 सेंटीमीटर लंबे, हल्के हरे रंग की होती है यह किस्म 50 से 52 दिनों मे तैयार हो जाता है यह किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकशित की गई है।
Swarna Sheetal (स्वर्ण शीतल) – इस खीरे के किस्म के फल माध्यम आकार के लंबे होते है यह किस्म 60 से 65 दिनों मे तैयार हो जाता है यह किस्म प्रति हेक्टेयर 25 से 30 टन तक की पैदावार देती है।
Swarna Poorna (स्वर्ण पूर्णा) – इसका फल लंबे, मध्यम आकार के और हल्के हरे रंग के होते हैं. यह किस्म 55 से 60 दिनों मे तैयार हो जाता है यह किस्म प्रति हेक्टेयर 30 से 35 टन तक की पैदावार देती है।
Himangi (हिमांगी) – यह खीरे की किस्म महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ (कृषि विश्वविद्यालय) द्वारा विकशित की गई है, इस खीरे के किस्म के फल सफेद रंग के होते हैं और ब्रोंजिंग (bronzing) के प्रतिरोधी होते हैं. इसकी औसत उपज 19 टन प्रति हेक्टेयर है।
Phule Shubangi (फुले शुभांगी) – यह खीरे की किस्म महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ (कृषि विश्वविद्यालय) द्वारा विकशित की गई है, इस खीरे के किस्म का तना हल्का हरा और फल हरे रंग एवं फलों की सतह चिकनी होती है, इसकी औसत उपज 18 टन प्रति हेक्टेयर है इसकी फसल की अवधि 100 से 110 दिनों की है।
Phule Prachi (फुले प्राची) – यह किस्म (Kheera ki variety) पॉलीहाउस या ग्रीन हाउस के लिए उपयुक्त है इसका फल पीले सफेद रंग के होते हैं, इसका बुआई का समय खरीफ के मौसम मे जून-जुलाई है इसकी औसत उपज 36 टन प्रति हेक्टेयर है इसकी फसल की अवधि 90 दिनों की है।
Pusa Sanyog (पूसा संयोग) – यह संकर किस्म की जल्दी और अधिक उपज देने वाला खीरे की किस्म है इसका फल 28 से 30 सेंटीमीटर लंबा गहरे हरे रंग का होता है यह किस्म 45 से 50 दिनों मे तैयार हो जाता है।
Japanese Long Green (जापानीज लौंग ग्रीन) – यह खीरे की अगेती किस्म है, यह बुआई के 45 दिन में फल देना शुरू कर देती है, इसका फल 30 से 40 सेंटीमीटर लम्बे तथा हरे रंग के होते है. गूदा हल्का हरा और कुरकुरा होता है यह किस्म पहाङी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।
Straight Eight (स्ट्रेट ऐट) – यह किस्म पहाङी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है इसका फल माध्यम लंबे, गोल सीरे वाले माध्यम हरा रंग के होते है।
Pusa Barkha (पूसा बरखा) – पूसा बरखा उच्च मात्रा में नमी और तापमान वाली किस्म माना जाता है. इस खीरे के किस्म मे पत्तों के धब्बों में रोग को सहन करने की श्रमता होती है. यह किस्म प्रति हेक्टेयर 30 से 35 टन तक की पैदावार देती है।
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Bahut acchi kisme hai.