सोयाबीन (soyabean) एक तिलहनी फसल है, सोयाबीन को गोल्डन बीन एवं सुनहरी बीन के नाम से भी जानते हैं। सोयाबीन का वानस्पतिक नाम ग्लाईसीन मैक्स (Glycine max) है, यह लेग्युमिनेसी परिवार से संबन्ध रखता है। सोयाबीन का उत्पति स्थान चीन है। यह प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत हैं इसमें लगभग 40 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता हैं साथ ही इसमे लगभग 18 से 20 प्रतिशत वसा पाई जाती हैं। सोयाबीन को लोग पानी मे फुलाकर खाने मे भी उपयोग करते है इसके सेवन करने से प्रोटीन की कमी से होने वाली बीमारियां नही होती हैं क्योंकि यह अधिक एवं उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन का स्त्रोत हैं। सोयाबीन का उपयोग सिर्फ तेल के लिए ही नही हो रहा हैं बल्कि इससे कई तरह के उत्पाद भी बनाये जा रहे हैं इससे सोया दूध, सोया नट, सोया कुकीज़ एवं सोया पनीर आदि भी बनाये जा रहे हैं। सोयाबीन मे पाये जाने वाले पोषक तत्व कुपोषण से लड़ने मे काफी हद तक मददगार साबित होता है।
हमारे देश मे सोयाबीन की खेती व्यवसायिक तौर पर भी की जा रही हैं कई किसान ऐसे है जो सोयाबीन की व्यवसायिक खेती करके अच्छे मुनाफे कमा रहे हैं। इसकी खेती से कम लागत मे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता हैं। हमारे देश के कृषि वैज्ञानिकों ने सोयाबीन के कई ऐसे किस्में विकसित किए हैं जिनकी उपज क्षमता तो अच्छी हैं ही साथ यह किस्में कई रोगों एवं कीट-पतंगों का प्रतिरोधी भी हैं। सोयाबीन की खेती करने के लिए ऐसी किस्मों को काफी अच्छा माना जाता हैं जो उपज मे अच्छी और वो रोग प्रतिरोधी भी हो।
सोयाबीन की खेती करने से पहले सोयाबीन की किस्मों (Soyabean ki kisme) के बारे मे जानकारी होना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. क्योंकि सोयाबीन की कई ऐसी किस्में है जिनकी अलग-अलग पैदावार और विशेषता होती है। सोयाबीन की उन्नत किस्मों का चुनाव क्षेत्रीय अनुकूलता और बीजाई के समय को ध्यान में रखकर किसानों को करना चाहिए, ताकि इनकी उत्पादन क्षमता का लाभ लिया जा सके। अगर किसान सोयाबीन की सही किस्मों का चुनाव करें तो उन्हें अच्छी पैदावार के साथ अच्छा मुनाफ़ा हो सकता है। नीचे के सारणी मे सोयाबीन की कुछ किस्मों के साथ उसकी पैदावार और विशेषता की जानकारी दी गई है तो आइये विस्तार से जानते है कि सोयाबीन की खेती के लिए कौन-कौन से किस्मे है और इन किस्मों की क्या खासियत है।
सोयाबीन के किस्में (Soyabean ki kisme)
जे.एस. 335 (J.S 335) | पी. के. 472 (P.K 472) |
जे.एस. 93-05 (J.S 93-05) | प्रताप सोया 45 (Pratap Soya 45) |
जे.एस. 97-52 (J.S 97-52) | एम.ए.यू.एस 162 (M.A.U.S 162) |
जे.एस. 20-29 (J.S 20-29) | एम.ए.यू.एस 158 (M.A.U.S 158) |
जे.एस. 20-34 (J.S 20-34) | पूसा 9712 (PUSA 9712) |
जे.एस. 95-60 (J.S 95-60) | पूसा 9814 (PUSA 9814) |
जे.एस. 20-69 (J.S 20-69) | आर.के.एस 45 (R.K.S 45) |
आर.वी.एस. 2001-4 (R.V.S 2001-4) | एम.ए.सी.एस 1188 (M.A.C. S 1188) |
फुले अग्रणी (Phule Agrani) | एम.ए.सी.एस 450 (M.A.C. S 450) |
एन.आर.सी. 86 (N.R.C 86) | डी.एस.बी 21 (D.S.B 21) |
एन.आर.सी. 7 (N.R.C 7) |
डी.एस.बी 1 (D.S.B 1) |
एन.आर.सी 12 (अहिल्या -2) NRC 12 | डी.एस.बी 19 (D.S.B 19) |
एन.आर.सी. 37 (N.R.C 37) | इंदिरा सोया 9 (Indira Soya 9) |
एन.आर.सी. 77 (N.R.C 77) | प्रताप सोया 1 (Pratap Soya 1) |
पंत सोयाबीन 1029 (Pant Soybean 1029) |
प्रताप सोया 2 (Pratap Soya 2) |
पंत सोयाबीन 564 (Pant Soybean 564) |
पूसा 16 (Pusa 16) |
पंत सोयाबीन 1024 (Pant Soybean 1024) |
पूसा 24 (Pusa 24) |
पंत सोयाबीन 1042 (Pant Soybean 1042) |
वी.एल.सोया 89 (V.L. Soya 89) |
पीके 416 (P.K 416) |
वी.एल.सोया 77 (V.L. Soya 77) |
आर.के.एस 24 (R.K.S 24) | वी.एल.सोया 65 (V.L. Soya 65) |
आर.के.एस 18 (R.K.S 18) | वी.एल.सोया 63 (V.L. Soya 63) |
पी.एस 1521 (P.S 1521) |
पी.एस 1477 (P.S 1477) |
सोयाबीन की किस्मों की विशेषताएं और पैदावार (Characteristics and yield of soyabean varieties)
जे.एस -335 (J.S 335) ➢ सोयाबीन के इस किस्म की उपज 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं सोयाबीन के इस किस्म के फूल बैंगनी रंग के होते है तथा इसका दाना का रंग पीला होता हैं। यह किस्म फलियों के चटकने के प्रति सहनशील हैं। यह अधिक उपज देने वाली किस्म हैं इस किस्म की पकने की अवधि 100 दिनों की हैं।
जे.एस. 93-05 (J.S 93-05) ➢ इस किस्म की पकने की अवधि 95 दिनों की हैं। इसकी उपज 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं। इस किस्म की फूल बैंगनी रंग के होते है तथा इसका दाना का रंग पीला होता हैं।
जे.एस. 97-52 (J.S 97-52) ➢ इस किस्म के फूल सफेद होते है तथा दाने पिले रंग के होते है। यह अधिक नमी वाली क्षेत्रों के लिए काफी सहनशील है इस किस्म की पकने की अवधि 110 दिनों की हैं। इस किस्म की उपज 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की है।
जे.एस. 20-29 (J.S 20-29) ➢ यह अधिक वसा युक्त वाली सोयाबीन की किस्म हैं इस किस्म की पकने की अवधि 95 दिनों की हैं तथा इस किस्म की उपज 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं। सोयाबीन के इस किस्म की फूल सफेद रंग के होते है। यह पीला मोजाइक एवं चारकोल रॉट प्रतिरोधी किस्म हैं।
जे.एस. 20-34 (J.S 20-34) ➢ इस किस्म की पकने की अवधि 86 दिनों की हैं। इसकी उपज 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं। इस किस्म के फूल का रंग सफेद होता हैं तथा इसका दाना का आकार मध्यम होता हैं यह जल्दी पकने वाली सोयाबीन की किस्म हैं। यह चारकोल रॉट एवं गर्डन बीटल प्रतिरोधी किस्म हैं।
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एन.आर.सी. 7 (N.R.C -7) ➢ सोयाबीन के इस किस्म की पैदावार 25 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की है, सोयाबीन के इस किस्म के फूल बैंगनी रंग के होते है इस किस्म की पकने की अवधि 95 दिनों की होती है। इस किस्म की फलिया पकने के बाद खेतों मे नहीं फटती (चटकती) हैं।
आर.वी.एस. 2001-4 (R.V.S 2001-4) ➢ इस किस्म की फसल को पकने में 100 दिनों का समय लगता है। इस किस्म की उपज 22 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं। सोयाबीन के इस किस्म के फूल सफेद रंग के होते है। यह गर्डल बीटल एवं सेमीलूपर कीट एवं रोगों के प्रति सहनशील हैं।
एन.आर.सी 12 ➢ सोयाबीन के इस किस्म की पैदावार 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं इस किस्म के फूल बैंगनी रंग के होते हैं। यह किस्म 100 से 105 दिनों मे पककर तैयार हो जाता हैं सोयाबीन के इस किस्म के दाने पीले रंग के होते हैं।
एन.आर.सी. 86 (N.R.C 86) ➢ सोयाबीन के इस किस्म की पैदावार 22 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं इस किस्म के फूल बैंगनी रंग के होते हैं। यह किस्म 95 दिनों मे पककर तैयार हो जाता हैं सोयाबीन के इस किस्म के दाने छोटा गोल होता हैं।
पूसा 9712 (PUSA 9712) ➢ सोयाबीन के इस किस्म की औसत उपज 20.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं यह किस्म 116 दिनों मे पककर तैयार हो जाता हैं।
पी. के. 472 (P.K 472) ➢ सोयाबीन के इस किस्म की पैदावार 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं इस किस्म के फूल सफेद रंग के होते हैं। यह किस्म 110 से 115 दिनों मे पककर तैयार हो जाता हैं सोयाबीन के इस किस्म मे फलियां चटकने की समस्या नही हैं।
फुले अग्रणी (Phule Agrani) ➢ सोयाबीन के इस किस्म की पैदावार 24 से 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं इस किस्म की फसल को पकने में 94 दिनों का समय लगता है। यह किस्म तना मक्खी एवं लीफ रोलर के प्रति मध्यम सहनशील हैं।
एन.आर.सी. 37 (N.R.C 37) ➢ इस किस्म की फसल को पकने में 110 दिनों का समय लगता है। इस किस्म की उपज 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं। सोयाबीन के इस किस्म के फूल सफेद रंग के होते है एवं इसके दानों का रंग पीला होता हैं।
जे.एस. 95-60 (J.S 95-60) ➢ यह सोयाबीन की जल्दी पकने वाली किस्म हैं इस किस्म की फसल को पकने में 85 दिनों का समय लगता है। सोयाबीन के इस किस्म के फूल बैगनी रंग के होते है एवं इसके दानों का रंग पीला होता हैं। पर्ण भक्षी कीटों के लिए यह किस्म प्रतिरोधी हैं।
आर.के.एस 45 (R.K.S 45) ➢ इस किस्म की फसल की पकने की अवधि 98 से 100 दिनों की हैं इस किस्म की उपज 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं।
आर.के.एस 18 (R.K.S 18) ➢ इस किस्म की फसल की पकने की अवधि 95 से 100 दिनों की हैं इस किस्म की उपज 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं।
एम.ए.यू.एस 158 (M.A.U.S 158) ➢ इस किस्म की फसल को पकने में 96 दिनों का समय लगता है। सोयाबीन के इस किस्म के फूल बैगनी रंग के होते है। इस किस्म की उपज 22 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं।
वी.एल.सोया 89 (V.L. Soya 89) ➢ इस किस्म की फसल की पकने की अवधि 111 से 120 दिनों की हैं इस किस्म की उपज 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं।
पी.एस 1477 (P.S 1477) ➢ इस किस्म की फसल की पकने की अवधि 113 से 120 दिनों की हैं इस किस्म की उपज 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं।
डी.एस.बी 21 (D.S.B 21) ➢ इस किस्म की फसल की पकने की अवधि 90 से 95 दिनों की हैं इस किस्म की उपज 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं।
* सोयाबीन के राज्यवार किस्मों को यहाँ से जाना जा सकता हैं ➢ क्लिक करें
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