Thursday, May 2, 2024

Bajra ki Kheti : बाजरा की खेती कैसें करें, यहां से जानें बाजरा की खेती की A टू Z जानकारी। Bajra Farming in hindi

मोटे अनाज वाली फसलों मे बाजरा (Millet) एक महत्वपूर्ण फसल हैं जिसकी खेती (Bajra ki Kheti) खरीफ के मौसम मे की जाती हैं। 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स या मोटा अनाज वर्ष के तौर पर घोषित किया गया है। केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार दोनों ही मोटे अनाजों की खेती को प्रोत्साहित कर रही है और इसके प्रचार और उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है। सरकार मोटे अनाज ज्वार, बाजरा, रागी, सावन, कांगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू आदि फसलों की खेती को बढ़ावा देने पर जोर दे रही हैं। मोटा अनाज प्रोटीन, फाइबर और आयरन, कैल्शियम जैसे खनिजों का एक अच्छा स्रोत होता हैं जिसके कारण लोग इसे सुपरफूड भी कहते हैं। मोटा अनाज कुपोषण से लड़ने, मोटापा कम करने के साथ-साथ डायबिटीज, हाइपरटेंशन और दिल से जुड़ी बीमारियों के खतरे को भी कम करने में सहायक हैं।

अनाज वाली सभी फसलों की अपेक्षा बाजरे मे सबसे ज्यादा खनिज तत्व पाये जाते हैं साथ ही बाजरा सभी आनज वाली फसलों मे सबसे ज्यादा सुखा सहनशील फसल हैं। बाजरा शुष्क एवं कम वर्षा वाले क्षेत्रों की प्रमुख फसल हैं यह फसल अधिक तापमान एवं सूखे के प्रति सहनशील हैं। जिन क्षेत्रों मे कम वर्षा एवं अधिक तापमान होता हैं उन क्षेत्रों मे इसकी खेती एक अच्छा विकल्प हैं। बाजरा का पौष्टिकता मे कोई जबाब नही हैं इसमे 11.6% प्रोटीन, 67% कार्बोहाइड्रेट, 5% वसा तथा 2.7% खनिज लवण पाया जाता हैं। बाजरा से कई स्वादिष्ट व्यंजन बनाये जाते हैं जैसे कि रोटी, चूरमा, राबङी, बाटी आदि। बाजरे से बाजरा लड्डू, बिस्कुट, मठरी, बाजरा केक, बाजरा नमकीन एवं बाजरा टिक्की आदि उत्पाद भी बनाये जाते हैं जोकि खाने मे काफी स्वादिष्ट होते हैं।

बाजरा को खाने के अलावा बाजरा के पौधे को पशुओ के हरे चारे एवं सूखे चारे के रूप मे भी बङी मात्रा मे इस्तेमाल किया जाता हैं साथ ही बाजरे का इस्तेमाल मुर्गियों के दाने के रूप मे भी किया जाता हैं। बाजरा की खेती मे मेहनत और लागत कम लगने के कारण इसकी खेती से अच्छी आमदनी हो सकती हैं। हमारे देश मे बाजरा की खेती (Bajra ki Kheti) का प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा हैं।

Bajra ki Kheti
Bajra ki Kheti

आज के इस लेख मे बाजरा की बुआई से लेकर कटाई तक की पूरी जानकारी देने की कोशिश की गई हैं। अगर आप भी बाजरा की खेती करने का सोच रहे हैं तो ये लेख आपको बाजरा की खेती (Bajra Farming in hindi) से संबंधित जानकारी जुटाने मे मदद कर सकता हैं।

बाजरा की किस्म (Bajra ki kism)

आई.सी.बी.एम 155 (I.C.B.M 155) पूसा 322 (Pusa 322)
डब्लू.सी.सी 75 (W.C.C 75) पूसा 23 (Pusa 23)
आई.सी.टी.बी 8203 (I.C.T.B 8203) आई.एम.एच 451 (I.M.H 451)
राज 171 (Raj 171) जी.एच.वी 316 (G.H.V 316)
जे.बी.वी 2 (J.B.V 2) पी.एच.बी 14 (P.H.B 14)
विजय कम्पोजित (Vijay Composites) बी.के 560 (B.K 560)
एच.एच.बी 67-2 (H.H.B 67-2) आई.सी.एम.एच 356 (I.C.M.H 356)
सी.जेड.पी 9802 (C.Z.P 9802) जी.एच.बी 538 (G.H.B 538)
आर.एच.बी 121 (R.H.B 121) जी.एच.बी 719 (G.H.B 719)
पूसा 605 (Pusa 605) एच.एच.बी 90 (H.H.B 90)
सुपर 82 (Super 82) एच.एच.बी 226 (H.H.B 226)
एम.पी.एम.एच 21 (M.P.M.H. 21) एम.पी.एम.एच 17 (M.P.M.H 17)
आर.एच.बी 177 (R.H.B 177) एम.बी.सी 2 (M.B.C 2)
एम.एच 169 (M.H 169) बी.एच.बी 1202 (B.H.B 1202)
बलवान (Balvan) जी.के 1116 (G.K 1116)
आर.एच.बी 223 (R.H.B 223) जे.के.बी.एच 1008 (J.K.B.H 1008)
एच.एच.बी 272 (H.H.B 272) पी.बी 1852 (P.B 1852)
जे.के.बी.एच 1326 (J.K.B.H 1326) डी.एच.बी.एच 1397 (D.H.B.H 1397)
प्रोएग्रो 9450 (Proagro 9450) पूसा 1201 (Pusa 1201)
पी.बी 1705 (P.B 1705) एक्स.एम.टी 1497 (X.M.T 1497)
के.बी.एच 3940 (K.B.H 3940) बायो 8145 (Bio 8145)
86 एम 82 (86 M 82) 86 एम 84 (86 M 84)
पी.एच.बी 2884 (P.H.B 2884) फुले महाशक्ति (Phule Mahashakti)
महाबीज 1005 (Mahabij 1005) पी.बी.एच 306 (P.B.H 306)

ऊपर के सारणी मे कुछ बाजरा के किस्मों का नाम दिया गया है।

बाजरा की खेती कैसें करें (Bajra ki Kheti kaise kare)

बाजरा की खेती के लिए मिट्टी एवं जलवायु (Soil and climate for Bajra cultivation)

बाजरा की खेती करने के लिए बलुई दोमट एवं दोमट मृदा अच्छी होती हैं इसकी खेती के लिए वैसी मृदा अच्छी नही होती हैं जो मृदा अम्लीय हो। अच्छे जल निकासी वाली एवं उच्च उर्वरता वाली भूमि इसकी खेती के लिए अच्छा होता हैं। किसानों को बाजरा की खेती (Bajra ki unnat kheti) करने के लिए ऐसी भूमि का चयन करना चाहिए जिसमे जल निकास की उचित व्यवस्था हो ऐसी भूमि का चुनाव करना इसकी खेती के लिए काफी अच्छा माना जाता हैं।

बाजरे की खेती के लिए 28 से 32 डिग्री सेन्टीग्रेड का तापमान उपयुक्त होता हैं इसकी फसल के लिए बुआई से लेकर कटाई तक उच्च तापमान की आवश्यकता होती हैं। बाजरे के पौधे के बढ़वार के समय नम तथा उष्ण जलवायु अधिक अच्छी होती हैं। 

Bajra ki Kheti
Bajra ki Kheti

बाजरा की खेती के लिए भूमि की तैयारी (Land preparation for millet cultivation)

किसी भी फसल से अच्छी पैदावर लेने के लिए भूमि की अच्छी तैयारी करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई करें। इसके बाद देसी हल या कल्टीवेटर से दो बार क्रॉस जुताई करके पाटा लगाकर मिट्टी को समतल कर लेना चाहिए। किसानों को खेत की जुताई हो जाने पर सिंचाई एवं जल निकासी की उचित व्यवस्था कर लेनी चाहिए।

बाजरा की बुआई का समय (Bajra ki buai ka samay)

बाजरा का सिंचित क्षेत्रों मे बुआई जुलाई के प्रथम पखवाङे तक की जा सकती हैं बाजरे की बुआई का उपयुक्त समय जून मध्य से जुलाई के तीसरे सप्ताह तक की हैं। किसानों को बाजरा की बुआई सही समय पर करना चाहिए क्योंकि बुआई के समय का प्रभाव सीधा उपज पर पङता हैं। 

1 हेक्टेयर मे बुआई के लिए बाजरा की बीज दर (Bajra seed rate for sowing in 1 hectare)

बाजरा की एक हेक्टेयर मे खेती करने के लिए 3 से 5 किलोग्राम बाजरा के बीज की आवश्यकता होती हैं। 

बीज की गहराई एवं दूरी (Seed depth and spacing)

बाजरे की बुआई हमेशा कतारों मे करनी चाहिए अगर बाजरा की बुआई कतारों मे की जा रही हो तो कतार से कतार की दूरी 45 से 60 सेंटीमीटर एवं पौधों से पौधों की दूरी 12 से 15 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। साथ ही इसकी बीज की बुआई 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई मे करनी चाहिए।

बाजरा के बीज का बीजोपचार (Seed treatment of millet seed)

बाजरा की बुआई से पहले इसके बीजों को उपचारित करना काफी अच्छा माना जाता हैं उपचारित बीज से बीज जनित रोग होने का भय नहीं रहता है। बाजरे की फसल को मृदाजनित रोगों से बचाने के लिए प्रति किलोग्राम बीज का 3 ग्राम थाइरम दवा से उपचार करें। बाजरा के बीज को 10 से 20 प्रतिशत नमक के घोल मे डुबोकर, अरगट रोग से प्रभावित बीजों को दूर किया जा सकता हैं।

बाजरा की बुआई की विधि (Bajra ki buai ki vidhi)

बाजरा की बुआई पंक्तियों मे करना इसकी खेती के लिए अच्छा माना जाता हैं। बाजरा की बुआई सीड ड्रिल अथवा कूँङ के हल के पीछे करना चाहिए। कतार में फसल बोने की वजह से सिंचाई, निराई-गुराई, कटाई आदि का कार्य करने मे आसानी होती हैं।

बाजरा की फसल मे सिंचाई (Bajra ki sichai kab kare)

बाजरे मे फूल आने, कल्ले बनने की अवस्था एवं दाना बनने के समय खेत मे पर्याप्त नमी का होना अच्छा होता हैं यदि फसलों की इन अवस्था मे वर्षा न हो तो फसलों को आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करें। फसल के पीला पङने से पहले सिंचाई करें।

बाजरा की फसल मे खरपतवार नियंत्रण (Weed control in millet crop)

बाजरा की फसल के साथ-साथ अनचाहे खरपतवार उग आते है जो मिट्टी में उपस्थित पोषक तत्व और उपर से दिये गए खाद एवं पानी को ग्रहण कर लेते हैं और पौधों के विकास मे बाधा उत्पन्न करते हैं। जिसके कारण बाजरा की खेती (Bajra ki kheti) मे किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पङ सकता हैं, अतः खरपतवारों पर नियंत्रण पाने के लिए बुआई के 25-30 एवं 45-50 दिन के बाद खुरपी की मदद से या मशीन द्वारा निदाई एवं गुङाई करें। गुङाई करते समय इस बात का ध्यान रखे की पौधों की जङे न कटे। खरपतवार का नियंत्रण रासायनिक विधि द्वारा भी किया जा सकता हैं।

बाजरा की फसल मे लगने वाले रोग एवं कीट (Diseases and pests in millet crop)

बाजरा की फसल मे भी कई तरह के रोग एवं कीट लगते है जिनमे प्रमुख्य कीट सफेद ग्रब, शूट फ्लाई, ग्रास हॉपर, ग्रे वीविल, इअर हेड बग, तना छेदक एवं हेयरी कैटरपिलर आदि है इन कीटों पर अगर समय रहते नियंत्रण न किया जाए तो इसका बुङा प्रभाव हमारी फसल पर पङती है जो की हमारी उपज को प्रभावित करती है। इन कीटों के अलावा बाजरा की फसल मे रोग का भी प्रकोप बना रहता है बाजरा की फसल मे प्रमुख्य रोग हरित बाली रोग एवं अर्गट आदि जैसे रोग बाजरा की फसल मे लगते है। इन सभी रोगों से बिना ज्यादा नुकसान के बचा जा सकता है बस जरूरत होती है फसल की अच्छी देखभाल की। अच्छी देखभाल के साथ-साथ अगर किसान को किसी रोग का लक्षण दिखे तो शुरुआती लक्षण दिखते ही इसके रोकथाम का इंतजाम करना चाहिए।

Bajra ki Kheti
Bajra ki Kheti
बाजरा की फसल की कटाई एवं दौनी (Harvesting of Bajra)

बाजरा की अलग-अलग किस्मों के अनुसार बाजरा की फसल की पकने की अवधि होती हैं यह अवधि 75 से 100 दिनों की होती हैं इतनी अवधि मे बाजरा की कोई भी किस्म पककर तैयार हो जाता हैं। जब फसल पककर तैयार हो जाती हैं तो पौधों की पत्तियां पीले रंग की एवं सुखी हुई दिखाई देती हैं। बाजरे की खङी फसल मे हसिया की मदद से बाली काट कर या पहले खेत से फसल काटकर खलिहान मे लायें इसके बाद बालियां काट लें। बाजरा की बालियों को धूप मे अच्छे से सुखाकर मङाई बैलों द्वारा या थ्रेशर मशीन के द्वारा कर लिया जाता हैं।

बाजरा की उपज (Yield of Bajra)

बाजरा की उपज बाजरा की किस्म, खेत की मिट्टी की उर्वरता शक्ति, एवं इसकी कैसी देखभाल की गई है इस पर भी निर्भर करता है वैसे आमतौर पर इसकी उपज लगभग 20 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है। इसकी उपज पूरी तरह से इसकी किस्म पर निर्भर करती है।

बाजरा का भंडारण (Bajra storage)

बाजरा का भंडारण अच्छे से सुखाने के बाद ही करें अगर बाजरा अच्छे से सुखा न होगा तो बाजरा खराब हो सकता है। खूब अच्छे से सुखाकर 10 से 12 प्रतिशत नमी पर भंडारण करें।

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बाजरा की खेती से संबंधित पूछे गए प्रश्न (FAQs)
बाजरे की बीज दर क्या है?
बाजरे की बीज दर 3 से 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हैं।
बाजरे की उपज कितनी होती है?
बाजरे की आमतौर पर उपज लगभग 20 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की है।
बाजरे की बुवाई कौन से महीने में की जाती है?
बाजरे की बुवाई जून-जुलाई महीने में की जाती है।
बाजरा सबसे ज्यादा कौन से राज्य में होता है?
बाजरा का सबसे ज्यादा उत्पादन राजस्थान मे होता हैं।
बाजरा मे कितना प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता हैं?
बाजरा मे 10 से 12 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता हैं। 
बाजरा कितने दिन में निकल आता है?
बाजरा 75 से 100 दिनों मे निकल आता हैं।

तो मुझे आशा है कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा, अगर आपको पसंद आया है तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे। और उन तक भी बाजरा की खेती (Bajra ki kheti in hindi) के बारे मे जानकारी पहुँचाए।

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