प्राचीन काल से ही पत्ता गोभी (Patta gobhi ki kheti) की खेती होते आ रहा हैं। पत्ता गोभी को बंदा गोभी एवं कैबेज के नाम से भी जानते हैं। पत्ता गोभी की मांग बाजार मे पूरे साल होती हैं क्योंकि पत्ता गोभी से कई तरह से स्वादिष्ट व्यंजन बनाये जाते हैं और साथ ही इसका इस्तेमाल चाउमीन एवं रॉल बनाने मे भी किया जाता हैं। पत्ता गोभी का उपयोग सब्जी, कढ़ी, सलाद, अचार, पकौङा बनाने मे भी किया जाता हैं। पत्ता गोभी मे प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा और साथ ही विटामिन ए, बी-1, विटामिन बी-2 एवं विटामिन सी पाया जाता हैं। पत्ता गोभी का खाने वाला भाग हेड कहलाता हैं जो पत्तियों द्वारा बनी गांठनुमा संरचना होती हैं।
वैसे तो सामान्यतः पत्ता गोभी की खेती शरद ऋतु मे की जाती हैं लेकिन बाजार आदि की मांग को देखते हुए इसकी खेती अब पूरे वर्ष पॉलीहाउस मे की जाती हैं जिससे सालों भर बाजार मे पत्ता गोभी उपलब्ध होता हैं। पत्तागोभी की बेमौसम खेती करने मे किसानों को ज्यादा मुनाफा होता हैं क्योंकि बेमौसम मे इसकी कीमत बाजार मे अच्छी मिलती हैं जिससे किसानों को इसकी खेती से अच्छी आमदनी होती हैं। पत्तागोभी की स्टोरेज क्षमता अच्छी होती हैं जिससे पत्ता गोभी को बाजार की आवश्यकता के अनुसार कुछ समय तक खेत मे रोक भी सकते हैं और जब कीमत अच्छी मिले तो इसे बेच कर अच्छे मुनाफे कमाए जा सकते हैं।
पत्ता गोभी का वानस्पतिक नाम रेसिका ओलेरेसिया हैं यह क्रूसीफेरी परिवार का एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं। इसका उत्पति स्थान भूमध्यसागर क्षेत्र हैं। भारत, चीन के बाद दुनिया में पत्ता गोभी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। भारत में सबसे अधिक पत्ता गोभी का उत्पादन पश्चिम बंगाल में होता हैं भारत में सब्जियों के अंतर्गत कुल खेती वाले क्षेत्र में पत्ता गोभी का 4% योगदान है।
आज के इस लेख मे पत्ता गोभी की रोपाई से लेकर कताई तक की पूरी जानकारी (Patta gobhi ki kheti jankari) देने की कोशिश की गई हैं। अगर आप भी पत्ता गोभी की खेती करने का सोच रहे हैं तो ये लेख आपको पत्ता गोभी की खेती (Cabbage Farming) से संबंधित जानकारी जुटाने मे मदद कर सकता हैं।
Page Contents
पत्ता गोभी की किस्म (Cabbage variety)
पूसा अगेती (Pusa Ageti) | बजरंग (Bajrang) |
पूसा मुक्ता (Pusa Mukta) | श्री गणेश गोल (Shree Ganesh Gol) |
पूसा ड्रम हैंड (Pusa drum hand) |
नाथ लक्षमी (Nath Lakshmi) |
पूसा संबंध (Pusa sambandh) |
अर्ली ड्रम हैंड (early drum hand) |
पूसा सिंथेटिक (Pusa synthetic) |
लेट ड्रम हैंड (let drum hand) |
कोपन हैगेन मार्केट (Copenhagen Market) | गोल्डन एकर (Golden Acre) |
अगस्त (august) | प्राइड ऑफ इंडिया (Pride of India) |
सितंबर (september) | रेड कैबज (red cabbage) |
उत्तम (Uttam) | पूसा कैबज 81 (Pusa Cabbage 81) |
ऊपर के सारणी मे कुछ पत्ता गोभी के किस्मों का नाम दिया गया है।
पत्ता गोभी की खेती कैसें करें (Patta gobhi ki Kheti kaise kare)
पत्ता गोभी की खेती के लिए मिट्टी एवं जलवायु (Soil and climate for cabbage cultivation)
वैसे तो पत्ता गोभी की खेती लगभग सभी प्रकार की मिट्टियों मे की जा सकती हैं लेकिन इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी को अच्छा माना जाता हैं। किसानों को पत्ता गोभी की खेती (Patta gobhi ki unnat kheti) करने के लिए ऐसी भूमि का चयन करना चाहिए जिसमे जल निकास की उचित व्यवस्था हो ऐसी भूमि का चुनाव करना इसकी खेती के लिए काफी अच्छा माना जाता हैं।
पत्ता गोभी ठंडी जलवायु की फसल हैं पत्ता गोभी की अच्छी पैदावार के लिए 15 से 20 डिग्री से. की तापमान को अच्छा माना जाता हैं।
पत्ता गोभी की खेती के लिए भूमि की तैयारी (Land preparation for cabbage cultivation)
किसी भी फसल से अच्छी पैदावर लेने के लिए भूमि की अच्छी तैयारी करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। खेत की भूमि को देसी हल या कल्टीवेटर से 2 से 3 बार जुताई करके पाटा लगाकर मिट्टी को समतल कर लेना चाहिए। किसानों को खेत की जुताई हो जाने पर सिंचाई एवं जल निकासी की उचित व्यवस्था कर लेनी चाहिए। (Cabbage cultivation)
पत्ता गोभी की नर्सरी कैसे तैयार करें (How to prepare cabbage nursery)
- जिस जगह पर पत्ता गोभी की फसल के लिए नर्सरी तैयार करनी है उस जगह की मिट्टी उपजाऊ होनी चाहिए। भूमि की जुताई हो जाने के बाद खेत की मिट्टी मे उपलब्ध खरपतवार को चुनकर बाहर निकाल लेना चाहिए जिससे की नर्सरी मे खरपटवारों का प्रकोप कम हो। मिट्टी मे गोबर या कम्पोस्ट की खाद को आवश्यकता के अनुसार मिलाकर मिट्टी को समतल कर लेना चाहिए।
- पत्ता गोभी की पौध तैयार करने के लिए क्यारियों का निर्माण कर ले। क्योरियों का निर्माण करते समय इस बात का ध्यान रखे की क्यारी जमीन से ऊंची उठी हुई हो ताकि वर्षा होने से क्यारी मे पानी न लगे। इसके बाद पत्ता गोभी के बीज को क्यारियों मे बुआई करें।
- नर्सरी मे बीजों की बुआई करने से पहले बीजों को उपचारित कर ले। बीजों को उपचारित करने से बीज जनित रोग नही होते हैं।
- क्यारियों मे बीज की बुआई हो जाने के बाद फौव्वारे या हजारे से हल्की सिंचाई करें।
- नर्सरी मे लगे पौधों को समय-समय पर देखते रहना चाहिए। नर्सरी मे कोई रोग आदि का प्रकोप दिखे तो उसका निदान जल्दी करना चाहिए।
- नर्सरी मे बुआई के 4 से 5 सप्ताह बाद पौध रोपण योग्य हो जाता हैं।
नोट – पत्ता गोभी की अगेती खेती के लिए अगस्त के अंतिम सप्ताह से सितंबर मध्य तक एवं मध्यम एवं पछेती किस्मों के लिए 15 सितंबर से अक्टूबर अंत तक बीज की बुआई नर्सरी मे कर देनी चाहिए।
पत्ता गोभी की बीज दर (Cabbage Seed Rate)
पत्ता गोभी की अगेती किस्मों के लिए 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती हैं एवं पछेती किस्मों के लिए 300 से 400 ग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती हैं।
पत्ता गोभी की पौध की रोपाई (Patta gobhi ki ropai)
पत्ता गोभी की रोपाई करते समय कतारों की बीच की दूरी 45 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की बीच की दूरी 45 सेंटीमीटर रखते हैं। संभव हो तो पौधों की रोपाई शाम के समय मे करे एवं रोपाई हो जाने पर हल्की सिंचाई करे।
पौध की रोपाई करते समय इस बात का ध्यान रखे कि वैसे पौधे को न लगाया जाए जो कि पहले से ही रोगों से ग्रसित हो और जो पौधा शुरू मे ही रोपाई के समय या रोपाई के कुछ दिन बाद मर जाए या सुख जाए तो वैसे पौधों के जगह पर नई पौधों का रोपाई करें। कतार में रोपाई करने की वजह से सिंचाई, निराई-गुराई एवं कटाई आदि का कार्य करने मे आसानी होती हैं। (Cabbage ki kheti)
पत्ता गोभी की फसल मे सिंचाई (Patta gobhi ki sichai)
पत्ता गोभी की फसल की सिंचाई आवश्यकता के अनुसार करते रहना चाहिए जिससे की फसल को पानी की कमी न हो। बरसात के दिनों मे अगर बराबर वर्षा हो रही हैं तो ऐसे मे सिंचाई की आवश्यकता नही होती हैं। ग्रीष्मकाल मे पत्ता गोभी की फसल की हर 5 से 6 दिनों पर सिंचाई की आवश्यकता पङती हैं अन्य सूखे दिनों मे 10 से 12 दिनों पर सिंचाई करना चाहिए। आवश्यकता पङने पर ही सिंचाई करें। पत्ता गोभी की खेती मे भी अब ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल किया जा रहा हैं।
संभव हो तो किसानों को ड्रिप सिंचाई प्रणाली को अपनाना चाहिए। ड्रिप सिंचाई का पत्ता गोभी की खेती (Cabbage Farming) मे इस्तेमाल होने से पानी की बचत होगी साथ ही पत्ता गोभी की खेती से अधिक उत्पादन भी प्राप्त किया जा सकता हैं।
पत्ता गोभी की फसल मे खरपतवार नियंत्रण (Weed control in cabbage crop)
पत्ता गोभी की फसल के साथ-साथ अनचाहे खरपतवार उग आते है जो मिट्टी में उपस्थित पोषक तत्व और उपर से दिये गए खाद एवं पानी को ग्रहण कर लेते हैं और पौधों के विकास मे बाधा उत्पन्न करते हैं। जिसके कारण पत्ता गोभी की खेती (Cabbage farming) मे किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पङ सकता हैं, अतः खरपतवारों पर नियंत्रण पाने के लिए रोपाई के बाद दो तीन निराई – गुङाई करके खरपटवारों पर नियंत्रण पाया जा सकता हैं। निराई – गुङाई करते समय इस बात का ध्यान रखे की पौधों की जङे न कटे। खरपतवार का नियंत्रण रासायनिक विधि द्वारा भी किया जा सकता हैं।
मिट्टी चढ़ाना
यदि वर्षा ऋतु मे पौधों के जङो के पास की मिट्टी हट गई हो तो ऐसे मे जङो के पास चारों तरफ से हल्की मिट्टी चढ़ा देनी चाहिए।
पत्ता गोभी की फसल मे लगने वाले रोग एवं कीट (Diseases and pests of cabbage crop)
पत्ता गोभी की फसल मे भी कई तरह के रोग एवं कीट लगते है जिनमे प्रमुख्य कीट डायमंड बैक मोथ, तंबाकू की सुंडी, कुबङा कीङा एवं चेपा आदि है इन कीटों पर अगर समय रहते नियंत्रण न किया जाए तो इसका बुङा प्रभाव हमारी फसल पर पङती है जो की हमारी उपज को प्रभावित करती है। इन कीटों के अलावा पत्ता गोभी की फसल मे रोग का भी प्रकोप बना रहता है पत्ता गोभी की फसल मे प्रमुख्य रोग गलन रोग, डाउनी मिल्डयू, आद्रगलन एवं आल्टरेनिया आदि जैसे रोग पत्ता गोभी की फसल मे लगते है। इन सभी रोगों से बिना ज्यादा नुकसान के बचा जा सकता है बस जरूरत होती है फसल की अच्छी देखभाल की। अच्छी देखभाल के साथ-साथ अगर किसान को किसी रोग का लक्षण दिखे तो शुरुआती लक्षण दिखते ही इसके रोकथाम का इंतजाम करना चाहिए।
पत्ता गोभी की तुड़ाई (Cabbage Picking)
पत्ता गोभी की तुड़ाई उस समय करनी चाहिए जब हेड ठोस एवं पूरे आकार का हो जाए। पत्ता गोभी के हेड को एक लंबे चाकू या दरांती से काटा जाता है। अगेती किस्मों को तैयार होने मे रोपाई के बाद 60 से 80 दिनों का समय लगता हैं वहीं पछेती किस्मों को तैयार होने मे 100 से 120 दिनों का समय लगता हैं।
पत्ता गोभी की उपज (cabbage yield)
पत्ता गोभी की उपज पत्ता गोभी की किस्म, खेत की मिट्टी की उर्वरता शक्ति, एवं इसकी कैसी देखभाल की गई है इस पर भी निर्भर करता है वैसे आमतौर पर अच्छी तरह से उगाई गई फसल से लगभग 20 से 40 टन प्रति हेक्टेयर उपज होती हैं। इसकी उपज पूरी तरह से इसकी किस्म पर निर्भर करती है।
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पत्ता गोभी की खेती से संबंधित पूछे गए प्रश्न (Cabbage FAQs)
पत्ता गोभी उगाने में कितना समय लगता है? |
पत्ता गोभी उगाने मे 3 से 4 महीने का समय लगता हैं। |
एक हेक्टेयर मे पत्ता गोभी की खेती करने के लिए कितना बीज की आवश्यकता होती हैं? |
एक हेक्टेयर मे खेती करने के लिए 500 ग्राम बीज की आवश्यकता होती हैं। |
पत्ता गोभी की प्रमुख्य कीट कौन हैं? |
डायमंड बैक मोथ पत्ता गोभी की प्रमुख्य कीट हैं। |
पत्ता गोभी मे पाया जाने वाला विषैला पदार्थ क्या हैं। |
पत्ता गोभी में मौजूद एक विषैला यौगिक सिनिग्रिन (sinigrin) है। |
भारत मे पत्ता गोभी की खेती सबसे ज्यादा किस राज्य मे होती हैं? |
भारत में सबसे अधिक पत्ता गोभी का उत्पादन पश्चिम बंगाल में होता हैं |
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