Sunday, May 12, 2024

Masoor ki kisme : जानिए, मसूर की किस्में एवं इसकी विशेषताएं और पैदावार के बारे मे। lentil varieties

मसूर (lentil) दलहनी फसलों मे सबसे पुराना एवं महत्वपूर्ण फसल हैं यह हमारे देश मे उगाई जाने वाली प्रमुख्य दलहनी फसल हैं। इसकी खेती रबी के मौसम मे की जाती हैं। मसूर की खेती समान्यतः खरीफ की फसल की कटाई के बाद की जाती हैं इसकी खेती के लिए ठंडी जलवायु उपयुक्त होती हैं। इसकी खेती मुख्यतः उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसग़ढ़, झारखंड आदि राज्यों मे की जाती हैं। भारत विश्व में दालों का बड़ा उत्पादक है। मसूर उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है एवं क्षेत्रफल मे पहला स्थान हैं।

आमतौर पर हमारे घरों मे मसूर दाल (Masoor dal) का उपयोग लगभग प्रतिदिन या एक दो दिन बीच करके होता ही हैं। मसूर मे लगभग 25 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता हैं साथ ही इसमे वसा, कार्बोहाइड्रेट, रेशा एवं खनिज लवण भी पाया जाता हैं जिसके कारण इसका सेवन करना सेहत के लिए फायदेमंद होता हैं। मसूर के दाल के सेवन करने से कई तरह की बीमारियाँ नही होती हैं। मसूर की दाल जिसे लाल दाल के नाम से भी जाना जाता है बाजारों मे मसूर छिलके सहित या बिना छिलके वाली पूरी या विभाजित दाल के रूप मे बेची जाती हैं। मसूर का उपयोग दाल के अलावा नमकीन, मिठाइयां एवं दूसरे व्यंजन बनाने मे किया जाता हैं। शाकाहारी लोगों के लिए भोजन मे मसूर का दाल प्रोटीन का मुख्य स्त्रोत मानी जाती हैं।

Masoor ki kisme
Masoor ki kheti

मसूर की खेती करने से पहले मसूर की किस्मों (Masoor ki kisme) के बारे मे जानकारी होना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. क्योंकि मसूर की कई ऐसी किस्मे है जिनकी अलग-अलग पैदावार और विशेषता होती है। नीचे के सारणी मे मसूर की कुछ किस्मों के साथ उसकी पैदावार और विशेषता की जानकारी दी गई है तो आइये विस्तार से जानते है कि मसूर की खेती के लिए कौन-कौन से किस्मे है और इन किस्मों की क्या खासियत है।

मसूर के किस्में (Masoor ki kisme)

पी.डी.एल. 1 (P.D.L -1) पूसा अवंतिका एच.यू.एल. 57 (H.U.L 57)
पी.एस.एल. 9 (P.S.L- 9) पूसा युवराज डी.पी.एल 62 (D.P.L 62)
पंत मसूर 9 (Pant Masoor 9) आई. पी. एल. 316 (I.P.L. 316)
जे.एल 3 (J.L 3) आर.वी.एल. 30 (R.V.L 30)
जे.एल 1 (J.L 1)
आर.वी.एल. 31 (R.V.L 31)
वी. एल. मसूर 4 (V. L. Masoor 4) पी.एल 8 (P.L 8)
मल्लिका (Mallika) – के. 75 एल.एल 218 (L.L 218)
एल. 4594 (L. 4594) एल. 4717 (L. 4717)
पंत एल. 209 (Pant L. 209) एल. 4727 (L. 4727)
आई. पी. एल. 81 (I.P.L. 81) – नूरी
एल. 4729 (L. 4729)
एल. 4076 (L. 4076) एल. 4117 (L. 4117)
पंत 406 (Pant 406)
के.एल. एस. 218 (K.L.S. 218)
बी.आर 25 (B.R 25)
डी.पी.एल. 62
पंत के. 639 (Pant K. 639)
बी.एल 126 (B.L 126)
आई.पी.एल. 406 (I.P.L. 406) बी.एल 507 (B.L 507)
हरियाणा मसूर 1 (Haryana Masoor 1)
बी.एल 129 (B.L 129)
डब्लू.बी.एल. 77 (W.B.L. 77)
पंत मसूर 6 (Pant Masoor 6)
पूसा मसूर 5 (Pusa Masoor 5)
पंत मसूर 7 (Pant Masoor 7)
शेखर मसूर 2 (Shekhar Masoor 2)
पंत मसूर 8 (Pant Masoor 8)
शेखर मसूर 3 (Shekhar Masoor 3)
एल.एल. 931 (L.L 931)
आई.पी.एल. 526 (I.P.L. 526) आई.पी.एल. 220 (I.P.L. 220)

मसूर की किस्मों की विशेषताएं और पैदावार (Characteristics and yield of lentil varieties)

पी.एस.एल. 9 (पूसा युवराज) : यह किस्म उत्तर प्रदेश और हरियाणा में खेती करने के लिए उपयुक्त है। इस किस्म की फसल को पकने में 112 से 130 दिनों का समय लगता है। यह किस्म प्रमुख किट और रोगों के लिए प्रतिरोधी हैं। इस किस्म की औसत उपज 9.49 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं।

मलिका (के 75) : इस किस्म की फसल को पकने में 115 से 120 दिनों का समय लगता है। इस किस्म की औसत उपज 10.12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं। यह किस्म उकठा रोग के प्रतिरोधी हैं। इसकी बुआई का उपयुक्त समय 18 अक्टूबर से 15 नवंबर की हैं।

Masoor ki kisme
मसूर का खेत

एल. 4717 (पूसा अगेती मसूर) : यह किस्म मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में खेती करने के लिए उपयुक्त है। इस किस्म की फसल को पकने में 100 दिनों का समय लगता है। यह किस्म चूर्णनिल आसिता के लिए प्रतिरोधी एवं झुलसा तथा उकठा रोग के लिए मध्यम प्रतिरोधी हैं। इस किस्म की औसत उपज 12.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं। 

एल. 4729 (L. 4729) : यह किस्म मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में खेती करने के लिए उपयुक्त है। इस किस्म की फसल को पकने में 103 दिनों का समय लगता है। यह किस्म उकठा रोग के लिए मध्यम प्रतिरोधी हैं। इस किस्म की औसत उपज 17.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं। 

पी.डी.एल. 1 (पूसा अवंतिका) : यह किस्म उत्तर प्रदेश और हरियाणा में खेती करने के लिए उपयुक्त है। इस किस्म की फसल को पकने में 111 से 140 दिनों का समय लगता है। यह किस्म विल्ट, रतुआ, स्टेमफिलियम ब्लाइट, फली भेदक और माहू के लिए प्रतिरोधी हैं। इस किस्म की औसत उपज 9.83 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं। 

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एल. 4727 (L. 4727) : यह किस्म मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में खेती करने के लिए उपयुक्त है। इस किस्म की फसल को पकने में 103 दिनों का समय लगता है। यह किस्म उकठा रोग के लिए मध्यम प्रतिरोधी हैं। इस किस्म की औसत उपज 11.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं। इसमे प्रोटीन की मात्रा 26.5 प्रतिशत होती हैं। 

एल. 4076 (L. 4076) : यह किस्म उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र एवं मध्य क्षेत्र में खेती करने के लिए उपयुक्त है। इस किस्म की फसल को पकने में 125 दिनों का समय लगता है। यह किस्म उकठा रोग प्रतिरोधी हैं। इस किस्म की औसत उपज 13.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं। इसकी दाने माध्यम मोटाई वाली होती हैं। 

यह भी पढे..जानिये धान के उन्नत एवं हाइब्रिड किस्म एवं इसकी विशेषताएं और पैदावार के बारे मे

एल. 4117 (L. 4117) : यह किस्म उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र में खेती करने के लिए उपयुक्त है। इस किस्म की फसल को पकने में 125 दिनों का समय लगता है। यह किस्म उकठा रोग प्रतिरोधी हैं। इस किस्म की औसत उपज 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं। इसकी दाने छोटी होती हैं।

masoor
masoor

आई.पी.एल. 81 (नूरी) : इस किस्म की फसल को पकने में 110 से 115 दिनों का समय लगता है। इस किस्म की औसत उपज 12.14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं।

पंत मसूर 9 (Pant Masoor 9) : यह छोटे दाने वाली मसूर की किस्म (Masoor ki kisme) हैं इसके दाने गहरे भूरे रंग की होती हैं तथा इससे बनने वाली दाल हल्ली नारंगी रंग की होती हैं। इसकी खेती पूरे देश मे की जा सकती हैं। यह किस्म मसूर की प्रमुख बीमारी गेरुई (रस्ट), उकठा रोग तथा फली छेदक किट के लिए अवरोधी हैं। इसकी फसल 120 से 125 दिनों मे पककर तैयार हो जाती हैं। इस किस्म की औसत उपज 14 से 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं।

जे.एल 1 (J.L 1) : इस मसूर के किस्म की फसल को पकने में 112 से 118 दिनों का समय लगता है। इस किस्म की औसत उपज 11.13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं।

जे.एल 3 (J.L 3) : इस मसूर के किस्म की फसल को पकने में 110 से 115 दिनों का समय लगता है। इस किस्म की औसत उपज 14.15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। farming in hindi

आर.वी.एल. 30 (R.V.L 30) : इस मसूर के किस्म की फसल को पकने में 105 से 110 दिनों का समय लगता है। इस किस्म की औसत उपज 14.15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

पंत 406 (Pant 406) : इस मसूर की किस्म की बुआई का समय 25 अक्टूबर से 25 नवंबर की हैं। यह किस्म जङ सङन एवं उकठा रोग के लिए प्रतिरोधी हैं। इसका दाना छोटा होता हैं।

बी.आर 25 (B.R 25) : यह मसूर की किस्म जङ सङन रोग के लिए प्रतिरोधी हैं इसकी बुआई का समय 16 अक्टूबर से 15 नवंबर की हैं।

masoor dal
masoor dal

आई.पी.एल. 220 (I.P.L. 220) : यह किस्म उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में खेती करने के लिए उपयुक्त है इसका दाना छोटा होता हैं। इस किस्म की फसल को पकने में 119 से 122 दिनों का समय लगता है। इस किस्म की औसत उपज 13 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं।

एच.यू.एल. 57 (H.U.L 57) : यह किस्म उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में खेती करने के लिए उपयुक्त है इसका दाना छोटा होता हैं। इस किस्म की फसल को पकने में 117 से 123 दिनों का समय लगता है। इस किस्म की औसत उपज 12 से 14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं।

बी.एल 126 (B.L 126) : यह किस्म उत्तर-पर्वतीय क्षेत्रों में खेती करने के लिए उपयुक्त है इसका दाना छोटा होता हैं। इस किस्म की फसल को पकने में 160 से 170 दिनों का समय लगता है। इस किस्म की औसत उपज 11 से 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं।

हरियाणा मसूर 1 (Haryana Masoor 1) : यह किस्म हरियाणा के लिए उपयुक्त है इसका दाना छोटा होता हैं। इस किस्म की फसल को पकने में 134 से 138 दिनों का समय लगता है। इस किस्म की औसत उपज 14 से 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं।

Masoor ki kisme
मसूर का पौधा

के.एल. एस. 218 (K.L.S. 218) : यह किस्म उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में खेती करने के लिए उपयुक्त है इसका दाना छोटा होता हैं। इस किस्म की फसल को पकने में 120 से 125 दिनों का समय लगता है। इस किस्म की औसत उपज 12 से 14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं।

तो मुझे आशा है कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा, अगर आपको पसंद आया है तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे। और उन तक भी मसूर के किस्मों (Masoor ki kisme) के बारे मे जानकारी पहुँचाए।

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