Monday, April 29, 2024

Gehu ki kheti : गेहूं की खेती कैसे करें, जानियें बुआई से लेकर कटाई तक की पूरी जानकारी।

किसान धान की कटाई के तुरंत बाद गेहूँ की खेती (Gehu ki kheti) की तैयारी मे लग जाते है गेहूं की फसल रबी की प्रमुख फसलों मे से एक है। गेहूँ (Wheat) रबी ऋतु मे उगाई जाने वाली अनाज की महत्वपूर्ण फसल है, गेहूँ उत्पादन मे हमारे देश का प्रमुख्य स्थान है भारत मे खाद्यान्न उत्पादन मे गेहूँ का धान के बाद दूसरा स्थान है। गेहूँ की फसल से अनाज के साथ-साथ भूसे के रूप मे अच्छा चारा भी किसानों को प्राप्त होता है. गेहूँ से प्राप्त चारा को किसान अपने पशुओ के आहार मे प्रयोग करते है। गेहूँ प्रोटीन, विटामिन एवं कार्बोहाइड्रेट का स्त्रोत है यह संतुलित भोजन प्रदान करता है गेहूँ के दाने मे ग्लूटिन नामक प्रोटीन पाया जाता है।

भारत में उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और बिहार प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य हैं। कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (apeda) के रिपोर्ट के अनुसार 2020-21 के दौरान भारत से 4,037.60 करोड़ रुपए / 549.70 अमरीकी मिलियन अमरीकी डॉलर की कीमत पर 20,88,487.66 मीट्रिक टन गेहूं निर्यात किया गया था।

Gehu ki kheti
Gehu ki kheti

हमारे देश के लगभग सभी राज्यों मे गेहूं की खेती की जाती हैं गेहूँ न सिर्फ एक पौष्टिक आहार है बल्कि बिस्कुट, केक, ब्रेड उधोग के लिए अति महत्वपूर्ण फसल है क्योंकि गेहूं से कई तरह के उत्पाद बनाये जाते हैं इन उत्पादों की मांग बाजारों मे काफी होता हैं जिससे गेहूं से उत्पाद बनाने वाली कंपनियां काफी आमदनी कमाती हैं। अगर गेहूं की खेती सही समय पर एवं सही तरीके से की जाए तो किसानों को अच्छी उपज मिलती हैं। गेहूं की कई ऐसी किस्में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान एवं देश के कृषि विश्वविद्यालयो द्वारा विकशित किया गया है जो अलग-अलग क्षेत्रों के वातावरण एवं मिट्टी मे अच्छी उपज देती हैं। आज के इस लेख मे गेहूं की बुआई से लेकर कटाई तक की पूरी जानकारी देने की कोशिश की गई हैं। अगर आप भी गेहूं की खेती करने का सोच रहे हैं तो ये लेख आपको गेहूं की खेती से संबंधित जानकारी जुटाने मे मदद कर सकता हैं।

Page Contents

गेहूँ की किस्म (Gehu ki kisme)

HI 1544 (Purna) HD 2967
HD 2888 (Pusa Wheat 107) HD 3086 (Pusa Gautami)
HI 1531 (Harshita) HD 3090 (Pusa Amulya)
HD 2833 (Pusa Tripti) HW 1098 (Nilgiri Khapli)
HD 2851 (Pusa Vishesh) HD 3118 (Pusa Vatsala)
HI 8627 (Malavkranti) HS542
HD 2824 (Poorva) HD 3117
HD 2864 (Urja) HDCSW 18
WR 544 (Pusa Gold) HW 5207 [COW3]
HI 1500 (Amrita) Central Wheat HS562
HS 375 (Himgiri) HD 3171
HS 420 (Shivalik) HD 4728 (Pusa Malwi)
HW 2045 (Kaushambi) HD 3043
HI 1479 (Swarna) HI 1563
HD 2733 (VSM) HD 2985 (Pusa Basant)
HD 4672 (Malavratan) HS 507 (Pusa Suketi)
HI 8498 (Malavshakti) HD 2987 (Pusa Bahar)
HD 2687 (Shresth) HW 5207 (Pusa Navagiri)
HI 1454 (Aabha) HD 2967 (Pusa Sindhu Ganga)
HI 1418 (Naveen Chandausi) HI 8638 (Malavkranti)
HS 365 HS 490 (Pusa Baker)
HD 2781 (Aditya) HD 2894 (Pusa Wheat 109)
HP 1744 (Rajeshwari) HD 2932 (Pusa Wheat 111)
HW 2004 (Amar) HI 8663 (Poshan)
HP 1761 (Jagdish) HP 1731 (Rajlaxmi)
HD 2643 (Ganga) HI 8381 (Malavshri)
DL 788-2 (Vidisha) HS 295
HP 1633 (Sonali) HS 277
राज 3077 राज 4120
राज 3765 WH-147
राज 3777 D-134
राज 4080 PBW-502
राज 4037 लोक -1
कल्याण सोना (एस-227) सोनालिका (आर. आर- 21)
यू.पी – 301 यू.पी – 310
यू.पी – 319 यू.पी – 215
यू.पी – 262 यू.पी – 368
जे.डब्ल्यू. 3173 जे.डब्ल्यू. 3288
एच.आई. 1531 जे.डब्ल्यू. 3173
जे.डब्ल्यू. 17 एम.पी. 4010
एचडी 3226 (HD -3226 )  राज 1482
जी. डब्ल्यू.- 173 जी. डब्ल्यू.- 190
एच.आई. 1454 जे.डब्ल्यू. 1201

ऊपर के सारणी मे कुछ गेहूँ के किस्मों का नाम दिया गया है।

गेहूं की खेती के लिए मिट्टी एवं जलवायु (Soil and Climate for Wheat Cultivation)

गेहूँ ठंडे मौसम की फसल हैं इसकी फसल के लिए विभिन्न अवस्थाओ पर भिन्न-भिन्न तापमान की आवश्यकता होती है। गेहूं के बीज के अंकुरण के लिए 20-25 डिग्री सेन्टीग्रेड का तापमान उचित माना जाता हैं और बढ़वार के लिए 27 डिग्री सेन्टीग्रेड से अधिक तापमान होने पर विपरीत प्रभाव होता हैं और पौधों की सुचारु रूप से बढ़वार नही हो पाती हैं। गेहूं मे फूल आने के समय कम तथा अधिक तापमान गेहूं के फसल के लिए हानिकारक होता हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण गेहूं की उत्पादकता पर पतिकूल प्रभाव पर सकता है।

वैसे तो गेहूं की खेती हर प्रकार की मिट्टी मे की जा सकती हैं लेकिन गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए दोमट एवं बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। जल निकासी और सिचाई के उचित प्रबंधन से मटियार और रेतीली मिट्टी मे भी गेहूँ की खेती की जा सकती है। गेहूँ की खेती के लिए मिट्टी का पी0 एच0 मान 6.5 से 7.5 अच्छा माना जाता है। ऐसी भूमि जिसमे जल जमाव होता हो इसकी खेती के लिए अच्छा नहीं माना जाता हैं क्योंकि गेहूं की फसल मे ज्यादा पानी लगने से गेहूं की फसल पीले होकर नष्ट हो जाती हैं।

Gehu ki kheti
Gehu ki kheti

गेहूं की खेती के लिए भूमि की तैयारी (Land preparation for wheat cultivation)

किसी भी फसल से अच्छी पैदावर लेने के लिए भूमि की अच्छी तैयारी करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल यानि की मोल्ड बोर्ड हल (Mould Board Plough) या डिस्क हैरो से करनी चाहिए। इसके बाद हैरो द्वारा क्रॉस जुताई करके कल्टीवेटर से एक जुताई करके पाटा लगाकर मिट्टी को समतल कर लेना चाहिए। अगर एक या दो जुताई करने से ही खेत खरपतवार रहित हो जाए और भूमि मे पर्याप्त नमी रहे तो गेहूं की बीज की बुआई की जा सकती हैं।

गेहूं (Wheat) की खेती को आसान बनाने के लिए बाजार मे कई मशीने उपलब्ध है जो गेहूं की खेती की बुआई से लेकर कटाई तक का कार्य आसानी से करती है। ऐसा ही एक मशीन हैं ज़ीरो टिलेज। जो गेहूं की बुआई धान की कटाई के तुरंत बाद खेत मे उपस्थित नमी का उपयोग करके बिना जुताई किए हुए खेत में एक निश्चित गहराई मे मिट्टी के नीचे खाद तथा बीज को कतारों में बनाए गए कूड़ों में रखना इस मशीन का कार्य है। यह यंत्र धान की हाथ से कटाई की गई खेतो मे गेहूं की बुआई के लिए काफी अच्छा माना जाता हैं। इस मशीन से बुआई करने पर बीज भी कम लगता हैं।

गेहूं की बुआई का समय (Gehu ki buai ka samay)

वर्षा आधारित क्षेत्र मे गेहूं की बुआई का समय अक्टूबर के द्वितीय पक्ष से – नवंबर के प्रथम सप्ताह तक
सिंचित क्षेत्र मे गेहूं की समय पर बुआई का समय नवंबर के पहली सप्ताह – नवंबर के अंतिम सप्ताह तक
सिंचित क्षेत्र मे गेहूं की देर से बुआई का समय दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक

1 हेक्टेयर मे बुआई के लिए गेहूं की बीज की मात्रा (Wheat seed quantity for sowing in 1 hectare)

1 हेक्टेयर मे गेहूं की खेती करने के लिए 100 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती हैं। वहीं अगर सिंचित क्षेत्रों मे देरी से गेहूं की बुआई की जा रही हैं तो ऐसे मे 125 किलोग्राम गेहूं की बीज की आवश्यकता होती हैं। किसानों को ये सलाह दी जाती हैं कि गेहूं की खेती करने पर हमेशा प्रमाणित बीजों (certified seed) का ही बुआई करें ।

गेहूं के बीज का बीजोपचार (Gehu seed treatment)

गेहूं की बुआई से पहले इसके बीजों को उपचारित करना काफी अच्छा माना जाता हैं उपचारित बीज से बीज जनित रोग होने का भय नहीं रहता है तथा अंकुरण भी अच्छा होता है। बीजों को उपचारित करने के लिए बुआई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम थाइरम या 2.5 ग्राम मैंन्कोजेब या टेबुकोनोजोल 1 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करना चाहिए।

गेहूं की बुआई की विधि (Gehu ki buai ki vidhi in hindi)
आमतौर पर ज्यादातर किसान पारंपरिक विधि से गेहूं की बुआई छीटकर करते हैं जो कि वैज्ञानिक तरीका नही हैं। इस विधि से बुआई करने पर खरपतवार नियंत्रण, निराई, गुडाई एवं अन्य सस्य क्रियाओं करने मे किसानों को दिक्कतों का सामना करना पङता हैं। साथ ही इस विधि से बुआई करने पर बीज ज्यादा लगता हैं तथा जमाव कम, असमान पौध संख्या होने से पैदावार मे भी कमी आती हैं।
गेहूं की बुआई के लिए वैज्ञानिक तकनीक से विकसित कई तरह के बुआई यंत्र आज बाजार मे उपलब्ध हैं जिसके माध्यम से बुआई का कार्य करना आसान तो हुआ ही हैं साथ ही इसके इस्तेमाल से बुआई की लागत मे भी कमी आई हैं तो आइये जानते हैं गेहूं की बुआई करने की कुछ मशीनों के बारें में।
Agriculture in hindi
ज़ीरो टिलेज (zero tillage)

ज़ीरो टिलेज मशीन का उपयोग गेहूं की बुआई करने मे किया जाता हैं गेहूं की बुआई धान की कटाई के तुरंत बाद खेत मे उपस्थित नमी का उपयोग करके बिना जुताई किए हुए खेत में एक निश्चित गहराई मे मिट्टी के नीचे खाद तथा बीज को कतारों में बनाए गए कूड़ों में रखना इस मशीन का कार्य है। यह यंत्र धान की हाथ से कटाई की गई खेतो मे गेहूं की बुआई के लिए काफी अच्छा माना जाता हैं। इस मशीन से एक निश्चित दूरी एवं निश्चित गहराई पर बीज की बुआई होने से बीज का जमाव अच्छा होता है। लाइन में बुआई होने से सिंचाई, निराई, कटाई आदि का कार्य करने मे भी आसानी होती है। 

zero tillage
zero tillage
हैप्पी सीडर (happy seeder)

हैप्पी सीडर धान के अवशेष वाले खेतो मे बिना जुताई किए गेहूं की बुआई कर सकता हैं। यानि कि पराली को खेतो से बिना निकले गेहूं की सीधी बुआई करता हैं। यह यंत्र फसल की बची हुई अवशेषों एवं फसल के डंठल को काटकर मिट्टी मे दबाने के साथ-साथ फसलों की बीजों को कतारों मे बुआई करने का कार्य करता है। जिससे कि फसलों की बुआई के साथ-साथ अवशेषों एवं फसल के डंठल मे उपलब्द कार्बन तत्व मिट्टी मे मिल जाते है जो की हमारी फसल के लिए अच्छा साबित होता है। इस यंत्र का प्रयोग गेहूं की बुआई के लिए करें तो प्रति हैक्टेयर 4 से 5 हजार रुपये तक की बचत भी कर सकते हैं। साथ ही गेहूं की पैदावार मे भी बढ़ोतरी होती है जिससे किसानों को अतिरिक्त उपज प्राप्त होता हैं। गेहूं की बुआई हैप्पी सीडर से करने पर किसानों की लागत, समय, श्रम और पानी की भी बचत होती हैं।

Happy Seeder
Happy Seeder
मेङ पर गेहूं की बुआई तकनीक (फरो इरीगेशन रेज़्ड बेड)

इस तकनीक से गेहूं की बुआई ट्रैक्टर चालित रोजर कम ड्रिल रेज़्ड बैड सीडड्रिल से मेङो पर दो या तीन कतारों मे बीज बोते हैं इस तकनीक से बुआई करने पर खाद एवं बीज की बचत होती हैं। गेहूं की खेती नालियों एवं मेङ पर होने से फसल के गिरने की समस्या नही होती हैं मेङ पर फसल होने से जङो की वृद्धि अच्छी होती हैं। इस तकनीक से गेहूं की बुआई करने पर बीज, खाद, पानी एवं गेहूं उत्पादन लागत मे कमी आती हैं।

यह भी पढे..  गेहूं की बुआई के लिए करें इन मशीनों का इस्तेमाल 

गेहूं की पंक्ति से पंक्ति की दूरी तथा बुआई की गहराई (Row to row distance of wheat and depth of sowing)

सामान्यतः गेहूं को 15 से 23 सेंटीमीटर की दूरी पर पंक्तियों मे बोया जाता हैं पंक्ति की दूरी सिंचाई की उपलब्धता, बोने का समय, मिट्टी की दशा आदि पर निर्भर करता हैं।

स्थिति पंक्तियों की दूरी
सिंचित एवं समय पर बुआई करने पर 23 सेंटीमीटर
ऊसर भूमि एवं देरी से बुआई के लिए 15 से 18 सेंटीमीटर

बीज की बुआई 4-5 सेंटीमीटर की गहराई पर करे. अधिक गहराई पर बुआई करने से जमाव तथा उपज पर बुरा प्रभाव पङता हैं।

गेहूं की फसल की सिंचाई (Gehu ki sichai kab kare)
पहली सिंचाई बुआई के 20 से 25 दिन पर (मुख्य जङ बनना प्रारंभ होने के समय)
दूसरी सिंचाई  बुआई के 40 से 45 दिन पर (कल्ले फूटने की अवस्था मे)
तीसरी सिंचाई  बुआई के 60 से 75 दिन पर (गांठ बनने के अंतिम अवस्था मे)
चौथी सिंचाई  बुआई के 90 से 95 दिन पर (फूल आने से समय)
पाँचवी सिंचाई  बुआई के 110 से 115 दिन पर (दानों मे दूध पङने के समय)
छठी सिंचाई  बुआई के 120 से 125 दिन पर (दाना कंङा पङने के समय)

गेहूं की फसल को हमेशा हल्की सिंचाई करनी चाहिए ताकि खेत मे 6 से 8 घंटों के बाद पानी न दिखे। गेहूं की खेत मे अधिक जल जमाव होने से पौधों मे पीलापन आ जाता हैं तथा श्वसन (respiration) की क्रिया अस्थायी रूप से रुक जाती हैं। 

Gehu ki kheti
Gehu ki kheti
गेहूं की फसल मे खरपतवार नियंत्रण (Weed control in wheat crop)

गेहूं की फसल मे खरपतवार का ज्यादा प्रकोप होने पर इसका नियंत्रण करना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि गेहूँ की फसल में खरपतवार के कारण उपज में 10 से 40 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है। अतः खरपतवारों का नियंत्रण करना बहुत ही आवश्यक हो जाता है। गेहूँ की बुआई के 25-30 दिनों बाद या प्रथम सिंचाई के पश्चात अपने हाथों की मदद से निकाई कर घास एवं खरपतवार को निकालने से उपज पर अच्छा प्रभाव देखा गया है। गेहूं की खरपतवार की नियंत्रण के लिए कई खरपतवारनाशी दवाये बजार मे उपलब्ध हैं इन खरपतवारनाशी दवाओ का इस्तेमाल करके भी खरपतवार पर नियंत्रण पाया जा सकता हैं। गेहूं की खेती से अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए सही समय पर खरपतवार नियंत्रण करना काफी आवश्यक हो जाता हैं।

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गेहूं की फसल मे लगने वाले रोग एवं कीट (Diseases and pests of wheat crop)

गेहूं की फसल मे भी कई तरह के रोग एवं कीट लगते है जिनमे प्रमुख्य कीट दीमक, चौपा (एपीड), गुलाबी तना छेदक, जंङमाहो (रोपेलोसिफम रुफी एवडामिनेलिस) आदि कीट लगते है इन कीटों पर अगर समय रहते नियंत्रण न किया जाए तो इसका बुङा प्रभाव हमारी फसल पर पङती है जो की हमारी उपज को प्रभावित करती है। इन कीटों के आलवा गेहूं की फसल मे रोग का भी प्रकोप बना रहता है गेहूं की फसल मे प्रमुख्य रोग रतुआ, करलाल बंट, लूज स्मट रोग, पाउडरी मिल्ड्यु (चूर्ण फफूँदी) आदि जैसे रोग गेहूं की फसल मे लगते है। इन सभी रोगों से बिना ज्यादा नुकसान के बचा जा सकता है बस जरूरत होती है फसल की अच्छी देखभाल की। अच्छी देखभाल के साथ-साथ अगर किसान को किसी रोग का लक्षण दिखे तो शुरुआती लक्षण दिखते ही इसके रोकथाम का इंतजाम करना चाहिए।

गेहूं की फसल की कटाई एवं दौनी (wheat harvest)

गेहूं की फसल की कटाई उस समय करनी चाहिए जब गेहूं के पौधे पीले पङ जाए तथा गेहूं की बालियां सुख जाए तो फसल की कटाई करनी चाहिए। जब गेहूं के दानों मे 15 से 20 प्रतिशत की नमी हो तो कटाई का सही समय होता हैं। गेहूं की कटाई हो जाने के बाद फसल को 3 से 4 दिन सुखाना चाहिए ताकि मङाई का कार्य सही से हो पाए। गेहूं के आनाज को भंडारण से पहले अच्छे से धूप मे सूखा ले।

Combine harvester
Combine harvester

गेहूं की फसल की जल्दी कटाई के लिए किसान कम्बाइन हार्वेस्टर, रीपर बाइंडर आदि मशीनों का इस्तेमाल कर सकते हैं। कंबाइन हार्वेस्टर एक ही बार मे फसल की कटाई से लेकर थ्रैशिंग (गहाई) तथा दानों की सफाई का कार्य एक ही साथ करता हैं।

यह भी पढे.. गेहूं की खेती मे इन मशीनों के इस्तेमाल से गेहूं की खेती करना होगा आसान

गेहूं की उपज (wheat yield)

गेहूं की उपज गेहूं की किस्म, खेत की मिट्टी की उर्वरता शक्ति, एवं इसकी कैसी देखभाल की गई है इस पर भी निर्भर करता है वैसे आमतौर पर इसकी उपज लगभग 35 से 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है इसकी उपज पूरी तरह से इसकी किस्म पर निर्भर करती है।

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गेहूं की खेती से संबंधित पूछे गए प्रश्न (FAQs)
Q. गेहूं बोने का समय क्या है?
गेहूं की बुआई अक्टूबर से शुरू होकर दिसंबर माह तक होती है।
गेहूं की अलग-अलग किस्म अलग-अलग समय मे तैयार होता हैं वैसे आमतौर पर गेहूं 90 से 130 दिनों मे पककर तैयार हो जाता हैं।
Q. गेहूं की 1 हेक्टेयर मे खेती करने के लिए कितने किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती हैं?
गेहूं की 1 हेक्टेयर मे खेती करने के लिए 100 से 125 किलोग्राम गेहूं की बीज की आवश्यकता होती हैं।

तो मुझे आशा है कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा, अगर आपको पसंद आया है तो इस लेख को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे। और उन तक भी गेहूं की खेती के बारे मे जानकारी पहुँचाए।

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