Saturday, April 27, 2024

lobia ki kheti : लोबिया की खेती कैसें करें, यहां से जानें लोबिया की खेती की A टू Z जानकारी। Cowpea Farming in hindi

लोबिया जिसे बरबटी एवं काउपी के नाम से जानते हैं इसकी खेती हमारे देश के कई राज्यों मे बङे पैमाने पर की जाती हैं। लोबिया की खेती (lobia ki kheti) अच्छे मुनाफे देने वाली खेती मे से एक है। इसकी खेती उन क्षेत्रों मे भी की जा सकती हैं जहां वर्षा कम होती हैं क्योंकि यह सूखा सहन करने वाली फसल हैं। लोबिया जिसकी फलिया लंबी होती हैं इसकी फलियों की सब्जी बनायी जाती हैं। हमारे देश भारत मे लोबिया हरी फली, सूखे बीज, हरी खाद और चारे के लिए सामान्यतः उगाई जाती हैं। लोबिया पशु के चारे का सस्ता स्त्रोत हैं एवं लोबिया मानव आहार का पौष्टिक घटक भी हैं। लोबिया के दाने मे प्रोटीन, कार्बोहाईड्रेट, कैल्शियम एवं आयरन पाया जाता हैं साथ ही इसमे एमीनो ऐसिड जैसे लाइसिन, लियूसिन, फेनिलएलनिन भी पाया जाता हैं। लोबिया को ब्लैक-आइड (Black-eyed) नाम से भी जाना जाता हैं।

वैसे तो लोबिया की खेती करना आसान हैं अगर किसानों को मौसम आदि का साथ मिले तो। इसकी खेती करने के दौरान अगर किसान कुछ चीजों का ध्यान रखे तो इसकी खेती मे सफलता पाई जा सकती हैं। 

आज के इस लेख मे लोबिया की बुआई से लेकर तुङाई तक की पूरी जानकारी (lobia ki kheti ki jankari) देने की कोशिश की गई हैं। अगर आप भी लोबिया की खेती करने का सोच रहे हैं तो ये लेख आपको लोबिया की खेती (Barbati ki kheti) से संबंधित जानकारी जुटाने मे मदद कर सकता हैं।

lobia ki kheti
लोबिया का बीज/cowpea seeds in hindi

लोबिया की किस्म (lobiya ki kism)

काशी श्यामल (Kashi Shyamal) पूसा कोमल (Pusa Komal)
काशी गौरी (Kashi Gauri) अर्का गरिमा (Arka Garima)
काशी उन्नति (Kashi Unnati) सी 152 (C 152)
काशी कंचन (Kashi Kanchan) पूसा फाल्गुनी (Pusa Falguni)
काशी निधि (Kashi Nidhi) अम्बा (वी 16) (Amba)
स्वर्णा (वी 38) (Swarna) जी.एफ.सी 2 (G.F.C 2)
जी.सी 3 (G.C 3) जी.एफ.सी 3 (G.F.C 3)
पूसा संपदा (वी 585) (Pusa Sampda) अर्का मंगला (Arka Mangala)
श्रेष्ठा (वी 37) (Shrestha) पूसा ऋतुराज (Pusa Rituraj)
जी.एफ.सी 1 (G.F.C 1) पूसा फाल्गुनी (Pusa Falguni)
सी.पी 55 (C.P 55) रसियन जाइन्ट (Russian Giant)
पंत लोबिया 1 (Pant Lobia 1) काशी सुधा (Kashi Sudha)
यू.पी.सी 628 (U.P.C 628) यू.पी.सी 622 (U.P.C 622)

ऊपर के सारणी मे कुछ लोबिया के किस्मों का नाम दिया गया है।

लोबिया की खेती कैसें करें (lobiya ki Kheti kaise kare)

lobia ki kheti
lobiya

लोबिया की खेती के लिए मिट्टी एवं जलवायु (Soil and climate for cowpea cultivation)

लोबिया (cowpea) की खेती के लिए दोमट या हल्की भारी मिट्टी उपयुक्त होता हैं इसकी खेती अम्लीय मिट्टी मे भी सफलतापूर्वक की जा सकती हैं लेकिन लवणीय एवं क्षारीय मृदा मे इसे नही उगाया जा सकता हैं। किसानों को लोबिया की खेती (lobia ki unnat kheti) करने के लिए ऐसी भूमि का चयन करना चाहिए जिसमे जल निकास की उचित व्यवस्था हो ऐसी भूमि का चुनाव करना इसकी खेती के लिए काफी अच्छा माना जाता हैं।

लोबिया की फसल ठंड एवं पाले को सहन नही कर सकती हैं यह ठंड के प्रति संवेदनशील हैं। 15 डिग्री सेंटीग्रेड से कम तापमान पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव डालता हैं। लोबिया गर्म मौसम तथा अर्ध शुष्क क्षेत्रों का फसल हैं। लोबिया की खेती के लिए 20 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच का तापमान अच्छा माना जाता हैं।

लोबिया की खेती के लिए भूमि की तैयारी (Land preparation for cowpea cultivation)

किसी भी फसल से अच्छी पैदावर लेने के लिए भूमि की अच्छी तैयारी करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। खेत की भूमि को देसी हल या कल्टीवेटर से 2 से 3 बार जुताई करके पाटा लगाकर मिट्टी को समतल कर लेना चाहिए। किसानों को खेत की जुताई हो जाने पर सिंचाई एवं जल निकासी की उचित व्यवस्था कर लेनी चाहिए।

लोबिया की बुआई का समय (lobia ki buai kab kare)

खरीफ शुरुआत जून से जुलाई के अंत तक (मानसून आने पर)
रबी अक्टूबर से नवंबर माह (दक्षिण भारत)
ग्रीष्म मार्च के दूसरे सप्ताह से मार्च के अंतिम सप्ताह तक (दाने के लिए)

लोबिया की फसल अगर हरी खाद के लिए लगाया जा रहा हैं तो ऐसे मे इसकी बुआई जून मध्य से जुलाई का प्रथम सप्ताह मे करते हैं। चारे के लिए फरवरी माह मे इसकी बुआई करते हैं।

लोबिया की बीज दर (Cowpea seed rate)
दाने के लिए 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
चारे एवं हरी खाद के लिए 30 से 35 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

ग्रीष्मकाल मे बुआई के लिए 

दाने के लिए 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
चारे एवं हरी खाद के लिए 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
बीज की गहराई एवं दूरी (Seed depth and spacing)

लोबिया के झाङीनुमा किस्मों के लिए कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर एवं पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखे। वहीं अगर लोबिया की फैकने वाली किस्मों की बुआई की जा रही हैं तो कतार से कतार की दूरी 45 सेंटीमीटर एवं पौधे से पौधे की दूरी 15 सेंटीमीटर रखे। बीज की बुआई करते समय इस बात का ध्यान रखे की बीज की बुआई निश्चित गहराई पर हो। बीज की बुआई 3 से 5 सेंटीमीटर की गहराई मे करना चाहिए। 

lobia ki kheti
लोबिया की खेती
लोबिया के बीज का बीजोपचार (Seed treatment of cowpea seeds)

लोबिया की बुआई से पहले इसके बीजों को उपचारित करना काफी अच्छा माना जाता हैं उपचारित बीज से बीज जनित रोग होने का भय नहीं रहता है। लोबिया की बुआई से पहले इसके बीजों को थायरम (2 ग्राम) + कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम) प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करके बुआई करना चाहिए।

लोबिया की बुआई की विधि (lobia ki buai ki vidhi)

सामान्यतः लोबिया की बुआई कतार मे, छिटकवां और डिबलिंग विधि से किया जाता हैं। अगर लोबिया की खेती चारे या हरी खाद के लिए किया जा रहा हैं तो ऐसे मे लोबिया की बुआई के लिए छिटकवां विधि को अच्छा माना जाता हैं। कतार में फसल बोने की वजह से सिंचाई, निराई-गुराई, फल की तोङाई आदि का कार्य करने मे आसानी होती हैं। अगर वर्षा ऋतु मे लोबिया की खेती (barbati ki kheti) की जा रही हैं तो ऐसे मे किसानों को जल निकासी का उचित प्रबंध करना चाहिए।

लोबिया की फसल मे सिंचाई (lobiya ki sichai kab kare)

लोबिया की फसल की सिंचाई आवश्यकता के अनुसार करते रहना चाहिए जिससे की फसल को पानी की कमी न हो। बरसात के दिनों मे अगर बराबर वर्षा हो रही हैं तो ऐसे मे सिंचाई की आवश्यकता नही होती हैं। गर्मी की फसल मे 10 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए। सामान्यतः 5 से 6 सिंचाई की आवश्यकता होती हैं। लोबिया मे पुष्पन एवं फलियों के भरने के समय यदि मिट्टी मे नमी की कमी होती हैं तो उपज प्रभावित होती हैं। सिंचाई आवश्यकता पङने पर ही करें। संभव हो तो किसानों को ड्रिप सिंचाई प्रणाली को अपनाना चाहिए। ड्रिप सिंचाई का लोबिया की खेती (lobiya Farming) मे इस्तेमाल होने से पानी की बचत होगी साथ ही लोबिया की खेती से अधिक उत्पादन भी प्राप्त किया जा सकता हैं।

लोबिया की फसल मे खरपतवार नियंत्रण (Weed control in cowpea crop)

लोबिया की फसल के साथ-साथ अनचाहे खरपतवार उग आते है जो मिट्टी में उपस्थित पोषक तत्व और उपर से दिये गए खाद एवं पानी को ग्रहण कर लेते हैं और पौधों के विकास मे बाधा उत्पन्न करते हैं। जिसके कारण लोबिया की खेती (Cowpea farming) मे किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पङ सकता हैं, अतः खरपतवारों पर नियंत्रण पाने के लिए प्रारम्भिक अवस्था के 25 से 30 दिन तक फसल को खरपतवार से मुक्त रखना चाहिए। कम से कम दो बार निदाई एवं गुङाई की आवश्यकता होती हैं। गुङाई करते समय इस बात का ध्यान रखे की पौधों की जङे न कटे। खरपतवार का नियंत्रण रासायनिक विधि द्वारा भी किया जा सकता हैं।

lobia ki kheti
लोबिया की फलियां
लोबिया की फसल मे लगने वाले रोग एवं कीट (Diseases and pests of cowpea crop)

लोबिया की फसल मे भी कई तरह के रोग एवं कीट लगते है जिनमे प्रमुख्य कीट लोबिया फली छेदक, रोमिल सुंडी, एफीड और जेसिड एवं बीन फ्लाई/तना मक्खी आदि है इन कीटों पर अगर समय रहते नियंत्रण न किया जाए तो इसका बुङा प्रभाव हमारी फसल पर पङती है जो की हमारी उपज को प्रभावित करती है। इन कीटों के अलावा लोबिया की फसल मे रोग का भी प्रकोप बना रहता है लोबिया की फसल मे प्रमुख्य रोग जीवाणु झुलसा, लोबिया मोजेक एवं चूर्णिल आसिता आदि जैसे रोग लोबिया की फसल मे लगते है। इन सभी रोगों से बिना ज्यादा नुकसान के बचा जा सकता है बस जरूरत होती है फसल की अच्छी देखभाल की। अच्छी देखभाल के साथ-साथ अगर किसान को किसी रोग का लक्षण दिखे तो शुरुआती लक्षण दिखते ही इसके रोकथाम का इंतजाम करना चाहिए।

लोबिया की तुड़ाई, कटाई, गहाई (harvesting, threshing of cowpea)
  1. लोबिया की खेती अगर हरी फलियों के लिए की गई हैं तो ऐसे मे इसकी तुङाई किस्म के आधार पर 45 से 90 दिन बाद कर सकते हैं।
  2. अगर दाने के लिए इसकी खेती की गई हैं तो फसल की कटाई बुआई के 90 से 125 दिन के बाद जब फलियां अच्छी तरह से पककर तैयार हो जाती हैं तो इसकी कटाई की जाती हैं जब कटाई हो जाए तो फसल को धूप मे अच्छे से सुखाकर थ्रेसिंग करना चाहिए। 
  3. चारे के लिए उगाई गई लोबिया की फसल की कटाई सामान्यतः बुआई के 40 से 45 दिन बाद की जाती हैं। 
लोबिया की उपज (cowpea yield)

लोबिया की उपज लोबिया की किस्म, खेत की मिट्टी की उर्वरता शक्ति, एवं इसकी कैसी देखभाल की गई है इस पर भी निर्भर करता है वैसे आमतौर पर अच्छी तरह से उगाई गई फसल से लगभग 12 से 15 क्विंटल दाना एवं 50 से 60 क्विंटल भूसा प्राप्त होता हैं। लोबिया की चारे वाली फसल से 250 से 350 क्विंटल तक हरा चारा प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त किया जा सकता हैं। इसकी उपज पूरी तरह से इसकी किस्म पर निर्भर करती है।

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लोबिया की खेती से संबंधित पूछे गए प्रश्न (Lobia FAQs)
क्या लोबिया उगाना आसान है?
जी हाँ, लोबिया को आसानी से उगाया जा सकता हैं।
लोबिया का दूसरा नाम क्या है? (cowpea in hindi)
 लोबिया का दूसरा नाम बरबटी हैं।
लोबिया को इंग्लिश में क्या कहते हैं?
लोबिया को इंग्लिश मे काउपी या ब्लैक-आइड (Black-eyed) कहते हैं।

तो मुझे आशा है कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा, अगर आपको पसंद आया है तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे। और उन तक भी लोबिया की खेती (lobiya ki kheti) के बारे मे जानकारी पहुँचाए।

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1 COMMENT

  1. You have explained very well and in detail about the cultivation of Libya, your heading is very lotus, step by step, very helpful and useful.

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