Thursday, May 2, 2024

Dragon Fruit : ड्रैगन फ्रूट की खेती से होगी बम्पर कमाई जानिए, इसकी खेती के बारे मे…

ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) की लाजबाब स्वाद और लाभकारी गुणों के कारण इसे काफी पसंद किया जाता हैं भारत मे भी इसकी मांग काफी देखने को मिल रही हैं। जिसकी वजह से भारत के भी किसान इसकी खेती करना शुरू किए हैं। ड्रैगन फ्रूट भारतीय फल नहीं है फिर भी इसकी खेती हमारे देश मे महाराष्ट्र, कर्नाटका, पंजाब, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, गुजरात एवं बिहार आदि राज्यों मे इसकी खेती की जा रही हैं।

ड्रैगन फ्रूट का सेवन स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है इसमे प्रोटीन, विटामिन, खनिज, फाइबर आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह फ्रूट आम, संतरा, पपीता, सेब, केला आदि की तुलना मे अधिक पौष्टिक और फायदेमंद फल हैं। ड्रैगन फ्रूट का बाहरी आकार अनन्नास (pineapple) की तरह दिखाई देता हैं एवं इसकी त्वचा मे हरे रंग की पत्तियां होती हैं। फल के अंदर मे गुड्डा सफेद और काले छोटे-छोटे बीजों से भरा हुआ कीवी या नाशपाती फल की तरह होता हैं। यह फल खाने मे तरबूज की तरह मीठा होता हैं एवं खाने मे स्वादिष्ट तो लगता ही हैं साथ ही यह फल अनेक गंभीर रोगों को ठीक करने की क्षमता भी रखता हैं। इसका उपयोग ताजे फल के रूप मे करने के साथ-साथ जैम, मुरब्बा, शेक, सलाद, रस एवं आइसक्रीम के रूप मे भी किया जाता हैं।

मौजूदा समय में हमारे देश के किसानों के बीच भी ड्रैगन फ्रूट की खेती के प्रति लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है जिसका मुख्य कारण बाजार मे इस फल की बढ़ती मांग एवं फल की अच्छी कीमत का मिलना हैं। बाजार मे फल की अच्छी कीमत मिलने से किसानों को इसकी खेती करने मे अच्छी आमदनी होती हैं। साथ ही इस फल को विभिन्न तापमान परिस्थितियों मे उगाया जा सकता हैं। यह काफी गर्म तापमान सहन कर सकता हैं।

Dragon Fruit
Dragon Fruit

ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit ki kheti)

मिट्टी एवं जलवायु (soil and climate)

ड्रैगन फ्रूट की खेती रेतीली दोमट मृदा से लेकर दोमट मृदा जैसी विभिन्न प्रकार की मृदाओं मे की जा सकती हैं। खेत मे जल भराव की स्थिति न होने दे. खेत मे उचित जल निकाशी का प्रबंध करें।

ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए उष्ण जलवायु अच्छी मानी जाती है जिसमे निम्नतम वार्षिक वर्षा 50 सेंटीमीटर और तापमान 20-36 डिग्री सेल्सियस हो। पौधों के बढ़िया विकाश एवं फल उत्पादन के लिए इन्हे ऐसी जगह लगाना चाहिए जहाँ रोशनी या धूप आती हो यानि रोशनी या धूप वाले क्षेत्र मे लगाना चाहिए। बहुत अधिक सूर्य की रोशनी पौधों के लिए उपयोगी नहीं हैं। ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए सूर्य की ज्यादा रोशनी उपयुक्त नहीं होती हैं। 

ड्रैगन फ्रूट के किस्में (Dragon Fruit Varieties)

ड्रैगन फ्रूट की खेती करने से पहले ड्रैगन फ्रूट की किस्मों के बारे मे जानकारी होना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. क्योंकि ड्रैगन फ्रूट की कई ऐसी किस्मे है जिनकी अलग-अलग पैदावार और विशेषता होती है। नीचे के सारणी मे ड्रैगन फ्रूट की कुछ किस्मों के साथ उसकी पैदावार और विशेषता की जानकारी दी गई है तो आइये जानते है कि ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए कौन-कौन से किस्मे है और इन किस्मों की क्या खासियत है।

Dragon Fruit
Dragon Fruit
हिलोसेरस अन्डेट्स (Hylocereus undatus) हिलोसेरस कोटारिकेंसिस (Hylocereus costaricencis)
हिलोसेरस पॉलिरिजस (Hylocereus polyrhizus)
हिलोसेरस परपुसी (Hylocereus purpusii)

हिलोसेरस अन्डेट्स – इस किस्म का फल गुलाबी-लाल एवं इसमे कई छोटे-छोटे काले बीज होते हैं और इसका गुदा सफेद होता हैं।

हिलोसेरस पॉलिरिजस – इस किस्म का फल लाल एवं इसमे कई छोटे-छोटे काले बीज होते है और इसका गुदा लाल होता हैं।

हिलोसेरस कोटारिकेंसिस – इस किस्म का फल लाल एवं इसमे कई छोटे-छोटे काले बीज होते है और इसका गुदा लाल बैगनी होता हैं।

हिलोसेरस परपुसी – इस किस्म का फल लाल एवं इसमे कई छोटे-छोटे काले बीज होते है और इसका गुदा लाल होता हैं। 

Agriculture in hindi

हमारे देश मे ड्रैगन फ्रूट की बहुत सी किस्में उगाई जाती हैं अगर कोई किसान व्यवसायिक तौर पर ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं तो उन्हे किस्मों का चयन क्षेत्र की जलवायु एवं मिट्टी की विशेषताओं को देखते हुए करना चाहिए।

यह भी पढे..

पढ़िए गेहूँ की किस्मों एवं इसकी विशेषताएं और पैदावार के बारे में

मिट्टी की तैयारी (soil preparation)

खेत की मिट्टी की अच्छी से जुटाई करने के बाद खेत मे अच्छी सङी हुई गोबर की खाद या कंपोस्ट को खेत की मिट्टी मे अच्छी तरह से मिला लेना चाहिए। खेत की मिट्टी की जुटाई करते समय किसान पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल यानि एमo बीo प्लाऊ से कर सकते हैं। ताकि मिट्टी में मौजुद सारे खरपतवार खत्म हो जाएं।

Dragon Fruit
Dragon Fruit field
ड्रैगन फ्रूट की खेती में बुआई 

ड्रैगन फ्रूट के पौधे बीज एवं कलम के द्वारा तैयार किए जाते हैं इसकी खेती में बुआई का सबसे सामान्य तरीका है प्रवर्धन कटींग द्वारा हैं। हालांकि बीज के जरिए भी इसकी बुआई की जा सकती है लेकिन चुंकि बीज से लगाने मे ड्रैगन फ्रूट फल देने मे ज्यादा समय लेता हैं। इसलिए बीज से बुआई करने वाला विधि ड्रैगन फ्रूट की व्यवसायिक खेती के लिए अच्छा नहीं हैं। कटिंग से इसका प्रवर्धन करने के लिए कटिंग की लंबाई 20 सेंटीमीटर रखते हैं।

ड्रैगन फ्रूट की रोपाई की विधि (Dragon Fruit Planting Method)

ड्रैगन फ्रूट की पौध की रोपाई के लिए वर्षा ऋतु काफी अच्छा माना जाता हैं। इसकी रोपाई करने से पहले खेत मे गड्ढे बना लेनी चाहिए जिसमे गड्ढे का आकार 60X60X60 सेंटीमीटर रखते हैं एवं पौधों से पौधों एवं पंक्ति से पंक्ति के बीच की दूरी 2X2 मीटर रखते हैं। रोपाई से पहले इन गड्ढों मे कंपोस्ट आदि का मिश्रण मिलाकर भर दिया जाता हैं। फिर इसके बाद पौधों का रोपण किया जाता हैं। लगाए गए पौधों को नियमित रूप से सिंचाई की आवश्यकता होती हैं। पौधों को सिंचाई करने के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली लगाया जाना काफी अच्छा माना जाता हैं।

Dragon Fruit
Dragon Fruit की पौधों की रोपाई करते हुए

ड्रैगन फ्रूट की खेती से अधिक उत्पादन लेने के लिए एक हेक्टेयर भूमि मे लगभग 277 पौधे लगाएं जा सकते हैं।

ड्रैगन फ्रूट के पौधों को सहारा देना (सपोर्ट सिस्टम)

ड्रैगन फ्रूट का पौधा ऊपर की ओर चढ़ने वाला होता हैं अतः इसे ऊपर की ओर बढ़ने के लिए लकङी या दीवार की सहारे की आवश्यकता होता हैं। पौधों की सीधी वृद्धि एवं विकाश के लिए इनको लकङी एवं सीमेंट से बनी खंभों से सहारा प्रदान करना चाहिए। इसके बाद इसके ढांचे को गोलकार रूप मे सुरक्षित कर लेना चाहिए। पौधों की मृत एवं आङी-टेढ़ीं और कमजोर शाखाओं को हटा देना चाहियें।

ड्रैगन फ्रूट की फसल की सिंचाई (dragon fruit irrigation)

ड्रैगन फ्रूट की फसल की सिंचाई के लिए सबसे अच्छा ड्रिप सिंचाई प्रणाली को माना जाता हैं क्योंकि ड्रिप सिंचाई प्रणाली से इसकी सिंचाई करने पर पानी बूंद-बूंद करके पौधों के जङो के पास गिरती है जिससे फसल की सिंचाई हो जाती है और जल की बर्बादी भी नहीं होती हैं। वैसे भी ड्रैगन फ्रूट के पौधों को दूसरे पौधों के तुलना मे कम पानी की आवश्यकता होती हैं। इसकी फसल को रोपण, फूल आने एवं फल विकाश के समय तथा गर्म एवं शुष्क मौसम मे बार-बार सिंचाई करने की आवश्यकता होती हैं।

ड्रैगन फ्रूट मे लगने वाली किट एवं व्याधियाँ (Dragon fruit pests and diseases)

वैसे तो ड्रैगन फ्रूट की खेती मे ज्यादा किट एवं व्याधियों का प्रकोप नहीं होता हैं इसकी खेती मे थ्रिप्स किट और एंथ्रेक्नोज रोग का प्रकोप देखा गया है। इन किट एवं व्याधियों पर नियंत्रण पाया जा सकता है समय पर फसलों पर दवाओ का छीरकाव करके कीटों एवं रोगों से आसानी से बचा जा सकता हैं।

इसकी फसल मे ज्यादा कीटों एवं रोगों के प्रकोप न होने से कीटनाशकों एवं दवाईयों पर होने वाला खर्च मे कमी आती है जिससे इसकी खेती मे कम लागत आती है एवं किसानों को अच्छा मुनाफा होता हैं। 

ड्रैगन फ्रूट के फलो की तुड़ाई (Dragon Fruit Plucking)

ड्रैगन फ्रूट पहले वर्ष से ही फल देना शुरू कर देता हैं इसकी पौधों मे मई और जून में फूल लगते हैं। एवं इसमे जुलाई से दिसंबर तक फल लगते हैं इसके फल पुष्पण के एक महीने बाद तुङाई के लिए तैयार हो जाते हैं। ड्रैगन फ्रूट मे जो कच्चे फल होते हैं वो हरे रंग के होते हैं जो पकने के बाद अलग-अलग किस्मों का अलग-अलग रंग मे बदल जाता हैं। जैसे की कुछ किस्मों का पीले रंग का फल होता है तो कुछ किस्मों का लाल रंग का फल होता है। इसकी फलों की तुङाई हाथ के द्वारा की जाती हैं जिससे फलों की तुङाई करते समय किसी भी तरह से फलों का नुकसान नहीं होता हैं। 

Dragon Fruit
Dragon Fruit
ड्रैगन फ्रूट की उपज (Dragon fruit yield)

ड्रैगन फ्रूट का पौधा एक वर्ष मे 3 से 4 बार फल देता हैं इसके प्रत्येक फल का वजन करीब 300 से 800 ग्राम तक का होता हैं। इसके एक पौधे पर लगभग 50 से 120 फल लगते हैं इसके अनुसार इसकी औषत उपज करीब 5 से 6 टन प्रति एकङ की होती हैं।

ड्रैगन फ्रूट की भंडारण (dragon fruit storage)

ड्रैगन फ्रूट की भंडारण के दौरान फल की गुणवत्ता लंबे समय तक बनी रहती हैं इसके फल को कमरे के तापमान पर 5 से 7 दिनों तक आसानी से रखा जा सकता हैं इसकी फल की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पङता हैं।

ड्रैगन फ्रूट के फलो की कीमत (Dragon fruit price)

ड्रैगन फ्रूट की फलों की कीमत लगभग 200 से 300 रुपये प्रति किलोग्राम तक की होती हैं।

यह भी पढे..

 ➢ कम लागत में सहजन की खेती कर किसान कमा सकते हैं, भारी मुनाफा

ड्रैगन फ्रूट की खेती से बम्पर कमाई (Bumper earnings from dragon fruit farming)

ड्रैगन फ्रूट की खेती से सालाना बम्पर कमाई की जा सकती हैं क्योंकि इसके फल की मांग पूरे साल बाजार मे देखने को मिलता हैं। कभी-कभी इसके फल बाजार मे मिलते भी नहीं हैं इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता हैं इसका भारतीये बाज़ार मे कितना मांग हैं की इसकी पूर्ति भी नहीं हो पा रहा हैं। ड्रैगन फ्रूट की फसल कई महीनों तक सूखा सहन कर सकता हैं लेकिन अच्छी गुणवत्ता वाली फल उत्पादन के लिए आवश्यकता अनुसार नियमित सिंचाई करते रहना चाहिए। जिससे की अच्छी गुणवत्ता वाला फल प्राप्त हो।

Dragon Fruit
Dragon Fruit

शुरुआत के समय मे इसकी खेती करने मे लागत ज्यादा आती हैं लेकीन एक बार ये लागत लग जाती है तो बाद मे ये आपको कई गुणा एवं कई वर्षों तक अच्छे मुनाफे देते हैं। इसका पौधा पहले वर्ष से ही फल देने लगता हैं जिससे कमाई के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पङता हैं। पहले साल मे इसके पौधों से कुछ कम फल प्राप्त होता है जैसे-जैसे पौधा बढ़ता है वैसे-वैसे इसके प्रत्येक पौधों से लगभग 50 से 120 फल प्राप्त होता हैं। प्रति फल का वजन करीब 300 से 800 ग्राम तक का होता है। इस प्रकार इसकी औसत उपज 5 से 6 टन प्रति एकङ तक होती हैं। इसकी बाजार मे कीमत 200 से 300 रुपये प्रति किलोग्राम तक की होती हैं।

अगर बाजार मे इसकी कीमत 200 रुपये प्रति किलो भी मिले तो एक एकङ मे 5 टन का हिसाब भी करें तो इसके फल का बिक्री करके दस लाख रुपये होते है जिसमे अगर इसकी खेती करने मे 6 लाख भी लागत आती है तो 4 लाख की शुद्ध मुनाफा इसकी खेती करने वाले किसानों को प्राप्त होता हैं। शुरू मे इसकी खेती करने मे ज्यादा लागत आती हैं क्योंकि पौधों की सीधी वृद्धि एवं विकाश के लिए इनको लकङी एवं सीमेंट से बनी खंभों से सहारा प्रदान करना पङता हैं। लकङी एवं सीमेंट से बनी खंभों को खरीदने मे लागत आती है जो की पहले साल ही ये लागत आती है बाकी साल इसकी सिर्फ मरम्मत आदि पर खर्च आता हैं।

farming in hindi

ड्रैगन फ्रूट की बढ़ती मांग (increasing demand for dragon fruit)

ड्रैगन फ्रूट की लाजबाब स्वाद और लाभकारी गुणों के कारण इसका मांग बढ़ा है क्योंकि ड्रैगन फ्रूट का सेवन स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है इसमे प्रोटीन, विटामिन, खनिज, फाइबर आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह फ्रूट आम, संतरा, पपीता, सेब, केला आदि की तुलना मे अधिक पौष्टिक और फायदेमंद फल हैं।

ड्रैगन फ्रूट में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं, जो वायरल संक्रमण से बचाने में मदद कर सकते हैं। कोरोना काल में ज्यादातर लोगों ने इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल करना शुरू किया है। इसके साथ ही कोलेस्ट्रॉल लेवल घटाने के लिए, हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए, हृदय रोग के लिए, पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में, हड्डियों को मजबूत बनाने में, बालों को हेल्दी रखने में, स्वस्थ चेहरे के लिए, वेट लॉस और कैंसर जैसी बीमारियों को ठीक करने में भी इसका उपयोग होता है।

dragon fruit live plant को ऑनलाइन यहाँ से ऑर्डर किया जा सकता हैं – Click here

Dragon Fruit
Dragon Fruit के पौधा
ड्रैगन फ्रूट से संबंधित पूछे गए प्रश्न (FAQs)
Q. ड्रैगन फ्रूट को कौन-कौन नाम से जानते हैं?
ड्रैगन फ्रूट को पिताया या स्ट्रॉबेरी पीयर के नाम से भी जाना जाता है हाल ही मे भारत के राज्य गुजरात में इसका नाम बदलकर कमलम रखा गया हैं।
Q. ड्रैगन फ्रूट की फल की कीमत क्या है?
ड्रैगन फ्रूट की फलों की कीमत लगभग 200 से 300 रुपये प्रति किलोग्राम तक की होती हैं।
Q. ड्रैगन फ्रूट को कैसे खाना चाहिए?
ड्रैगन फ्रूट को ताजे फल के रूप खा सकते है या इससे जैम, मुरब्बा, शेक, सलाद, रस एवं आइसक्रीम बनाकर भी इसका इस्तेमाल खाने के रूप मे किया जा सकता हैं।
Q. ड्रैगन फ्रूट कैसे दिखता है?
ड्रैगन फ्रूट का बाहरी आकार अनन्नास (pineapple) की तरह दिखाई देता हैं एवं इसकी त्वचा मे हरे रंग की पत्तियां होती हैं। फल के अंदर मे गुड्डा सफेद और काले छोटे-छोटे बीजों से भरा हुआ कीवी या नाशपाती फल की तरह होता हैं।
Q. ड्रैगन फ्रूट खाने से क्या फायदा होता है?
ड्रैगन फ्रूट का सेवन स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है इसमे प्रोटीन, विटामिन, खनिज, फाइबर आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो कोलेस्ट्रॉल लेवल घटाने के लिए, हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए, हृदय रोग के लिए, पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में, हड्डियों को मजबूत बनाने में, बालों को हेल्दी रखने में, स्वस्थ चेहरे के लिए, वेट लॉस और कैंसर जैसी बीमारियों को ठीक करने में भी इसका उपयोग होता है।

तो मुझे आशा है कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा, अगर आपको पसंद आया है तो इस लेख को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे। और उन तक भी ड्रैगन फ्रूट या ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे मे जानकारी पहुँचाए।

यह भी पढे..

धन्यबाद..

spot_imgspot_imgspot_imgspot_img

E Ganna : ई गन्ना एप क्या है, E Ganna App कैसे डाउनलोड एवं इस्तेमाल करें। E Ganna in hindi

उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ना उत्पादन करने वाले किसानों की सुविधा के लिए E Ganna App एवं ई गन्ना वेब पोर्टल की शुरुआत की...

Mushroom ki kheti : मशरूम की खेती कैसे करें, जानिए इसकी खेती की पूरी जानकारी। 🍄

मशरूम (Mushroom) एक प्रकार का फूफूँद (कवक) हैं जो वर्षा ऋतु मे छतरी नुमा आकार के विभन्न प्रकार एवं विभिन्न रंगों की पौधों जैसी...

Bakri Palan : बकरी पालन से कम खर्च में पाएं अधिक मुनाफा – Goat Farming Business in hindi

गरीब हो या उधमी सबके लिए है बकरी पालन (Goat Farming) मे आपर संभावनाए है। प्राचीन काल से ही बकरी पालन ग्रामीणों कि आर्थिक...

BIHAR AGRICULTURAL UNIVERSITY, SABOUR, BHAGALPUR – [BAU] – ADMISSION DETAILS 2020 – [ हिन्दी ]

BIHAR AGRICULTURAL UNIVERSITY के बारे मे BIHAR AGRICULTURAL UNIVERSITY बिहार के सबौर, भागलपुर मे स्ठित है इस विश्वविधालय के अंतर्गत पाँच कॉलेज आते है...

lobiya Variety : जानिए, लोबिया के उन्नत किस्मों एवं इसकी विशेषताएं और पैदावार के बारे मे। Varieties of Cowpea in hindi

लोबिया जिसकी फलिया लंबी होती हैं इसकी फलियों की सब्जी बनायी जाती हैं। हमारे देश भारत मे लोबिया हरी फली, सूखे बीज, हरी खाद...

Kapas ki kheti : कपास की खेती कैसें करें, जानिए बुआई का सही समय से लेकर भंडारण तक की पूरी जानकारी। Cotton Farming in...

कपास प्रमुख नगदी फसलों मे से एक हैं कपास की खेती (Kapas ki kheti) हमारे देश तक ही सीमित नही हैं बल्कि इसकी खेती...

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

  • Connect with us
error: Content is protected !! Do\'nt Copy !!
हरे चारे के रूप मे उपयोगी हैं अजोला, जानें कैसें : Azolla is useful as green fodder स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक अपनायें पानी बचायें भरपूर उपज पाएं : Sprinkler irrigation ke phayde स्प्रिंकलर सिंचाई अपनाएं पानी बचाएं : Sprinkler irrigation क्या हैं, जानें
हरे चारे के रूप मे उपयोगी हैं अजोला, जानें कैसें : Azolla is useful as green fodder स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक अपनायें पानी बचायें भरपूर उपज पाएं : Sprinkler irrigation ke phayde स्प्रिंकलर सिंचाई अपनाएं पानी बचाएं : Sprinkler irrigation क्या हैं, जानें