लोबिया जिसकी फलिया लंबी होती हैं इसकी फलियों की सब्जी बनायी जाती हैं। हमारे देश भारत मे लोबिया हरी फली, सूखे बीज, हरी खाद और चारे के लिए सामान्यतः उगाई जाती हैं। लोबिया पशु के चारे का सस्ता स्त्रोत हैं एवं लोबिया मानव आहार का पौष्टिक घटक भी हैं। लोबिया के दाने मे प्रोटीन, कार्बोहाईड्रेट, कैल्शियम एवं आयरन पाया जाता हैं साथ ही इसमे एमीनो ऐसिड जैसे लाइसिन, लियूसिन, फेनिलएलनिन भी पाया जाता हैं। लोबिया को ब्लैक-आइड, बरबटी एवं काउपी आदि नाम से भी जाना जाता हैं।
हमारे देश मे लोबिया की खेती (lobiya Variety) व्यवसायिक तौर पर भी की जा रही हैं कई किसान ऐसे है जो लोबिया की व्यवसायिक खेती करके अच्छे मुनाफे कमा रहे हैं। इसकी खेती से कम लागत मे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता हैं। हमारे देश के कृषि वैज्ञानिकों ने लोबिया के कई ऐसे किस्में विकसित किए हैं जिनकी उपज क्षमता तो अच्छी हैं ही साथ यह किस्में कई रोगों एवं कीट-पतंगों का प्रतिरोधी भी हैं। लोबिया की खेती करने के लिए ऐसी किस्मों को काफी अच्छा माना जाता हैं जो उपज मे अच्छी और वो रोग प्रतिरोधी भी हो।
लोबिया की खेती करने से पहले लोबिया की किस्मों (Cowpea ki kisme) के बारे मे जानकारी होना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. क्योंकि लोबिया की कई ऐसी किस्में है जिनकी अलग-अलग पैदावार और विशेषता होती है। लोबिया की उन्नत किस्मों का चुनाव क्षेत्रीय अनुकूलता और बीजाई के समय को ध्यान में रखकर किसानों को करना चाहिए, ताकि इनकी उत्पादन क्षमता का लाभ लिया जा सके। अगर किसान लोबिया की सही किस्मों का चुनाव करें तो उन्हें अच्छी पैदावार (High Yield Cowpea ki veriety) के साथ अच्छा मुनाफ़ा हो सकता है। नीचे के सारणी मे लोबिया की कुछ किस्मों के साथ उसकी पैदावार और विशेषता की जानकारी दी गई है तो आइये विस्तार से जानते है कि लोबिया की खेती के लिए कौन-कौन से किस्मे है और इन किस्मों की क्या खासियत है। (Barbati Variety)
Page Contents
लोबिया की किस्म (lobiya ki kism)
काशी श्यामल (Kashi Shyamal) | पूसा कोमल (Pusa Komal) |
काशी गौरी (Kashi Gauri) | अर्का गरिमा (Arka Garima) |
काशी उन्नति (Kashi Unnati) | सी 152 (C 152) |
काशी कंचन (Kashi Kanchan) | पूसा फाल्गुनी (Pusa Falguni) |
काशी निधि (Kashi Nidhi) | अम्बा (वी 16) (Amba) |
स्वर्णा (वी 38) (Swarna) | जी.एफ.सी 2 (G.F.C 2) |
जी.सी 3 (G.C 3) | जी.एफ.सी 3 (G.F.C 3) |
पूसा संपदा (वी 585) (Pusa Sampda) | अर्का मंगला (Arka Mangala) |
श्रेष्ठा (वी 37) (Shrestha) | पूसा ऋतुराज (Pusa Rituraj) |
जी.एफ.सी 1 (G.F.C 1) | पूसा फाल्गुनी (Pusa Falguni) |
सी.पी 55 (C.P 55) | रसियन जाइन्ट (Russian Giant) |
पंत लोबिया 1 (Pant Lobia 1) | काशी सुधा (Kashi Sudha) |
यू.पी.सी 628 (U.P.C 628) | यू.पी.सी 622 (U.P.C 622) |
लोबिया की किस्मों की विशेषताएं और पैदावार (Characteristics and yields of cowpea varieties)
अर्का गरिमा (Arka Garima)
➢ अर्का गरिमा किस्म की फलिया 20 से 25 सेंटीमीटर लंबी होती हैं इसकी फलिया हरे रंग की होती हैं। इस किस्म की खेती गर्मी एवं वर्षा दोनों मौसमों मे कर सकते हैं। इस किस्म की फली का औसत वजन 10 से 12 ग्राम के बीच का होता हैं।
पूसा फाल्गुनी (Pusa Falguni)
➢ यह लोबिया की शीघ्र पकने वाली किस्म हैं यह किस्म (Barbati Variety) वर्षा ऋतु मे अच्छी पैदावार देती हैं इस किस्म की हरी फलियों की उपज क्षमता 50 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं।
पूसा कोमल (Pusa Komal)
➢ यह किस्म बीज उत्पादन के लिए अच्छा माना जाता हैं इस किस्म की फलियों की लंबाई 20 से 25 सेंटीमीटर होता हैं। इस किस्म की हरी फलियों का उपज 90 से 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं।
पूसा ऋतुराज (Pusa Rituraj)
➢ इस किस्म की फलियां 20 से 25 सेंटीमीटर लंबी होती हैं यह किस्म बीज उत्पादन के लिए अच्छी मानी जाती हैं। इसकी हरी फलियों की उपज लगभग 70 से 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं। (lobiya ki kism)
काशी निधि (Kashi Nidhi)
➢ यह लोबिया की किस्म भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी द्वारा विकशीत की गई हैं। इस किस्म की फलियां हरे रंग के होते हैं एवं फलियों की लंबाई 25 से 30 सेंटीमीटर होता हैं। इसके बीज का रंग लाल भूरा (Reddish Brown) होता हैं। इसकी हरी फलियों की उपज लगभग 140 से 150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं। यह उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब और झारखंड राज्यों मे खेती करने के लिए उपयुक्त किस्म हैं।
काशी कंचन (Kashi Kanchan)
➢ यह लोबिया की किस्म भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी द्वारा विकशीत की गई हैं। इस किस्म की फलियां गहरे हरे रंग के होते हैं एवं फलियों की लंबाई लगभग 30 से 35 सेंटीमीटर होता हैं। इसकी हरी फलियों की उपज लगभग 150 से 175 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं। यह उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश एवं मध्यप्रदेश राज्यों मे खेती करने के लिए उपयुक्त किस्म हैं।
काशी उन्नति (Kashi Unnati)
➢ यह लोबिया की किस्म (cowpea variety) भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी द्वारा विकशीत की गई हैं। इस किस्म की फलियां हल्की हरी रंग के होते हैं एवं फलियों की लंबाई लगभग 30 से 35 सेंटीमीटर होता हैं। इसकी हरी फलियों की उपज लगभग 125 से 150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं। यह पंजाब, यूपी और झारखंड राज्यों मे खेती करने के लिए उपयुक्त किस्म हैं।
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