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Aloevera के बारे मे (About Aloevera)
एलोवेरा (Aloevera) जिसे घृत कुमारी या ग्वारपाठा के नाम से भी जानते हैं. यह एक औषधीय पौधा है और सालों भर हरा-भरा रहता है भारत में एलोवेरा का व्यवसायिक उत्पादन सौंदर्य प्रसाधन के साथ दवा निर्माण के लिए किया जा सकता है। एलोवेरा का इस्तेमाल सब्जी और आचार के लिए भी किया जाता है जलवायु की बात करें तो एलोवेरा की व्यवसाय खेती सूखे क्षेत्रों से लेकर अच्छी सिंचाई वाली मैदानी क्षेत्रों में भी की जा सकती है।
लेकिन आज इसे देश के सभी भागों में उगाया जा रहा है. इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे बहुत ही कम पानी में भी आसानी से उगाया जा सकता है एलोवेरा फसल के विकास के लिए सबसे उपयुक्त तापमान 20 से 22 डिग्री सेल्सियस होता है लेकिन यह पौधा किसी भी तापमान पर अपने को बचाए रख सकता है यानी कि यह किसी भी तरह की मिट्टी में हो सकता है भारत में घृत कुमारी की बहुत सारी किस्म अभी विकसित नहीं हुई है फिर भी I.C.-111271, I.C.-111280, I.C.-111269, I.C.-111273, L1,2,5 और 49 का व्यवसायिक तौर पर उत्पादन किया जा सकता है।
एलोवेरा के प्रमुख किस्म (Major Varieties of Aloevera)
- I.C.-111271
- I.C.-111280
- I.C.-111269
- I.C.-111273
- L1,2,5,49
इन किस्मों में पाई जाने वाली एलोडीन की मात्रा 20 से 23% तक होती है आप किसी भी प्रकार की अच्छी जल निकास वाली मिट्टी में सफलतापूर्वक एलोवेरा को उगा सकते हैं। लेकिन यह पाया गया है कि हल्की काली उपजाऊ मिट्टी में इसका विकास अधिक होता है एलोवेरा के पौधे 20 से 30 सेंटीमीटर की गहराई तक ही अपनी जड़ों का विकास करते हैं इसलिए खेत की सतही जुताई करना ही इसकी खेती के लिए फायदेमंद साबित होता है।
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एलोवेरा के लिए खेत की तैयारी कैसे करे (How to prepare the farm for Aloevera)
- समतल विधि :- इसमें खेत को समतल कर छोड़ दिया जाता है।
- बेड विधि :- इस विधि मे आपने खेतों मे बेड बनाए और छोड़ दे।
- क्यारी विधि :- इस विधि मे आपने खेतों मे क्यारी बनाए और छोड़ दे।
नोट:- इन सभी विधि मे सबसे अच्छा दो विधि है 1.बेड विधि, 2.क्यारी विधि क्योंकि इसमे पानी की निकाशी अच्छी होती है और फसल को फलने के लिये जगह अच्छी मिलती है।
इसकी तैयारी के बाद जून से जुलाई महीने में एलोवेरा की रोपाई कर सकते हैं इसके लिए चार से पांच पत्ती वाली लगभग 4 महीने पुरानी 20 से 25 सेंटीमीटर की लंबाई वाले पौधों को 60 गुना 7 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाएं यानी लाइन से लाइन की दूरी 7 सेंटीमीटर और पौधों से पौधों की दूरी 7 सेंटीमीटर पर एलोवेरा की रोपाई कर मिट्टी को अच्छी तरह से दबा दें। इन प्रक्रिया को करने के तुरंत बाद सिंचाई करें।
इस प्रकार आप एक एकड़ में 11,000 पौधे लगा सकते हैं खाद और उर्वरक की बात करें तो साधारणतया घृतकुमारी को कम उपजाऊ जमीन में भी लगा सकते हैं क्योंकि कम खाद और उर्वरक से भी अच्छा उत्पादन हो सकता है लेकिन अच्छी उपज के लिए खेत को तैयार करते समय 10 से 15 टन सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करना चाहिए। इससे उत्पादन ज्यादा होती है गोबर की खाद का इस्तेमाल करने से पौधे की बढ़वार तेजी से होती है। और किसान 1 वर्ष में 1 से अधिक कटाई कर सकते हैं एलोवेरा की अधिक उत्पादन के लिए उसकी क्रांतिक अवस्था में सिंचाई करना काफी लाभप्रद होता है।
एलोवेरा मे सिंचाई कब करनी चाहिए (When should irrigate in Aloevera)
- पहली सिंचाई पौधे लगाने के बाद तथा दूसरी और तीसरी सिंचाई आवश्यकतानुसार करनी चाहिए।
- इसके अलावा प्रत्येक कटाई के बाद एक सिंचाई देना लाभदायक होता है।
किसान भाइयों इस प्रकार आप अच्छी देखभाल वाली फसल से 25 से 35 टन प्रति हेक्टेयर तक ताजी पति प्राप्त कर सकते हैं इन सब के अलावा कुछ जरूरी बात यह है कि जब भी आप इसकी खेती करना शुरू करें तो सबसे पहले इसकी मार्केटिंग की व्यवस्था जरूर कर ले। वैसे भारत में अनेक कंपनियां और संस्थाएं किसानों के साथ मिलकर एलोवेरा की पत्तों की खरीद कर रही है और इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र आपकी मदद कर सकता है।
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तो दोस्तों मुझे आशा है कि आपको एलोवेरा की खेती से जुड़ी जानकारी पसंद आयी होगी इस पोस्ट मे एलोवेरा की खेती क्या है तथा इससे किसानों को क्या लाभ है एवं इसकी खेती कैसे करें। इसकी पूरी जानकारी दि गई है। अगर आपको इस पोस्ट से संबंधित कोई भीं सवाल हो तो आप हमसे कमेंट सेक्शन में पूछ सकते है।
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