Monday, April 22, 2024

Baigan ki Kheti : बैंगन की खेती करके कमाए अच्छे मुनाफे – Brinjal farming in hindi

सब्जी वाली फसलों मे बैंगन की फसल एक प्रमुख्य फसल के रूप मे जाना जाता है इसकी खेती देश के सभी भागों मे की जाती है. बैंगन की खेती (Brinjal farming) प्राचीन समय से ही हमारे यहाँ होते आ रहा है इसकी खेती हमारे देश के सभी राज्यों मे की जाती है इसकी खेती खरीफ, रबी, गरमा तीनों मौसम मे की जा सकती है बैंगन का सेवन मानव स्वस्थ्य के लिए भी काफी अच्छा माना जाता है इसके सेवन से उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, रक्त की कमी एवं मधुमेह के रोगियों के लिए भी बैंगन का सेवन करना लाभदायक होता है।

बैंगन की फसल अन्य सब्जी वाली फसलों के मुकाबले ज्यादा सख्त होती है. इसकी सख्त फसल होने के कारण इसे शुष्क और कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता हैं बैंगन विटामिन और खनिजों का अच्छा स्त्रोत है इसकी खेती पूरे साल भर की जा सकती है जिसके वजह से बैंगन की  मांग भी बाजार मे पूरे साल भर बनी रहती है गर्मियों के मौसम मे अन्य सब्जियां कम मात्रा में उपलब्ध होने के कारण इसकी मांग अधिक हो जाती है जिससे की इसकी खेती करने वाले किसान इससे अच्छे मुनाफे कमा पाते है।

बैंगन के उत्पादन मे हमारे देश भारत का स्थान विश्व में चीन के बाद दूसरा सबसे अधिक पैदावार वाला देश है भारत में बैंगन उगाने वाले मुख्य राज्य पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, गुजरात, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महांराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और हरियाणा हैं।

Brinjal farming

मिट्टी एवं जलवायु

बैंगन कि खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली उपजाऊ दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है. वैसे इसे अलग-अलग तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है बैंगन कि फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए भूमि मे भुरभुरापन एवं जल की अच्छी निकाशी होना चाहिए। बैंगन कि खेती के लिए मिट्टी का पी0 एच0 5.5-6.6 अच्छी मानी जाती है।

बैंगन कि फसल के लिए जलवायु की बात करें तो इसकी फसल के लिए गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है बैंगन की फसल लंबे समय की फसल है जिसके कारण इसे लंबे गर्म मौसम की आवश्यकता होती है अत्यधिक सर्दी का मौसम पङने से इस फसल पर बुरा प्रभाव पङता है इसकी फसल पर सर्दियों मे पाले का अधिक असर पङता है बैंगन कि फसल को सर्दियों के मौसम मे उन क्षेत्रों मे नहीं लेना चाहिए जिस क्षेत्र मे अधिक पाला पङता है।

बैंगन की किस्में (Brinjal Varieties)

सामान्य किस्म (Varieties) संकर किस्म (Hybrid Varieties)
पूसा परपल लॉन्ग (Pusa Purpal Long) पूसा हाईब्रिड -5 (Pusa Hybrid-5)
पूसा परपल राउंड (Pusa Purpal Round) पूसा अनमोल (Pusa Anmol)
पूसा परपल क्लस्टर (Pusa Purpal Cluster) पंत बृंजल हाइब्रिड-1 (Pant Brinjal Hybrid-1)
पूसा क्रांति (Pusa Kranti) पूसा हाईब्रिड-6 (Pusa Hybrid-6)
पूसा भैरव (Pusa Bhairav) पूसा हाईब्रिड- 9 (Pusa Hybrid-9)
पूसा अनुपम (Pusa Anupam) अर्का नवनीत (Arka Navneeth)
पूसा उत्तम (Pusa Uttam) अर्का आनंद (Arka Anand)
पूसा उपकार (Pusa Upkar) अर्का नीलकंठ (Arka Neelkanth)
पूसा अंकुर (Pusa Ankur)
पूसा बिंदु (Pusa Bindu)
पूसा श्यामला (Pusa Shyamala)
अर्का शिरीष (Arka Shirish)
अर्का केशव (Arka Keshav)
अर्का निधि (Arka Nidhi)
अर्का कुसुमाकर (Arka Kusumkar)
अर्का शील (Arka Sheel)
पंत सम्राट (Pant Samrat)
पंत ऋतुराज (Pant Rituraj)
हिसार जमुनी (Hisar Jamuni)
हिसार प्रगति (Hisar Pragati)
हिसार श्यामल (Hisar Shyamal)
काशी संदेश (Kashi Sandesh)
काशी तारु (Kashi Taru)
काशी प्रकाश (Kashi Prakash)
काशी कोमल (Kashi Komal)
MDU-1
KKM-1
PKM-1
Annamalai (अन्नामलाई)
फुले कृष्णा (Phule Krishna)
फुले हरित (Phule Harit)
फुले अर्जुन (Phule Arjun)

पूसा परपल क्लस्टर – यह बैंगन की किस्म उत्तरी भारत के मैदानी इलाकों और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है इसका फल 10 से 12 सेंटीमीटर लंबे एवं गुच्छे मे लगते है और प्रत्येक गुच्छे मे करीब 4 से 9 फल लगते है इसकी औसत उपज 20 टन/हेक्टेयर है बैंगन के इस प्रजाति को आईएआरआई, नई दिल्ली द्वारा विकसित किया गया है।

पूसा श्यामला – इस बैंगन की किस्म का फल लंबा, चमकदार एवं आकर्षक गहरे बैंगनी रंग के होते है. प्रत्येक फल का वजन 80-90 ग्राम होता है। रोपाई के 50-55 दिन बाद इसकी पहली तुड़ाई होती है। इसकी औसत उपज 39 टन/हेक्टेयर है बैंगन के इस प्रजाति को आईएआरआई, नई दिल्ली द्वारा विकसित किया गया है।

पूसा हाईब्रिड- 9 – यह बैंगन के संकर नस्ल का किस्म है इसका फल अण्डाकार गोल, चमकदार गहरे बैंगनी रंग के होते हैं. इसकी प्रत्येक फल की वजन 200 से 250 ग्राम तक की होती है रोपाई के बाद पहली तुड़ाई 55 से 60 दिन के बाद होती है यह किस्म गुजरात तथा महाराष्ट्र क्षेत्र के लिए उपयुक्त है इसकी औसत पैदावार 50 टन प्रति हेक्टेयर है।

पूसा अंकुर – यह बैंगन की अगेती क़िस्म है. जिसके रोपाई के दिन से 40 से 45 दिनों में फल तोडने के लायक हो जाते हैं. इसके फल छोटे, गहरे बैंगनी, अण्डाकार गोल एवं चमकीले होते हैं, इसकी औसत पैदावार 35 टन प्रति हेक्टेयर है। 

पूसा हाईब्रिड -5 – यह बैंगन के संकर नस्ल का किस्म है इसका फल लंबे, मध्यम आकार के एवं गहरे बैंगनी रंग के होते है यह किस्म रोपाई के दिन से 50 से 55 दिनों में फल तोडने के लायक हो जाते हैं यह प्रति हेक्टेयर 50 से 52 टन तक पैदावार की देती है।

पूसा हाईब्रिड-6 – यह बैंगन के संकर नस्ल का किस्म है इसका फल गोल, बैंगनी, चमकदार एवं मध्यम आकार के होते है. इसके प्रत्येक फल का वजन लगभग 200 ग्राम होता है यह किस्म शरद ऋतु या सर्दियों के मौसम लिए उपयुक्त है रोपाई के 55-60 दिनों के बाद इसकी पहली तुड़ाई की जा सकती है. यह प्रति हेक्टेयर 40 से 45 टन तक की पैदावार देती है। 

अर्का नवनीत – यह बैंगन के संकर नस्ल का किस्म है इसका फल बड़े एवं अंडाकार होते हैं इसका बाह्य पुंजदल हरे रंग का होता है। इसका छिलका गहरा जामुनी चमकीला होता है एवं इसके फल का औसत वजन 450 ग्राम तक होता है इसमें कड़वापन नहीं होता है और इसकी सब्जी अत्यंत स्वादिष्ट बनती है।


Brinjal
Brinjal

बैंगन की खेती बाजार की मांग एवं लोकप्रियता के आधार किसानों को करनी चाहिए. जिस किस्म के बैंगन की मांग ज्यादा बाजार मे देखने को मिलता है उसी किस्म के बैंगन की खेती (Baigan ki Kheti) करनी चाहिए. बैंगन मे दो प्रकार के किस्म पाए जाते है एक तो लंबे आकार की बैंगन और दूसरा गोल आकार के बैंगन।

लंबे आकार की बैंगन

लंबे आकार के बैंगन की किस्म मे पूसा परपल लॉन्ग, पूसा हाईब्रिड -5, पूसा श्यामला, पूसा परपल क्लस्टर, पूसा क्रांति एवं पंत सम्राट आदि बैंगन के किस्म आते है। 

गोल आकार के बैंगन

गोल आकार के बैंगन की किस्म मे पूसा परपल राउंड, पूसा उत्तम, पूसा हाईब्रिड- 9, पूसा हाईब्रिड-6, पूसा अंकुर, पंत ऋतुराज आदि बैंगन के किस्म आते है।

बीज दर (Seed Rate)

बैंगन की खेती के लिए 300-400 g/ha बीज की आवश्यकता होती है यानि की एक हेक्टेयर मे बैंगन की खेती के लिए 300 से 400 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है और अगर आप संकर नस्ल के बैंगन की खेती करना चाहते है तो इसके लिए 150-200 g/ha बीज की आवश्यकता होती है यानि की अगर आप हाइब्रिड नस्ल के बैंगन की खेती करना चाहते है तो आपको एक हेक्टेयर मे बैंगन की खेती के लिए 150 से 200 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

बैंगन की फसल की बुआई का समय

S.N समय नर्सरी तैयार करने का समय खेत मे रोपाई का समय
1. वर्षा कालीन फरवरी-मार्च माह मार्च-अप्रैल माह
2. शरद कालीन जून-जुलाई माह जुलाई-अगस्त माह
3. बसंत कालीन सितंबर माह अक्टूबर-नवम्बर माह

 

Baigan ki kheti
Baigan ki kheti
भूमि की तैयारी

बैंगन की फसल कई महीनों की फसल है इसलिए बैंगन की खेती (Baigan ki Kheti) के लिए खेत की भूमि की तैयारी अच्छे से करना काफी आवश्यक हो जाता है खेत की भूमि की 3 से 4 जुताई करना काफी अच्छा माना जाता है खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल यानि की मोल्ड बोर्ड हल (Mould Board Plough), डिस्क प्लॉऊ (Disc Plough) या स्वदेशी हल (Indigenous plough) आदि से करना चाहिए। खेत की मिट्टी को समतल करने के लिए पाटा का उपयोग करना काफी अच्छा होता है।

जिस जगह पर बैंगन की फसल के लिए नर्सरी तैयार करनी है उस जगह की मिट्टी की तैयारी करना भी आवश्यक होता है. जुताई हो जाने के बाद खेत की मिट्टी मे उपलब्द खरपतवार को चुनकर निकाल लेना चाहिए जिससे की नर्सरी मे खरपटवारों का प्रकोप न हो। एवं इसकी मिट्टी मे गोबर एवं कम्पोस्ट की खाद को जरूरत के हिसाब से मिलाकर मिट्टी को समतल कर लेना चाहिए। एक बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि बैंगन की नर्सरी मे बुआई करने से पहले बैंगन के बीजों को उपचारित कर लेना चाहिए. बीजों को उपचारित करने के लिए थिरम या केप्तान का उपयोग कर सकते है।

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बैंगन की पौध की रोपाई एवं दूरी

जब बैंगन की पौधे नर्सरी मे 10 से 15 सेमी0 की लंबाई या चार से पाँच सप्ताह की हो जाती है तो बैंगन की पौधों को सावधानीपूर्वक मिट्टी से उखाङकर तैयार खेत मे शाम के समय मे रोपाई करें. पौधों को मिट्टी से उखारते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए की पौधों की जङ जितना कम टूटे उतना ही पौधों के लिए अच्छा होता है। किसान भाइयों को हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पौधों की रोपाई शाम के समय ही करें और रोपाई के तुरंत बात हल्की सिचाई अवश्य करें और इस बात का भी ध्यान रखे कि वैसे पौधे को न लगाया जाए जो की पहले से ही रोगों से ग्रसित है और जो पौधा शुरू मे ही रोपाई के समय या रोपाई के कुछ दिन बाद मर जाए या सुख जाए तो वैसे पौधों के जगह पर नई पौधों का रोपाई करें।

पौधों की रोपाई करते समय इस बात का हमेशा ध्यान रखे की पौधों से पौधों की बीच की दूरी 60 सेंटीमीटर एवं कतार से कतार के बीच की दूरी 60 से 70 सेंटीमीटर हो। बैंगन के पौधों की रोपाई के लिए दूरी अलग-अलग किस्मों, पौधों की रोपाई एवं मौसम पर भी निर्भर करता है आमतौर पर लंबी फल वाली बैंगन की किस्मों को 60×45 सेंटीमीटर, गोल आकार के किस्मों वाली 70×60 सेंटीमीटर एवं बैंगन की अधिक उपज देने वाली किस्मों को 90×90 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपाई किया जाता है। 

Brinjal Nursery
Brinjal Nursery

बैगन की फसल मे सिंचाई

बैंगन की फसल मे सिंचाई बैगन की किस्म और मौसम पर निर्भर करता है वर्षाकालीन बैंगन की फसल मे अगर समय-समय पर वर्षा जल से फसलों की सिचाई होते रहती है तो सिचाई की आवश्यकता नहीं पङती है. आवश्यकता पङने पर वर्षाऋतु मे भी आवश्यकतानुसार सिचाई की जा सकती है. वही अगर गर्मियों की मौसम की बात करें तो 5 से 7 दिनों के अंतराल पर इसकी फसल को सिचाई करने की आवश्यकता पङती है तथा सर्दियों के मौसम मे 10 से 15 दिनों के अंतराल पर सिचाई करने की आवश्यकता होती है।

बैंगन की फसल मे खरपतवार नियंत्रण

बैंगन की फसल मे खरपतवार नियंत्रण करना काफी आवश्यक होता है बैंगन की फसल से अधिक एवं अच्छा उपज लेने के लिए बैंगन की फसल मे उगे हुए खरपटवारों का निपटरण करना बेहद ही जरूरी होता है अगर सही से खपटवार का नियंत्रण नहीं किया जाए तो इसका सीधा प्रभाव फसल के उत्पादन पर पङता है। बैंगन के वर्षाऋतु वाले फसल मे खरपटवारों का कुछ ज्यादा ही प्रकोप होता है इसलिए बैंगन की फसल मे खरपटवारों के प्रारम्भिक अवस्था मे उगने पर ही इसे निकाल दे। पौधों के रोपाई के 40 से 50 दिन बाद तक फसल को निराई-गुड़ाई कर खरपतवार मुक्त फसल रखे. बैंगन की फसल से खरपतवार को निकालते समय इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि बैंगन की पौधों को किसी भी तरह से नुकसान न पहुँचे. यानि की ध्यान रहे की पौधों की जड़ों को नुकसान न पहुचें अन्यथा पौधे सुख जाते है।

बैंगन की फसल मे लगने वाले रोग

बैंगन की फसल मे भी कई तरह के रोग लगते है जिनमे प्रमुख्य कीट रोग हरा तेला, सफेद मक्खी, मोयला, एपिलेक्ना बीटल, फसल एवं तना छेदक एवं जालीदार पंख वाली बग आदि जैसे रोग बैंगन की फसल मे लगते है जिनका समय रहते अगर नियंत्रण नहीं किया जाए तो फसल को काफी नुकसान पहुँचाता है. एवं इन रोगों के अलावे बैंगन की फसल मे मूलग्रंथि सूत्र कृमि (निमेटोड) का भी संक्रमण होता है जिसके हो जाने से बैंगन के पौधों के जङो पर गाँठे बन जाती है बैंगन की पौधों की बढ़वार रुक जाती है जिसके कारण उपज पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पङता है। 

बैंगन की फसल मे व्याधियों का भी प्रकोप बना रहता है बैंगन की फसल मे प्रमुख्य व्याधियां झुलसा रोग, आर्द्रगलन एवं छोटी पत्ती रोग आदि जैसे रोग बैंगन की फसल मे लगते है। 

Brinjal farming
Brinjal farming

बैगन की तुड़ाई

बैगन की खेती मे बैगन की तुड़ाई सही समय पर करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है बैगन की फल की तुड़ाई फल के पकने से थोङा समय पहले ही की जाती है बैगन की फल उचित आकार और रंग का हो जाता है तब इसकी तुड़ाई करना चाहिए. इसकी फलो को तोडने मे देरी करने से फलो का रंग फीका पड़ जाता है, साथ ही फलो मे बीज एवं फल कड़े हो जाते है. बाजार में अच्छा भाव लेने के लिए फल चिकना और आकर्षक रंग का होना चाहिए। जिससे कि इसका भाव भी अच्छा मिलता है. बैगन की फसल से बैंगन की फलों की तुड़ाई करने के उपरांत बैंगन को किसी छायादार स्थान पर रखना चाहिए जिससे की इसका आकर्षक रंग बना रहे।

बैंगन की उपज

बैंगन की उपज बैंगन की किस्म, खेत की मिट्टी की उर्वरता शक्ति, एवं इसकी कैसी देखभाल की गई है इस पर भी निर्भर करता है वैसे आमतौर पर इसकी उपज लगभग 200 से 250 क़्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है एवं संकर किस्म के बैंगन का उत्पादन करने पर इसकी उपज लगभग 350 से 400 क़्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज प्राप्त की जा सकती है।

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बैंगन की खेती से संबंधित पूछे गए प्रश्न (FAQs)

Q. बैंगन की खेती कौन से महीने में की जाती है ?
वैसे तो बैंगन की खेती पूरे साल भर की जाती है बैगन की शरद कालीन फसल के लिए जुलाई-अगस्त माह, वर्षा कालीन फसल के लिए मार्च-अप्रैल माह में एवं बसंत कालीन फसल के लिए अक्टूबर-नवम्बर माह में बैंगन की पौध की रोपाई की जाती है। 
Q. बैंगन कितने दिन में फल देता है ?
बैंगन कितने दिन मे फल देती है ये तो पूरी तरह से बैंगन के किस्म पर निर्भर करता है क्योंकि अलग-अलग किस्म के अलग-अलग विशेषता होती है कोई अगेती किस्म का बैंगन का प्रजाति है तो पहले फल देगा. अगर कोई बैंगन की किस्म पछेती किस्म का तो वो लेत से फल देगा।
Q. बैंगन का वैज्ञानिक नाम क्या है ?
बैंगन का वैज्ञानिक नाम Solanum Melongena (सोलनम मेलोंगेना) होता है।
Q. बैंगन कौन से कलर का होता है ?
बैंगन की अलग-अलग किस्म अलग-अलग कलर के होते है बैंगन का रंग बैंगनी से लेकर सफेद , हरा और गुलाबी होता है।
Q. बैंगन कितने आकार के होते हैं ?
बैंगन की अलग-अलग किस्म अलग-अलग आकार की होती है यह गोल, अंडाकार, लम्बे और नाशपाती के आकार के होते हैं।

तो दोस्तों मुझे आशा है कि आपको बैंगन की खेती (Baigan ki kheti) से जुड़ी जानकारी पसंद आयी होगी इस पोस्ट मे बैंगन की खेती से जुङी अनेक प्रकार की जानकारियाँ दी गई है. अगर आपको इस पोस्ट से संबंधित कोई भीं सवाल हो तो आप हमसे कमेंट सेक्शन में पूछ सकते है।

तो दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा, अगर आपको पसंद आया है तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे। और उन तक भी बैंगन की खेती (Baigan ki Kheti) के बारे मे जानकारी पहुँचाए।

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