Friday, April 26, 2024

Chana Variety : चने की किस्में (Chana ki Kisme) : जानिए, चना की उन्नत किस्में एवं इसकी विशेषताएं और पैदावार के बारे मे। Gram variety in hindi

चना जिसे चिकपी (chickpea), बंगाल ग्राम आदि नामों से जाता हैं यह मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं देशी और काबुली। चना रबी ऋतु मे उगाए जाने वाली दलहनी फसलों मे महत्वपूर्ण स्थान रखता हैं पोषण के दृष्टि से भी चना का सेवन करना स्वस्थ के अच्छा माना जाता हैं क्योंकि चना मे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, कैल्सियम, आयरन एवं नियासीन आदि की अच्छी मात्रा पायी जाती हैं। 100 ग्राम चने के दाने मे औषतन 21.1 ग्राम प्रोटीन, 4.5 ग्राम वसा, 11 ग्राम पानी, 61.5 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 149 मिलीग्राम कैल्शियम, 7.2 मिलीग्राम आयरन, 0.14 मिलीग्राम राइबोफलेविन एवं 2.3 मिलीग्राम नियासीन पाया जाता हैं।

चने के दाने से बनायी गई दाल को खाने मे उपयोग किया जाता हैं साथ ही इसके दानों को पीसकर बेसन आदि भी बनाया जाता हैं जिससे अनेक प्रकार के स्वादिष्ट, चटपटा व्यंजन एवं मिठाइयाँ बनायी जाती हैं। इन व्यंजनों एवं मिठाइयाँ को लोग खूब पसंद करते हैं। चने की हरी पत्तियों से साग बनाया जाता हैं एवं हरी अवस्था मे चने के दानों से चने का बचका एवं सब्जी बनाया जाता है। चने से चने के दाल बनाने के उपरांत चने का छिलका एवं भूसा प्राप्त होता हैं जो पशुओं के चारे मे काम आता हैं। चने के अंकुरित बीजों को खाने से रक्त का शुद्धिकरण होता हैं एवं स्कर्वी रोग की उग्रता कम हो जाती हैं।

भारत विश्व में दालों का बड़ा उत्पादक है। भारत मे चने की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, हरियाणा, गुजरात, आंध्रप्रदेश एवं राजस्थान मे की जाती हैं। मध्यप्रदेश चने का सबसे अधिक क्षेत्रफल एवं उत्पादन वाला राज्य हैं। चने की उत्पति स्थान दक्षिण पश्चिमी एशिया हैं एवं इसका वानस्पतिक नाम साइसर एरिटेनम (Cicer arietinum) हैं. यह लेग्युमिनेसी कुल का पौधा हैं।

Chana ki kisme
Chana

चना की खेती करने से पहले चना की किस्मों (Chana ki kisme) के बारे मे जानकारी होना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. क्योंकि चना की कई ऐसी किस्में है जिनकी अलग-अलग पैदावार और विशेषता होती है। चना की उन्नत किस्मों का चुनाव क्षेत्रीय अनुकूलता और बीजाई के समय को ध्यान में रखकर किसानों को करना चाहिए, ताकि इनकी उत्पादन क्षमता का लाभ लिया जा सके। अगर किसान चना की सही किस्मों का चुनाव करें तो उन्हें अच्छी पैदावार के साथ अच्छा मुनाफ़ा हो सकता है। नीचे के सारणी मे चना की कुछ किस्मों के साथ उसकी पैदावार और विशेषता की जानकारी दी गई है तो आइये विस्तार से जानते है कि चना की खेती के लिए कौन-कौन से किस्मे है और इन किस्मों की क्या खासियत है।

चना की किस्में (Chana ki kisme)

पूसा 362 (Pusa 362) पन्त चना 186 (Pant Chana 186)
पूसा 372 (Pusa 372) पन्त चना 114 (Pant Chana 114)
पूसा 256 (Pusa 256) पन्त चना 4 (Pant Chana 4)
पूसा 547 (Pusa 547) पन्त चना 3 (Pant Chana 3)
पूसा 5023 (Pusa 5023) आई.सी.सी.सी. (I.C.C.C 37)
पूसा 2085 (Pusa 2085) के.डब्ल्यू.आर. 108 (K.W.R 108)
पूसा 5028 (Pusa 5028) राजेन्द्र चना 1 (Rajendra Chana 1)
पूसा ग्रीन 112 (Pusa Green 112) सी. 235 (C. 235)
पूसा चिकपी-10216 (Pusa Chickpea-10216) के.पी.जी. 54 (K.P.G 54) उदय
पूसा 209 (Pusa 209) एस.जी. 2 (S.G. 2)
पूसा 212 (Pusa 212) गुजरात चना 4 (Gujarat Chana 4)
पूसा 240 (Pusa 240) सी.एस.जे.के. 21 (C.S.J.K 21) आनंद
पूसा 244 (Pusa 244) सी.एस.जे.के. 6 (C.S.J.K 6) असर
पूसा 408 (Pusa 408) जी.एन.जी 1292 (G.N.G 1292)
पूसा 413 (Pusa 413) जी.एन.जी 663 (G.N.G 663) वरदान
पूसा 417 (Pusa 417) आर.एस.जी 44 (R.S.G 44)
पूसा 261 (Pusa 261) आर.एस.जी 888 (R.S.G 888) अनुभव
पूसा 329 (Pusa 329) आर.एस.जी 963 (R.S.G 963) अनुभव
पूसा 391 (Pusa 391) करनाल चना 1 (Karnal Chana 1)
पूसा 1103 (Pusa 1103) के.जी 11 (K.G 11)
पूसा 5028 (Pusa 5028) बी.जी. 1053 (B.G 1053)
पूसा 3022 (Pusa 3022 chana) आर.ए.यू 52 (R.A.U 52)
एम.एन.के 1 (M.N.K 1) आर.वी.के.जी 101 (R.V.K.G 101)
ए.के.जी 9303-12 (A.K.G 9303-12) आर.वी.के.जी 201 (R.V.K.G 201)
एच.के 4 (H.K 4) आर.वी.जी 202 (R.V.G 202)
फुले जी. 0027 (Phule G. 0027) आर.वी.जी 203 (R.V.G 203)
जी.एन.जी 1958 (G.N.G 1958) एल 555 (L 555)
जी.एन.जी 1969 (G.N.G 1969) डब्ल्यू.सी.जी.के. 2000-16 (W.C.G.K. 2000-16)
जी.एल.के. 28127 (G.L.K. 28127) बिरसा चना 3 (Birsa Chana 3)
एन.बी.ई.जी. 3 (N.B.E.G 3) बी.जी. 1084 (B.G 1084)
सी.एस.जे. 515 (C.S.J 515) जी.एन.जी 2144 (G.N.G 2144)
बी.डी.एन.जी.के. 798 (B.D.N.G.K 798) जी.एन.जी 2171 (G.N.G 2171)
जे.जी. 63 (J.G 63) जे.जी.के. 5 (J.G.K 5)
जे.जी 36 (J.G 36) जी.जे.जी. 0809 (G.J.G 0809)
जी.बी.एम 2 (G.B.M 2) एन.बी.ई.जी. 119 (N.B.E.G 119)
पन्त चना 5 (Pant Chana 5) बी.जी. 3043 (B.G 3043)
इंदिरा चना 1 (Indira Chana 1) फुले विक्रम (Phule Vikram)
एन.बी.ई.जी. 49 (N.B.E.G 49) एन.बी.ई.जी. 49 (N.B.E.G 49)
जी.एन.जी 2207 (G.N.G 2207) फुले जी. 0405 (Phule G. 0405)
बी.जी.डी. 111-1 (B.G.D. 111-1)
Chana ki kisme
चना की खेती

काबुली चना के किस्म (Kabuli Chana ki kisme)

पूसा 5023 (Pusa 5023) पूसा शक्तिमान पन्त काबुली चना 2 (Pant Kabuli Chana 2)
पूसा 2024 (Pusa 2024) पन्त काबुली चना 1 (Pant Kabuli Chana 1)
पूसा शुभ्रा (pusa shubhra) बी.जी.डी. 128 जे.जी.के 1 (J.G.K 1)
पूसा 1108 (Pusa 1108) जे.जी.के 3 (J.G.K 3)
पूसा 1105 (Pusa 1105) सी. 550 (C. 550)
पूसा 1088 (Pusa 1088) एच.के. 25 (H.K 25)
पूसा 1053 (Pusa 1053) एच.के. 94-134 (H.K 94-134)
पूसा 1003 (Pusa 1003) आई.सी.सी.वी 2 (I.C.C.V 2) स्वेता
पूसा 267 (Pusa 267) काक 2 (Kak 2)

चना की किस्मों की विशेषताएं और पैदावार (Characteristics and yields of Gram varieties)

पूसा 362 चना की इस किस्म (Chana Variety) की औसत उपज 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह किस्म उत्तर भारत के लिए उपयुक्त हैं। इस किस्म के दाने मोटे होते हैं एवं यह किस्म सूखा के प्रति सहनशील हैं। यह चना की किस्म जंङ रोग एवं सूत्रकृमि के लिए मध्यम प्रतिरोधी हैं। इस किस्म की पकने की अवधि 140 से 150 दिनों की हैं।

पूसा 391 चना की इस किस्म की औसत उपज 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह किस्म मध्य भारत के लिए उपयुक्त हैं। इस किस्म के दाने मोटे होते हैं एवं यह किस्म असिंचित क्षेत्रों मे समय पर बुआई के लिए उपयुक्त हैं।

पूसा 372 चना की इस किस्म की औसत उपज 18 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह किस्म सम्पूर्ण भारत के लिए उपयुक्त हैं। यह किस्म जङ रोग के लिए मध्यम प्रतिरोधी हैं एवं यह पछेती बुआई के लिए उपयुक्त हैं।

Chana ki kisme
Chana ki kisme

Agriculture in hindi

पूसा 256 यह सिंचित एवं असिंचित क्षेत्रों मे समय पर और पछेती बुआई के लिए यह किस्म उपयुक्त हैं। चना की इस किस्म की औसत उपज 22 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह किस्म सम्पूर्ण भारत के लिए उपयुक्त हैं। इस किस्म के दाने मोटे एवं अच्छी गुणवत्ता वाली होती हैं।

पूसा 408 चना की इस किस्म (Chana Variety) की औसत उपज 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह किस्म उत्तर भारत के लिए उपयुक्त हैं। यह किस्म जङ रोग के प्रति मध्यम रूप से रोधी हैं यह अधिक उपज वाली किस्म हैं।

पूसा 413 चना की इस किस्म की औसत उपज 17 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह किस्म पूर्वी भारत के लिए उपयुक्त हैं। यह किस्म उकठा प्रतिरोधी एवं अंगमारी के लिए मध्यम प्रतिरोधी हैं।

पूसा 240 चना की इस किस्म की औसत उपज 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह किस्म पूर्वी भारत के लिए उपयुक्त हैं। यह किस्म सूखे के प्रति सहनशील हैं।

पूसा 329 चना की इस किस्म की औसत उपज 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह किस्म उत्तर भारत के लिए उपयुक्त हैं साथ ही यह समय पर बुआई के लिए भी उपयुक्त हैं।

पूसा 547 ➢ यह किस्म पछेती बुआई के लिए उपयुक्त हैं चना की इस किस्म की औसत उपज 17 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह किस्म उत्तर भारत के लिए उपयुक्त हैं।

पूसा 209 चना की इस किस्म की औसत उपज 22 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह किस्म सम्पूर्ण भारत के लिए उपयुक्त हैं।

जी.एन.जी 1958 इसकी फसल की पकने की अवधि 146 दिन की है। चना की इस किस्म की औसत उपज 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह किस्म सिंचित क्षेत्र मे समय पर बुआई के लिए उपयुक्त हैं।

जी.एन.जी 1292 इसकी फसल की पकने की अवधि 140 से 150 दिन की है। चना की इस किस्म की औसत उपज 24 से 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह किस्म विल्ट, जङ गलन एवं झुलसा रोग के प्रति सहनशील हैं। इसके दाने मोटे होते हैं।

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आर.एस.जी 888 इसकी फसल की पकने की अवधि 130 से 135 दिन की है। चना की इस किस्म की औसत उपज 20 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह किस्म जंङ रोग एवं सूत्रकृमि रोधी हैं।

Chana ki kisme
चना की खेती

farming in hindi

आर.एस.जी 963 इसकी फसल की पकने की अवधि 125 से 130 दिन की है। चना की इस किस्म की औसत उपज 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह किस्म जंङ रोग, फल छेदक एवं सूत्रकृमि के प्रति मध्यम प्रतिरोधक क्षमता रखती हैं। इस किस्म की बुआई नवंबर के मध्य तक की जा सकती हैं इसके दाने मध्यम मोटे लालीयुक्त भूरे तथा गोलाकार होते हैं। 

के.जी 11 फसल की पकने की अवधि 97 से 100 दिन की है। चना की इस किस्म की औसत उपज 15 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह किस्म असिंचित क्षेत्र के लिए उपयुक्त हैं। यह किस्म उकठा रोगरोधी हैं।

गुजरात चना 4 फसल की पकने की अवधि 125 से 130 दिन की है। चना की इस किस्म की औसत उपज 20 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह किस्म उकठा सहिष्णु हैं। यह किस्म सिंचित क्षेत्र के लिए उपयुक्त हैं।

आर.एस.जी 44 फसल की पकने की अवधि 145 से 150 दिन की है। चना की इस किस्म की औसत उपज 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह किस्म सिंचित एवं असिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं। इसका दाना पीला होता हैं एवं यह किस्म उखटा रोग से कम प्रभावित हैं।

सी. 235 फसल की पकने की अवधि 140 से 160 दिन की है। चना की इस किस्म की औसत उपज 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह किस्म सिंचित एवं असिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं। इसका दाना छोटा एवं दानों का आकार मध्यम व रंग कत्थई होता हैं एवं इस किस्म मे झुलसा रोग का प्रकोप कम होता हैं।

जे.जी. 63 फसल की पकने की अवधि 110 से 120 दिन की है। चना की इस किस्म की औसत उपज 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह उक्टा, कॉलर सङन रोग हेतु प्रतिरोधी किस्म हैं।

काबुली चना के किस्मों की विशेषताएं और पैदावार (Characteristics and yields of Kabuli Chana varieties)

पूसा शुभ्रा चना की इस किस्म की औसत उपज 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह किस्म मध्य भारत के लिए उपयुक्त हैं। यह कम अवधि मे उगाई जाने वाली किस्म हैं इसके दानों का आकार मोटा होता हैं। यह किस्म जङ गलन एवं स्टंट वाइरस के लिए मध्यम प्रतिरोधी हैं।

पूसा 1053 चना की इस किस्म की औसत उपज 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह किस्म उत्तर भारत के लिए उपयुक्त हैं। यह अत्यंत मोटे दाने वाली चने की किस्म हैं यह किस्म छोले बनाने के लिए उपयुक्त हैं साथ ही यह जङ गलन एवं उकठा रोग के लिए मध्यम प्रतिरोधी हैं।

Chana ki kisme
चना मे दाने आने के समय का फोटो

पूसा 1003 यह मोटे दानों वाली चने की किस्म हैं चना की इस किस्म की औसत उपज 15 से 23 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह किस्म पूर्वी भारत के लिए उपयुक्त हैं। यह किस्म छोले बनाने के लिए उपयुक्त हैं। साथ ही यह जङ गलन एवं उकठा रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी हैं।

पूसा 267 चना की इस किस्म की औसत उपज 20 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह किस्म उत्तर भारत के लिए उपयुक्त हैं। चने की यह किस्म सिंचित एवं समय पर बुआई करने के लिए उपयुक्त हैं।

काक 2 फसल की पकने की अवधि 110 से 115 दिन की है। चना की इस किस्म की औसत उपज 17 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह किस्म सिंचित एवं असिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं।

जे.जी.के 1 फसल की पकने की अवधि 110 से 115 दिन की है। चना की इस किस्म की औसत उपज 15 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं एवं यह किस्म सिंचित क्षेत्र मे देर से बुआई के लिए उपयुक्त हैं। यह जङ गलन एवं कॉलर रॉट रोग प्रतिरोधी हैं।

जे.जी.के 3 फसल की पकने की अवधि 105 से 111 दिन की है। चना की इस किस्म की औसत उपज 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं। यह उकठा रोग प्रतिरोधी किस्म हैं इसका बीज चिकना होता हैं।

सी. 550 फसल की पकने की अवधि 145 से 155 दिन की है। चना की इस किस्म की औसत उपज 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं। 

एच.के. 25 फसल की पकने की अवधि 130 से 135 दिन की है। चना की इस किस्म की औसत उपज 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं। 

Chana ki kisme
अंकुरित चना

एच.के. 94-134 फसल की पकने की अवधि 150 से 155 दिन की है। चना की इस किस्म की औसत उपज 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं। 

आई.सी.सी.वी 2 फसल की पकने की अवधि 95 दिन की है। चना की इस किस्म की औसत उपज 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं। यह मध्यम एवं सफेद दानों वाली समय से बोई जाने वाली किस्म हैं यह उकठा रोगरोधी किस्म हैं।

तो मुझे आशा है कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा, अगर आपको पसंद आया है तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे। और उन तक भी चना के किस्मों (Chana ki kisme) के बारे मे जानकारी पहुँचाए।

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