प्राचीन काल से ही पशुपालन होते आ रहा हैं कोई पशुपालन व्यवसाय के रूप मे कर रहा हैं तो कोई अपने घर के दूध की जरूरतों की पूर्ति के लिए कर रहा हैं। हमारे देश के किसान भी अपने आय को बढ़ाने के लिए प्राचीन काल से ही पशुपालन करते आ रहे है। आमतौर पर पशुपालन दूध के लिए एवं मांस, खेत की जुताई, ऊन आदि के लिए किया जाता हैं। दूध एवं मांस के लिए पशुपालन पूरे विश्व मे लिया जाता हैं। गांव मे रहने वाले लोग एवं किसान आज भी पशुपालन अतिरिक्त आय कमाने के लिए करते हैं। किसानों को पशुपालन करने से कई तरह के लाभ मिलते हैं पशुपालन से प्राप्त गोबर से किसान खाद का निर्माण करते हैं इस खाद का उपयोग किसान खेती करने मे करते हैं साथ ही गोमूत्र से जैविक कीटनाशक का निर्माण करके खाद एवं कीटनाशकों पर होने वाले खर्चों को कम करते हैं।
भारतीय देसी गाय (Indian Desi Cow) अपनी खास विशेषताओं के लिए जानी जाती हैं ऐसा माना जाता हैं की देसी गाय का दूध विदेशी गायों के दूध से अधिक फायदेमंद एवं पौष्टिक होता हैं। देसी गाय के दूध एवं घी मे पाए जाने वाले गुणों के कारण इसकी मांग बाजार मे खूब रखती हैं। इसके दूध बलवर्धक, बुद्धिवर्धक एवं मस्तिष्क के विकाश के लिए अच्छा माना जाता हैं जिसके कारण लोग अपने बच्चों को देशी गाय का दूध पिलाना चाहते हैं। आज के समय मे बच्चों को ए-2 देसी गाय का दूध पिलाने का चलन काफी बढ़ा हैं जिसकी वजह हैं ए-2 मिल्क (a2 gir cow milk) की मांग बाजार मे काफी हद तक बढ़ी हैं। पशुपालक जो की पहले ज्यादा दूध के उत्पादन के लिए विदेशी नस्लों की गायों का पालन करते थे वो भी अब धीरे-धीरे एक दो देशी गाय रखने लगे हैं क्योंकि देशी गाय (Desi Cow) की दूध की कीमत विदेशी नस्लों वाली गायों के दूध की कीमत से दोगुना से भी अधिक मिलती हैं।
वैसे तो हमारे देश मे गाय के कई नस्लें पाई जाती है जिनमें कुछ विदेशी नस्ल भी शामिल हैं आज के इस लेख मे हमलोग जानने वाले हैं, भारतीय देसी गाय (indian desi cow) की नस्लों एवं इन नस्लों की क्या विशेषता हैं इसके बारे मे। अगर आप भी पशुपालन करते हैं तो ये लेख आपके लिए काफी अच्छा साबित हो सकता हैं। इस लेख को पढ़ने के बाद आपको भारतीय देसी गाय की नस्लों का चुनाव करने मे आसानी होगी।
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भारतीय देसी गाय की नस्लें (Indian Desi Cow Breeds)
भारतीय देसी गाय (indian desi cow) की नस्लों की जानकारी एवं विशेषता नीचे मे दी गई हैं।
साहिवाल गाय (Sahiwal Cow in hindi)
साहिवाल दुधारू नस्ल वाली गायों मे से एक है। अलग-अलग क्षेत्रों मे साहिवाल को अलग-अलग नामों से भी जानते हैं इसे लोला, मंतगोमरी, लंबिबार और मुल्तानी के नाम से जानते हैं। साहिवाल गाय की प्रथम ब्यांत की औसत उम्र 37 से 48 माह हैं और इसकी प्रति ब्यांत दूध उत्पादन क्षमता 2000 से 2200 लीटर की हैं। इसके नर पशु का सामान्य वजन 522 किलोग्राम एवं मादा पशु का सामान्य वजन 340 किलोग्राम होता है।
साहिवाल गाय के शरीर का रंग सामान्यतः लाल, पीला लाल एवं हल्के भूरे से लेकर गहरा भूरा होता हैं। इसके पैर छोटा तथा त्वचा ढीली होती हैं। साहिवाल का पूँछ लंबा तथा सिंग मोटे तथा आकार मे छोटे होते है।
गिर गाय (Gir Cow in hindi)
गिर (Gir Cow) भारतीय नस्ल की गाय हैं गिर नाम गुजरात के गिर वन से लिया गया हैं जो कि इसका उद्गम स्थान हैं। गिर दुधारू नस्ल वाली गायों मे से एक है। अलग-अलग क्षेत्रों मे गिर को अलग-अलग नामों से भी जानते हैं इसे गुजराती, देसन, काठियावाडी, सूरती, सोरठी एवं भोदाली के नाम से जानते हैं। गिर गाय की प्रथम ब्यांत की उम्र 47 माह हैं और इसकी प्रति ब्यांत दूध उत्पादन क्षमता 1700 लीटर की हैं।
गिर गाय की उद्गम स्थान भले ही गुजरात हो लेकिन इसे भारत के कई राज्यों मे पाला जाता हैं यह भारतीय गाय की नस्ल काफी प्रचलित एवं लोकप्रिये हैं अपने गुणों के कारण। यह अच्छी प्रजनन क्षमता वाली नस्ल हैं। इस नस्ल की गाय में काफी अच्छे गुण होते है. इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी काफी बेहतर होती है और यह लंबे समय तक दूध देती हैं। इस नस्ल की गाय की रखरखाव करने के लिए किसी खास तरह की व्यवस्था नही करनी पङती हैं।
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लाल सिन्धी गाय (Red Sindhi Cow in hindi)
लाल सिन्धी दुधारू नस्ल वाली गाय है। अलग-अलग क्षेत्रों मे लाल सिन्धी को अलग-अलग नामों से भी जानते हैं इसे मालिर, रेड कराची और सिंधी के नाम से जानते हैं। इसकी प्रति ब्यांत दूध उत्पादन क्षमता 1800 से 2000 लीटर की हैं।
इसके शरीर का रंग गहरा लाल होता हैं एवं चेहरा लंबा होता हैं।
देवनी गाय (Devni Cow in hindi)
देवनी गाय का जन्म स्थान हैदराबाद का पश्चिमी भाग हैं इस नस्ल को डोंगरपट्टी (Dongarpatti) के नाम से भी जानते हैं। इसकी प्रति ब्यांत दूध उत्पादन क्षमता 1600 से 1800 लीटर की हैं।
इस गाय की नस्ल मे गलकंबल पूर्ण रूप से विकसित होता हैं इसका चेहरा पतला तथा साफ होता हैं। इसका रंग काला, सफेद एवं लाल होता हैं।
थारपारकर गाय (Tharparkar Cow in hindi)
थारपारकर द्विकाजी नस्ल वाली गायों मे से एक है। अलग-अलग क्षेत्रों मे थारपारकर को अलग-अलग नामों से भी जानते हैं इसे थरी, व्हाइट सिंधी एवं ग्रे सिंधी के नाम से जानते हैं राजस्थान के स्थानीय भागों में इसे ‘मालाणी नस्ल’ के नाम से जाना जाता है। इसकी प्रति ब्यांत दूध उत्पादन क्षमता 1200 से 2000 लीटर की हैं। इसके नर पशु का सामान्य वजन 500 किलोग्राम एवं मादा पशु का सामान्य वजन 400 किलोग्राम होता है।
थारपारकर गाय का रंग सफेद, भूरा एवं धूसर होता हैं गलकंबल लटका हुआ होता हैं और इसका चेहरा मध्यम लंबाई वाला एवं माध्यम आकार वाले सींग होते हैं।
हरियाणा गाय (Haryana Cow in hindi)
हरियाणा द्विकाजी नस्ल वाली गाय है। इसकी प्रति ब्यांत दूध उत्पादन क्षमता 1200 से 1400 लीटर की हैं। इसके नर पशु का सामान्य वजन 500 किलोग्राम एवं मादा पशु का सामान्य वजन 400 किलोग्राम होता है।
हरियाणा नस्ल की गाय सफेद या हल्के धूसर रंग के होते हैं इस नस्ल का चेहरा लंबा और संकरा होता हैं एवं इसका सींग छोटे एवं मूढ़े हुए होते हैं। इसके पैर मजबूत एवं पूंछ पतली होती हैं। बैल खेती के कार्यों के लिए अच्छे होते हैं।
कांकरेज गाय (Kankrej Cow in hindi)
कांकरेज गाय का जन्म स्थान गुजरात हैं कांकरेज द्विकाजी नस्ल वाली गाय है। इसकी प्रति ब्यांत दूध उत्पादन क्षमता 1200 से 1500 लीटर की हैं। अलग-अलग क्षेत्रों मे कांकरेज को अलग-अलग नामों से भी जानते हैं इसे वदाद (Wadad) या वेजेड (Waged), वागडिया (Vagadia), तालबदा (Talabda), बोनाई (Bonnai) एवं नागु (Nagu) के नाम से जानते हैं।
इस नस्ल के पशु तेज चलते हैं एवं बोझ धोने के काम आते हैं यह गाय की नस्ल सवाई चाल के लिए प्रसिद्ध हैं। गाय की काँकरेज नस्ल तेज एवं शक्तिशाली होती हैं। इस नस्ल की गाय की सींग मजबूत एवं मुङे हुए होते हैं।
राठी गाय (Rathi Cow in hindi)
राठी गाय का जन्म स्थान राजस्थान का अलवर क्षेत्र हैं राठी द्विकाजी नस्ल वाली गाय है। इसकी प्रति ब्यांत दूध उत्पादन क्षमता 1000 से 1200 लीटर की हैं। इसके नर पशु का सामान्य वजन 500 किलोग्राम एवं मादा पशु का सामान्य वजन 350 किलोग्राम होता है।
राठी गाय सामान्यतः हल्के लाल रंग के होते हैं इनका आकार मध्यम, पूँछ लंबा होता हैं एवं सिर छोटा होता हैं। राठी गाय सफेदी लिए हुए या धुंधले रंग के भी पाए जाते हैं।
नागौरी गाय (Nagauri cow in hindi)
नागौरी गाय का जन्म स्थान जोधपुर राजस्थान हैं यह नस्ल अपनी तेज चाल एवं कार्य क्षमता के लिए प्रसिद्ध हैं नागौरी गाय भले ही दूध कम दे लेकिन खेत मे कार्य करने के लिए अच्छी मानी जाती हैं। नागौरी भारवाही नस्ल की गाय हैं जिसकी प्रति ब्यांत दूध उत्पादन क्षमता 800 से 1000 लीटर की हैं।
नागौरी गाय का रंग सफेद एवं धूसर होता हैं इसका शरीर लंबा, गर्दन छोटी एवं मजबूत होता हैं। नागौरी गाय के पैर सीधे, लंबे और मजबूत होते हैं।
कृष्णा वैली गाय (Krishna Valley Cow in hindi)
कृष्णा वैली गाय को कृष्णा घाटी के नाम से भी जाना जाता हैं इसका जन्म स्थान कृष्णा नदी की घाटी कर्नाटक हैं इसके जन्म स्थान पर ही इसका नाम रखा गया हैं। यह गाय काली कपास मिट्टी मे कार्य करने के लिए प्रसिद्ध हैं। इस नस्ल के बैल शक्तिशाली होते हैं जो खेत की जुताई के लिए अच्छे माने जाते हैं। इस नस्ल की प्रति ब्यांत दूध उत्पादन क्षमता 900 से 1200 लीटर की हैं।
ओंगोल गाय (Ongole Cow in hindi)
ओंगोल गाय की नस्ल को नेल्लोर (Nellore) के नाम से जाना जाता है। इसका जन्म स्थान गुंटूर (Guntur) जिला आंध्र प्रदेश हैं। इस नस्ल की प्रति ब्यांत दूध उत्पादन क्षमता 1000 से 1200 लीटर की हैं। इस नस्ल के गाय का रंग सफेद या हल्का भूरा होता हैं।
गाय के नस्लों का चुनाव
पशुपालन शुरू करने से पहले नस्लों का सही चुनाव करना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है नस्लों का चुनाव पूरी तरह से पशुपालकों पर निर्भर करता है क्योंकि पशुपालक किस उदेश्य से पशुपालन करना चाहते है. यदि कोई पशुपालक ज्यादा दूध उत्पादन के दृष्टि से पशुपालन करना चाहते हैं तो उन्हे ज्यादा दूध देने वाली गाय या भैस के नस्लों का चयन करना चाहिए। पशुओं के नस्लों का चयन करते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए की पशु आपके वातावरण क्षेत्र मे रह सकता हैं की नहीं।
देसी गाय से संबंधित पूछे गए प्रश्न (Cow FAQs)
भारत में गाय की 30 से अधिक नस्लें पाई जाती हैं, इनमें से कुछ नस्लें दुधारू हैं तो कुछ द्विकाजी एवं भारवाही गाय की नस्लें हैं। |
गाय की अधिक दूध देने वाली भारतीय नस्ल कौन सी है? |
गाय की अधिक दूध देने वाली भारतीय नस्ल साहिवाल हैं, साहिवाल का प्रति ब्यांत दूध उत्पादन क्षमता 2000 से 2200 लीटर की हैं। |
दोनों नस्ल बेहतर हैं अगर दूध की बात करें तो साहिवाल गिर से ज्यादा दूध देती हैं। |
होल्स्टीन फ्रिजियन गाय प्रतिदिन सबसे ज्यादा दूध देती हैं लेकिन यह गाय विदेशी नस्ल की हैं। |
क्या साहीवाल देसी गाय है? |
जी, हाँ |
साहिवाल गाय को लोला, मंतगोमरी, लंबिबार और मुल्तानी के नाम से जानते हैं। |
तो मुझे आशा है कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा, अगर आपको पसंद आया है तो इस लेख को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे। और उन तक भी भारतीय देसी गाय की नस्लों एवं उनकी विशेषता के बारे मे जानकारी पहुँचाए।
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