Saturday, April 27, 2024

Bhindi ki Kheti : कैसें करे भिंडी की खेती, जानिए भिंडी की खेती की A to Z जानकारी। Lady Finger Farming in hindi

भिंडी की खेती (Bhindi ki Kheti) जहां बङे पैमाने पर की जाती हैं वहीं इसे घर के किचन गार्डनिंग, गमले, बैकयार्ड फार्मिंग आदि मे भी खूब उगाया जाता हैं। भिंडी को घर पर गमले, प्लास्टिक के पॉट आदि मे आसानी से उगाया जा सकता हैं और घर की भिंडी की जरूरतों को पूरा किया जा सकता हैं। भिंडी से सब्जी एवं अन्य कई तरह के व्यंजन बनाये जाते हैं जो की खाने मे काफी अच्छा एवं स्वादिस्त होता हैं। भिंडी आयोडिन का अच्छा स्त्रोत हैं। भिंडी मे विटामिन ए तथा सी प्रचुर मात्रा मे पाया जाता हैं मुख्य रूप से भिंडी मे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवणों जैसे कैल्शियम, फस्फोरस के अतिरिक्त विटामिन ए, बी, सी, थाईमीन एवं रिबोफ्लेविन भी पाया जाता हैं। भिंडी के फल का इस्तेमाल तो खाने मे होता ही हैं साथ ही भिंडी के तने एवं जङ का इस्तेमाल गन्ने के रस को साफ करने मे भी किया जाता हैं। भिंडी के तने का रेशा कागज बनाने मे भी काम आता हैं।

हमारे देश मे भिंडी मुख्य रूप से गुजरात, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश, असम, राजस्थान, तमिलनाडु, हरियाणा, पंजाब एवं कर्नाटक मे व्यवसायिक रूप से उगाई जाती हैं। भिंडी के उत्पादन मे हमारे देश का प्रथम स्थान हैं। अगर बाजार मे भिंडी का अच्छा कीमत मिले तो इससे काफी अच्छी आमदनी हो सकता हैं। वैसे तो भिंडी की खेती करना आसान हैं अगर किसानों को मौसम आदि का साथ मिले तो। इसकी खेती करने के दौरान अगर किसान कुछ चीजों का ध्यान रखे तो इसकी खेती मे सफलता पाई जा सकती हैं।

भिंडी का वानस्पतिक नाम एबलमास्कस एस्कुलैन्टस हैं यह मालवेसी कुल का पौधा हैं इसका उत्पति स्थान अफ़्रीका हैं। भिंडी में म्यूसिलेज नाम का एक पदार्थ पाया जाता है जो मुख्य रूप से इसे चिपचिपा बनाता है। भिंडी के काशी लालिमा किस्म का फल बैगनी लाल रंग का होता हैं बाकी अन्य भिंडी के किस्म का रंग हरा होता हैं।

Bhindi ki Kheti
भिंडी की खेती

आज के इस लेख मे भिंडी की बुआई से लेकर तुङाई तक की पूरी जानकारी देने की कोशिश की गई हैं। अगर आप भी भिंडी की खेती करने का सोच रहे हैं तो ये लेख आपको भिंडी की खेती (Bhindi Farming in hindi) से संबंधित जानकारी जुटाने मे मदद कर सकता हैं।

भिंडी के किस्म (Bhindi Variety in hindi)

पूसा मखमली (Pusa Makhmali) पूसा सावनी (Pusa Sawani)
पंजाब पदमिनी (Punjab Padmini) प्रभनी क्रान्ति (Prabhani Kranti)
हरभजन भिंडी (Harbhajan Bhindi) हिसार उन्नत (Hisar Unnat)
आजाद क्रान्ति (Azad kranti) आजाद गंगा (Azad Ganga)
आजाद ओकरा 3 (Azad okra 3) काशी लालिमा (Kashi Lalima)
अर्का अभय (Arka Abhay) पूसा ए 4 (Pusa A 4)
अर्का अनामिका (Arka Anamika) पंजाब 7 (Punjab 7)
वर्षा उपहार (Warsha uphar) वी.आर.ओ. 6
वी.आर.ओ. 3 वी.आर.ओ. 4
उत्कल गौरव (Utkal Gaurav) परकिंस लॉंग ग्रीन (Perkins Long Green)
काशी चमन (Kashi Chaman) पंजाब 8 (Punjab 8)
काशी सृष्टि (Kashi Srishti) काशी वरदान (Kashi Vardaan)
फुले उत्कर्ष (Phule Utkarsha ) कीर्ति (Kirti)
फुले विमुक्ता (Phule Vimukta)

ऊपर के सारणी मे कुछ भिंडी के किस्मों का नाम दिया गया है।

भिंडी की खेती कैसें करें (Bhindi ki kheti kaise karen)

भिंडी की खेती के लिए मिट्टी एवं जलवायु (Soil and climate for okra cultivation)

वैसे तो भिंडी की खेती सभी तरह के मिट्टियों मे की जा सकती हैं लेकिन इसकी खेती के लिए दोमट एवं बलुई दोमट मिट्टी को अच्छा माना जाता हैं। इसकी खेती के लिए वैसी भूमि का चुनाव करें जिसकी मिट्टी पोषक तत्व युक्त हो। किसानों को भिंडी की खेती (Bhindi ki unnat kheti) करने के लिए ऐसी भूमि का चयन करना चाहिए जिसमे जल निकास की उचित व्यवस्था हो ऐसी भूमि का चुनाव करना इसकी खेती के लिए काफी अच्छा माना जाता हैं।

भिंडी की खेती (lady finger farming) गर्मी तथा खरीफ दोनों मौसमों मे की जाती हैं भिंडी के बीज के जमाव के लिए उपयुक्त तापमान 17 से 22 डिग्री सेल्सियस उपयुक्त होता हैं तथा इसकी पौधों की बढ़वार के लिए 35 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान उपयुक्त होता हैं। 

भिंडी की खेती के लिए भूमि की तैयारी (Preparation of land for okra cultivation)

किसी भी फसल से अच्छी पैदावर लेने के लिए भूमि की अच्छी तैयारी करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। खेत की भूमि को देसी हल या कल्टीवेटर से 2 से 3 बार जुताई करके पाटा लगाकर मिट्टी को समतल कर लेना चाहिए। किसानों को खेत की जुताई हो जाने पर सिंचाई एवं जल निकासी की उचित व्यवस्था कर लेनी चाहिए।

भिंडी की बुआई का समय (Bhindi ki kheti kab kare)

अगर भिंडी की ग्रीष्मकालीन बुआई की जा रही हैं तो इसकी बुआई फरवरी-मार्च मे कर देनी चाहिए। वहीं वर्षाकालीन भिंडी की बुआई जून-जुलाई मे की जा सकती हैं।

1 हेक्टेयर मे बुआई के लिए भिंडी की बीज दर (Bhindi seed rate for sowing in 1 hectare)

भिंडी की एक हेक्टेयर मे गर्मी के मौसम मे खेती करने के लिए 18 से 20 किलोग्राम भिंडी के बीज की आवश्यकता होती हैं। वहीं खरीफ के मौसम मे इसकी खेती करने के लिए 10 से 12 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती हैं।

बीज की गहराई एवं दूरी (Seed depth and spacing)

अगर किसान वर्षाकालीन भिंडी की बुआई कर रहे हैं तो कतार से कतार की दूरी 40 से 45 सेंटीमीटर एवं कतारों मे पौधों के बीच की दूरी 25 से 30 सेंटीमीटर का अंतर रखना उचित रहता हैं। ग्रीष्मकालीन भिंडी की बुआई के लिए कतार से कतार की दूरी 25 से 30 सेंटीमीटर एवं कतार मे पौधों से पौधों के मध्य की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। साथ ही इसकी बीज की बुआई लगभग 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई मे करनी चाहिए।

Bhindi ki Kheti
bhindi ka ped
भिंडी के बीज का बीजोपचार (Seed treatment of okra seeds)

भिंडी की बुआई से पहले इसके बीजों को उपचारित करना काफी अच्छा माना जाता हैं उपचारित बीज से बीज जनित रोग होने का भय नहीं रहता है। भिंडी की बुआई से पहले इसके बीजों को बाविस्टिन या थायरम से 0.2 प्रतिशत से प्रति 3 किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचरित करके बोयें।

भिंडी की बुआई की विधि (Bhindi ki buai ki vidhi)

भिंडी की बुआई पंक्तियों मे करना इसकी खेती के लिए अच्छा माना जाता हैं। भिंडी की बुआई सीड ड्रिल, खुरपी की मदद से हाथ से एवं हल की सहायता से की जा सकती हैं। कतार में फसल बोने की वजह से सिंचाई, निराई-गुराई, फल की तोङाई आदि का कार्य करने मे आसानी होती हैं।

भिंडी की फसल मे सिंचाई (Bhindi ki sichai kab kare)

भिंडी की फसल की सिंचाई आवश्यकता के अनुसार करते रहना चाहिए जिससे की फसल को पानी की कमी न हो। बरसात के दिनों मे अगर बराबर वर्षा हो रही हैं तो ऐसे मे सिंचाई की आवश्यकता नही होती हैं। गर्मी की फसल मे 6 से 7 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए। सिंचाई आवश्यकता पङने पर ही करें। संभव हो तो किसानों को ड्रिप सिंचाई प्रणाली को अपनाना चाहिए। ड्रिप सिंचाई का भिंडी की खेती (bhindi Farming) मे इस्तेमाल होने से पानी की बचत होगी साथ ही भिंडी की खेती से अधिक उत्पादन भी प्राप्त किया जा सकता हैं।

भिंडी की फसल मे खरपतवार नियंत्रण (Weed control in okra crop)

भिंडी की फसल के साथ-साथ अनचाहे खरपतवार उग आते है जो मिट्टी में उपस्थित पोषक तत्व और उपर से दिये गए खाद एवं पानी को ग्रहण कर लेते हैं और पौधों के विकास मे बाधा उत्पन्न करते हैं। जिसके कारण भिंडी की खेती (okra farming) मे किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पङ सकता हैं, अतः खरपतवारों पर नियंत्रण पाने के लिए पहली निदाई एवं गुङाई बुआई के 15 से 20 दिन के बाद खुरपी की मदद से या मशीन द्वारा निदाई एवं गुङाई करें। कम से कम दो बार निदाई एवं गुङाई की आवश्यकता होती हैं। गुङाई करते समय इस बात का ध्यान रखे की पौधों की जङे न कटे। खरपतवार का नियंत्रण रासायनिक विधि द्वारा भी किया जा सकता हैं।

भिंडी की फसल मे लगने वाले रोग एवं कीट (Diseases and pests of ladyfinger crop)

भिंडी की फसल मे भी कई तरह के रोग एवं कीट लगते है जिनमे प्रमुख्य कीट प्ररोह एवं फल छेदक, हरा तेला, मोयला, सफेद मक्खी एवं रेड स्पाइडर आदि है इन कीटों पर अगर समय रहते नियंत्रण न किया जाए तो इसका बुङा प्रभाव हमारी फसल पर पङती है जो की हमारी उपज को प्रभावित करती है। इन कीटों के अलावा भिंडी की फसल मे रोग का भी प्रकोप बना रहता है भिंडी की फसल मे प्रमुख्य रोग चूर्णिल आसिता एवं पीत शिरा रोग (येलो वेन मोजेक वायरस) आदि जैसे रोग भिंडी की फसल मे लगते है। इन सभी रोगों से बिना ज्यादा नुकसान के बचा जा सकता है बस जरूरत होती है फसल की अच्छी देखभाल की। अच्छी देखभाल के साथ-साथ अगर किसान को किसी रोग का लक्षण दिखे तो शुरुआती लक्षण दिखते ही इसके रोकथाम का इंतजाम करना चाहिए।

भिंडी की तोङाई (Plucking ladyfinger)

भिंडी की तोङाई फलियों की नर्म अवस्था मे करनी चाहिए भिंडी के कङे होने या बीज बनने से पहले इसकी तोङाई कर लेनी चाहिए। फलियों की तोङाई नियमित अंतराल पर करते रहना चाहिए। भिंडी की तोङाई मे थोङा भी अधिक समय हो जाने पर फल कङा हो जाता हैं जिससे भिंडी की कीमत पर असर पङता हैं।

Bhindi ki Kheti
Bhindi ki Kheti
भिंडी की उपज (Yield of Bhindi)

भिंडी की उपज भिंडी की किस्म, खेत की मिट्टी की उर्वरता शक्ति, एवं इसकी कैसी देखभाल की गई है इस पर भी निर्भर करता है वैसे आमतौर पर इसकी उपज लगभग 120 से 150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है। इसकी उपज पूरी तरह से इसकी किस्म पर निर्भर करती है।

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भिंडी की खेती से संबंधित पूछे गए प्रश्न (FAQs)
भिंडी को किस मौसम में उगा सकते हैं?
भिंडी को गर्मी तथा खरीफ दोनों मौसमों मे उगा सकते हैं।
1 हेक्टेयर में भिंडी का उत्पादन कितना होता है?
1 हेक्टेयर में भिंडी का उत्पादन लगभग 12 से 15 टन तक होता हैं।
भिंडी को इंग्लिश में क्या कहते हैं?
भिंडी को इंग्लिश में लेडीज़ फिंगर्स या ओकरा कहते हैं।
भिंडी किस जलवायु का पौधा हैं?
भिंडी उष्ण जलवायु का पौधा हैं।
विश्व मे भारत का भिंडी उत्पादन मे स्थान क्या हैं?
विश्व मे भारत का भिंडी उत्पादन मे प्रथम स्थान हैं।
कितने दिनों के अंतराल पर भिंडी की तुङाई करनी चाहिए?
5 से 6 दिन के अंतराल पर।
लाल रंग वाली भिंडी की किस्म कौन सी हैं?
लाल रंग वाली भिंडी की किस्म काशी लालिमा हैं।

तो मुझे आशा है कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा, अगर आपको पसंद आया है तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे। और उन तक भी भिंडी की खेती (Bhindi ki kheti in hindi) के बारे मे जानकारी पहुँचाए।

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