आजकल खेतों मे मल्चिंग (Mulching) तकनीक कहीं-कहीं देखने को मिलता हैं ज्यादातर ये तकनीक सब्जी वाले फसलों मे देखा जा सकता हैं। आपने कभी न कभी ये देखा होगा अपने गाँव के आस पास के खेतों मे या कहीं सफर करते समय आपको खेतों मे ये मल्चिंग तकनीक देखने को मिला होगा। आपने देखा होगा की फसलों के क्यारियों पर प्लास्टिक सीट जैसा कुछ बिछा हैं ये सीट सफेद, काले एवं अलग-अलग रंगों मे होता हैं। आपको ये प्लास्टिक सीट बिछा हुआ देख कर मन मे बङा ताज्जुब हुआ होगा की ये प्लास्टिक सीट फसल के क्यारी पर क्यों बिछा हैं आज के इस लेख मे इसी मल्चिंग तकनीक के बारें मे जानने वाले हैं।
किसान काफी समय पहले से पलवार/मल्चिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं किसान मल्चिंग के लिए प्राकृतिक सामग्री जैसे पेङो के पत्ते, घास, फसलों के अवशेष, लकङी का छिलका एवं बुरादा आदि का प्रयोग मल्चिंग करने मे करते हैं। किन्तु प्राकृतिक साधनों की कमी एवं उपयोगिता मे अनेक प्रकार की कमियां के कारण अन्य विकल्प के रूप मे अब प्लास्टिक मल्चिंग का भी इस्तेमाल होने लगा हैं ये प्लास्टिक मल्चिंग अलग-अलग मोटाई (मायक्रोन) मे आते हैं।
फसलों से अच्छे उत्पादन कम लागत मे लेने के लिए मल्चिंग का इस्तेमाल करना काफी अच्छा माना जाता हैं मल्चिंग का इस्तेमाल फसलों के पौधों के जङो के चारों ओर की भूमि को ढकने के लिए किया जाता हैं। भूमि को इस प्रकार से ढकने पर पौधों के पास की भूमि मे पर्याप्त मात्रा मे नमी काफी समय तक बना रहता हैं एवं खरपतवार नहीं उगते हैं साथ ही भूमि का तापमान भी सामान्य बना रहता हैं।
किसान मुख्यतः दो प्रकार के मल्चिंग का इस्तेमाल करते हैं पहला तो प्राकृतिक मल्चिंग का जिसमें पेङो के पत्ते, घास, भूसा, फसलों के अवशेष, लकङी का छिलका एवं बुरादा आदि का प्रयोग मल्चिंग करने मे करते हैं। दूसरा वो जो कृत्रिम पदार्थों से निर्मित हो जैसे कि प्लास्टिक मल्चिंग। प्राकृतिक मल्चिंग का प्रयोग काफी वर्ष पहले से होता आ रहा हैं लेकिन आज के समय मे प्राकृतिक मल्चिंग का ज्यादा बङे पैमाने पर इस्तेमाल नहीं किया जा रहा हैं क्योंकि इसकी कुछ कमियाँ है जैसे कि प्राकृतिक मल्चिंग जल्दी विघटित हो जाता है जिससे किसानों को बार-बार मल्चिंग करने की आवश्यकता होती हैं दूसरी इसकी कमी हैं प्राकृतिक मल्चिंग मुख्य फसल मे कवक जनित रोग एवं कीटों को आश्रय देने मे सहायक हैं जिससे की फसलों को नुकसान पहुँच सकता हैं।
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मल्चिंग क्या हैं (Mulching kya hai in hindi)
जमीन की खुली सतह को किसी बाहरी सामग्री जैसे कि पौधों के अवशेषों या अन्य सामग्रियों की प्राकृतिक या कृत्रिम परत से ढकने की प्रक्रिया को मल्चिंग (mulching) कहते हैं और ढकने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री को मल्च (mulch) कहा जाता है। मल्चिंग आमतौर पर व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण फसलों, फलों के पेड़ों, सब्जियों, फूलों की खेती करते समय की जाती है। मल्चिंग पौधों के चारों ओर जमीन पर की जाती हैं ताकि खरपतवार की वृद्धि को रोका जा सके, मिट्टी मे नमी बरकरार रखी जा सके एवं जड़ों का बेहतर विकाश हो सके।
मल्चिंग का हिंदी में मतलब क्या होता है (Mulching Meaning in hindi)
मल्चिंग का हिंदी (Mulching Meaning in hindi) में मतलब पलवार होता हैं।
मल्चिंग के प्रकार (Types of mulching in hindi)
मल्च सामग्री को दो प्रमुख श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
- जैविक (Organic)
- अकार्बनिक (Inorganic)
जैविक मल्चिंग – जैविक मल्चिंग मे मुख्यतः प्राकृतिक सामग्री जैसें पेङो के पत्ते, घास, भूसा, फसलों के अवशेष, लकङी का छिलका एवं बुरादा आदि को मल्चिंग के रूप मे इस्तेमाल करते हैं। जैविक मल्चिंग समय के साथ विघटित होती रहती हैं। जैविक मल्चिंग के पूर्ण रूप से विघटन होने पर ये मिट्टी को पोषक पदार्थ भी प्रदान करते हैं।
अकार्बनिक मल्चिंग – हर समय जैविक मल्च की अनुपलब्धता के कारण प्लास्टिक (पॉलीथीन) सामग्री का उपयोग मल्च के रूप में किया जाता है। ये मल्चिंग की फिल्में (पेपर) बाजारों मे जरूरत के आधार पर अलग-अलग रंगों और आकारों में उपलब्ध हैं। ये मल्चिंग पैदावार बढ़ाने, नमी बचाए रखने एवं खरपतवार को उगने से रोकने का आसान तरीका हैं।
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अकार्बनिक मल्च के प्रकार हैं:-
1. काली मल्चिंग पेपर – काली मल्चिंग पेपर (mulching paper) का इस्तेमाल नमी संरक्षण, भूमि के तापमान को नियंत्रित करने एवं खरपतवार से फसलों को बचाने के लिए किया जाता हैं। बागवानी मे ज्यादातर काले रंग की मल्चिंग पेपर का इस्तेमाल किया जाता हैं।
2. पारदर्शी मल्चिंग पेपर – इस मल्चिंग पेपर का ज्यादातर इस्तेमाल भूमि की सोलराइजेशन मे किया जाता हैं साथ ही इसका प्रयोग ठंडी के मौसम मे खेती करने के लिए किया जाता हैं।
3. दूधिया या सिल्वर मल्चिंग पेपर – इस मल्चिंग पेपर का इस्तेमाल नमी संरक्षण, खरपतवार नियंत्रण, भूमि का तापमान कम करने के साथ-साथ कीङो को फसल से दूर रखने मे किया जाता हैं।
मल्चिंग का प्रयोग क्यों किया जाता हैं (Why is mulching used)
मल्चिंग का प्रयोग नमी के संरक्षण, पानी की बचत, खरपतवार को उगने से रोकने के लिए, जङ के बेहतर विकाश के लिए, मिट्टी को कठोर होने से बचाने के लिए, तेजी से बीज अंकुरित हो इसके लिए, शुष्क भूमि मे खेती को प्रभावशाली बनाने के लिए, जङ के बेहतर विकाश के लिए साथ ही पौधों के वृद्धि एवं विकाश के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करने के लिए मल्चिंग का इस्तेमाल किया जाता हैं।
प्लास्टिक मल्चिंग पेपर की मोटाई (Plastic Mulching Paper Thickness)
प्लास्टिक मल्चिंग पेपर की मोटाई अलग-अलग फसलों के लिए अलग-अलग होती हैं जैसे कि एक वर्षीय फसल के 25 माईक्रॉन, द्विवर्षीय फसलों के लिए 50 माईक्रॉन एवं बहुवर्षीय फसलों के लिए 100 माईक्रॉन की मोटाई का इस्तेमाल मल्चिंग करने मे किया जाता हैं।
प्लास्टिक मल्चिंग पेपर इस्तेमाल कैसें करें (how to use plastic mulching paper)
प्लास्टिक मल्चिंग पेपर को आसानी से इस्तेमाल मे लाया जा सकता हैं इसका परिवहन करना भी आसान होता हैं। सामान्यतः प्लास्टिक मल्चिंग पेपर को फसल की बुआई या पौध के रोपण के समय पौधों के चारों ओर की जमीन पर बिछाया जाता हैं। फूल वाली फसलों एवं सब्जियों के फसल के लिए प्लास्टिक मल्चिंग पेपर को बीज बोने के लिए क्यारी बनाने के साथ ही मल्चिंग पेपर को बिछा देना चाहिए। मल्चिंग पेपर बिछाने से पहले ड्रिप सिंचाई पाइप लाइन को बिछा लेना चाहिए। फिर प्लास्टिक मल्चिंग पेपर को क्यारियों के उभरे हुए भाग को ढककर इसके सिरों को भी मिट्टी से दबा देना चाहिए। ताकि मल्चिंग पेपर हवा से इधर-उधर न उङ सके। अब प्लास्टिक मल्चिंग पेपर पर गोलाई में पौधे से पौधे की दूरी के हिसाब से छेद किया जाता है और इन्हें छेदों में फ़सल के बीज या नर्सरी से तैयार पौधे की रोपाई की जाती है।
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जैविक मल्चिंग का इस्तेमाल कैसें करें (How to use organic mulching)
जैविक मल्चिंग मे मुख्यतः प्राकृतिक सामग्री जैसें पेङो के पत्ते, घास, भूसा, फसलों के अवशेष, लकङी का छिलका एवं बुरादा आदि को मल्चिंग के रूप मे इस्तेमाल करते हैं। जैविक मल्चिंग समय के साथ विघटित होती रहती हैं। यह पढ़ार्थ भूमि मे विघटित होकर पोषक तत्व प्रदान करने के साथ-साथ मृदा क्षय को भी कम करने का कार्य करता हैं। जैविक पलवार पूरी तरह पर्यावरण के अनुकूल (Eco friendly) होती है।
जैविक मल्चिंग मे पेङो के पत्ते, घास, भूसा, फसलों के अवशेष आदि को क्यारियों के ऊपर बिछा दिया जाता हैं जो मल्चिंग का काम करता है। इसमे 2 से 3 इंच मोटी परत खरपतवार नियंत्रण मे काफी उपयोगी माना जाता हैं। जैविक मल्चिंग भी प्लास्टिक मल्चिंग की तरह ही फायदमंद होता है। बस अंतर है तो सिर्फ प्लास्टिक का जैविक मल्चिंग से मिट्टी की नमी कायम रहती है और पानी का वाष्पोत्सर्जन रुक जाता है। जैविक मल्चिंग की खास बात ये हैं कि किसानों को जैविक मल्चिंग करने के लिए पैसे खर्च नहीं करने पङते हैं जैविक मल्चिंग की सामग्री किसानों के पास फ्री मे उपलब्ध होता हैं।
प्लास्टिक मल्चिंग पेपर की कीमत (Mulching paper price)
प्लास्टिक मल्चिंग पेपर का कीमत इसके मोटाई एवं लंबाई पर निर्भर करता हैं जितना ज्यादा मोटाई एवं लंबाई होगा उतना ही ज्यादा इसका कीमत भी होता हैं। समान्यतः 20 से 30 माईक्रॉन, 300 से 400 मीटर लंबा एवं 4 फिट चौङा प्लास्टिक मल्चिंग पेपर की कीमत लगभग 2000 से 2500 तक की होती हैं।
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