हमारे देश मे ज्यादातर लघु और सीमांत किसान है जिनके पास खेती करने के लिए भूमि काफी कम हैं उपलब्ध भूमि मे किसान खेती कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। कम जमीन होने के कारण किसानों को कई समस्याओ का सामना करना पङता हैं, ऐसे में इन किसानों के सामने सबसे बड़ी चुनौती होती हैं अपनी आय को बढ़ाना। किसान अपनी आय को बढ़ाने के लिए मल्टी लेयर फार्मिंग (Multilayer Farming) को अपना सकते हैं क्योंकि मल्टी लेयर फार्मिंग करके किसान एक ही खेत में एक साथ 4 से 5 फसलों की खेती कर सकते हैं। जिससे किसानों को अच्छी आमदनी होती हैं। आइये जानते है मल्टी लेयर फार्मिंग के बारें मे।
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मल्टी लेयर फार्मिंग क्या हैं (Multilayer Farming kya hai)
यह खेती करने की ऐसी विधि है जिसमे एक ही खेत में एक साथ 4 से 5 फसलों की खेती की जाती हैं। इस तरह की खेती मे फसलों का सही चयन काफी महत्वपूर्ण माना जाता हैं। इस तरह की खेती मे एक फसल वो होती है जो जमीन की नीचे की परत मे होती हैं जैसे कि अदरक, हल्दी आदि जबकि दूसरी फसल वो होती हैं जो जमीन की सतह पर होती हैं जैसे कि पालक, मेथी, धनिया या पत्तेदार हरी सब्जियाँ। एवं तीसरी बेल वाली फसल जैसे कि लौकी, करेला, कुदरू, तोरई और खीरा आदि साथ ही चौथी फसल पपीता आदि की ली जाती हैं।
मल्टी लेयर फार्मिंग से फायदा (Benefit from multi-layer farming)
मल्टी लेयर फार्मिंग से किसानों को काफी फायदा है जहाँ किसान पहले एक फसल ले पाते थे वहीं इस विधि से खेती करने पर किसान एक ही खेत में एक साथ 4 से 5 फसल उगा सकते है। जिससे की किसानों की आय मे बढ़ोतरी होगी। जो लघु और सीमांत किसान है जिनकी जमीन कम है वे किसान भी इस तकनीक से अधिक आमदनी कमा पायेगें। मल्टी लेयर फार्मिंग से किसान पूरे वर्ष पैसे कमा सकते हैं क्योंकि एक फसल के खत्म होते ही दूसरी फसल तैयार हो जाती है जिसकी बिक्री करके किसान पैसे कमा सकते हैं।
मल्टी लेयर फार्मिंग तकनीक से खेती करने पर पानी की बचत होती है क्योंकि इसमे एक जमीन पर सिंचाई करके 4 फसल को उगाते हैं साथ ही निदाई-गुड़ाई एवं खरपतवार नियंत्रण करने मे खर्च कम आता हैं। जिससे की किसानों की लागत मे कमी आती हैं।
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मल्टी लेयर फार्मिंग कैसें करते हैं (Multilayer Farming kaise karen)
मल्टी लेयर फार्मिंग कुछ बातों को ध्यान मे रखकर आसानी से किया जा सकता हैं इसमे फसलों का चयन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है अगर इसमे सही फसलों का चयन नहीं किया गया तो इससे अच्छे मुनाफे नहीं कमाए जा सकते हैं। मल्टी लेयर फार्मिंग मे फसलों की बुवाई सही समय पर करना चाहिए। जिससे की फसल समय पर तैयार हो जाए।
मल्टी लेयर फार्मिंग करने वाले किसान फरवरी माह मे अदरक, हल्दी आदि लगा देते हैं जिसका की जमीन के नीचे मे बुआई की जाती है। और ऊपरी सतह पर किसान पालक, मेथी, धनिया आदि की बुआई कर देते है। जब तक अदरक की पौध जमीन की ऊपरी सतह पर आती है तब तक किसान का ऊपरी सतह वाली फसल तैयार हो जाता हैं। जिसे बेचकर किसान पैसे कमा लेते हैं। ऊपरी सतह पर फसल की बुआई हो जाने से खरपतवार भी नहीं उगते है।
अदरक की फसल के ऊपर मे बांस, तार एवं घास-फूस की मदद से छत की तरह बना देते है जिससे की सन्तुलित वातावरण बना रहा है। बांस के आस-पास मे बेल वाली फसल जैसे कि लौकी, करेला, कुदरू, तोरई और खीरा आदि को लगा देते हैं। छत पर बांस की सहायता से लताओं वाली सब्जियाँ को ऊपर चढ़ा देते है जिससे जमीन पर सीधे धूप नहीं पड़ती है. इसके अलावा ओलावृष्टि के समय नीचे वाली फसल भी सुरक्षित रहती है साथ ही हमारी बेल वाली फसल भी तैयार हो जाती है। जिसे समय पर हार्वेस्टिंग करके अच्छे पैसें कमाए जा सकते हैं। इसके साथ ही पपीते के पौधे लगा देते हैं. इसे ऐसे समय मे लगाया जाता है, जिससे पपीते का तना कुछ दिनों में ऊपर बनाई गई छत से ऊपर निकल जाता है और फिर बेल के ऊपर फल देने लगता है। इस तरह से किसान पपीते से भी अच्छे पैसे कमा पाते हैं।
कम लागत मे ज्यादा मुनाफ़ा (More profit for less cost)
मल्टी लेयर फार्मिंग कम लागत मे ज्यादा मुनाफा देने वाली तकनीक है इससे कम जोत वाले किसान भी अच्छे पैसे कमा सकते हैं। मल्टी लेयर फार्मिंग की शुरुआती दिनों मे कुछ ज्यादा लागत आ सकती है क्योंकि इसकी शुरुआती दिनों मे शेड बनाने मे कुछ खर्च आते है जो की बांस, तार एवं मजदूरों पर खर्च होते हैं। एक बार शेड बन जाने पर ये कई वर्षों तक चलता हैं। इसकी लागत कम होने की वजह ये भी है कि इसमे कीट एवं रोग का प्रकोप भी कम होता है साथ ही फसलों मे खरपतवार भी कम उगते है जिससे खरपतवार का निपटारण करने मे आने वाले लागत मे भी कमी आती हैं। मल्टी लेयर फार्मिंग मे किसानों की लागत चार गुना कम लगती है. जबकि मुनाफा आठ गुना तक हो सकता हैं।
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