Saturday, April 27, 2024

Mungfali Ki Kheti : मूंगफली की खेती कैसे करें, यहाँ से जानें। Groundnut Farming in hindi

हमारे देश की महत्वपूर्ण तिलहनी फसल हैं मूंगफली। मूंगफली (Mungfali) को इंग्लिश मे पीनट (Peanut) या ग्राउन्डनट (Groundnut) के नाम से भी जानते हैं। मूंगफली अर्थ नट (Earth Nut) और मंकी नट (Monkey Nut) के नाम से भी प्रचलित हैं। मूंगफली से अनेक प्रकार के स्वादिष्ट, चटपटा व्यंजन एवं मिठाइयाँ बनायी जाती हैं। इन व्यंजनों एवं मिठाइयों को लोग खूब पसंद करते हैं। मूंगफली से ही पीनट बटर बनाया जाता हैं जिसका इस्तेमाल ब्रेड के साथ खाने मे खूब किया जाता हैं। मूंगफली मे 45 प्रतिशत तेल की मात्रा पाई जाती हैं एवं इसमे प्रोटीन की मात्रा 26 प्रतिशत पाई जाती हैं। पोषण के दृष्टि से भी मूंगफली का सेवन करना सेहत के लिए अच्छा माना जाता हैं क्योंकि मूंगफली मे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, रेशा, खनिज एवं नमी आदि की अच्छी मात्रा पायी जाती हैं।

हमारे देश मे मूंगफली की खेती (Mungfali Ki Kheti) ज्यादातर गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उड़ीसा और उत्तर प्रदेश इन प्रमुख राज्यों में किया जाता है। हमारे देश मे गुजरात मूंगफली का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। उसके बाद राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल आते हैं। मूंगफली की खेती (mungfali ki kheti kaise hoti hai) खरीफ और रबी दोनों मौसमों मे की जाती हैं। 

Mungfali Ki Kheti
Mungfali Ki Kheti

मूंगफली का वानस्पतिक नाम अरचिस हाइपोगिया (Arachis hypogaea) है। इसका परिवार लेग्युमिनेसी (Laguminoceae) हैं। इसका उत्पत्ति स्थान ब्राजील हैं। भारत मे मूंगफली की दो प्रजातियाँ उगाई जाती हैं एक तो गुच्छेदार मूंगफली की प्रजाति हैं और दूसरी फैलने वाली मूंगफली की प्रजातियाँ उगाई जाती हैं।

Page Contents

मूंगफली की किस्म (Mungfali ki kism)

जी.जी 2 (G.G 2) टी.जी 37ए (T.G 37 A)
एच.एन.जी 10 (H.N.G 10) एच.एन.जी 69 (H.N.G 69)
प्रकाश (Prakash) आर.एस.वी 87 (R.S.V 87)
जी.जी 7 (G.G 7) आर.जी 141 (R.G 141)
जे.एल 24 (J.L 24) एच.एन.जी 10 (H.N.G 10)
एम 13 (M 13) ए.के 12-14 (A.K 12-14)
गिरनार 2 (Girnar 2) स्पेनिश (Spanish)
टी.बी.जी 39 (T.B.G 39) के 6 (K 6) (कादिरी)
आर.जी 382 (R.G 382) बिरसा मूंगफली 2 (Birsa Mungfali 2)
आर.जी 425 (R.G 425) बिरसा मूंगफली 3 (Birsa Mungfali 3)
बिरसा बोल्ड 1 (Birsa Bold 1) मल्लिका (Mallika)
धरनी (Dharni) आई.सी.जी.भी 350 (I.C.G.V 350)
चंद्रा (chandra) एच.एन.जी 123 (H.N.G 123)

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मूंगफली की खेती कैसे करें (Mungfali Ki Kheti in hindi)

मूंगफली की खेती के लिए मिट्टी एवं जलवायु (Soil and climate for groundnut cultivation)

मूंगफली की खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टियों मे की जा सकती हैं रेतीली दोमट एवं भारी मटियार दोमट भूमि इसकी खेती के लिए अच्छी मानी जाती हैं। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पी.एच. मान 6.0 से 6.5 के बीच होना अच्छा माना जाता हैं। मूंगफली की खेती के लिए ऐसी भूमि का चयन करना चाहिए जिसमे जल जमाव न होता हो। इसकी खेती खरीफ और रबी दोनों मौसमों मे की जाती हैं।

मूंगफली की खेती के लिए भूमि की तैयारी (Land preparation for groundnut cultivation)

किसी भी फसल से अच्छी पैदावर लेने के लिए भूमि की अच्छी तैयारी करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल यानि की मोल्ड बोर्ड हल (Mould Board Plough) या डिस्क हैरो से करनी चाहिए। इसके बाद हैरो से दो बार क्रॉस जुताई करके करके पाटा लगाकर मिट्टी को समतल कर लेना चाहिए।

Mungfali Ki Kheti
Mungfali

मूंगफली की बुआई का समय (Mungfali ki kheti kab hoti hai)

खरीफ मूंगफली की बुआई (Mungfali ki kheti ka samay) जून के दूसरे पखवाङे से लेकर अंतिम जुलाई तक किया जा सकता हैं। 

1 हेक्टेयर मे बुआई के लिए मूंगफली की बीज की मात्रा (Groundnut seed quantity for sowing in 1 hectare)

गुच्छेदार मूंगफली के किस्मों के लिए 80 से 90 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा पर्याप्त होती हैं वहीं फैलने वाली मूंगफली के किस्मों के लिए 70 से 80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा की आवश्यकता होती हैं।

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मूंगफली के बीज की गहराई एवं दूरी (Groundnut seeding depth and spacing)

मूंगफली के बीज की बुआई कतार मे ही करनी चाहिए। गुच्छे वाली या कम फैलने वाली किस्मों के लिए कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर तथा फैलने वाली किस्मों के लिए 45 सेंटीमीटर की दूरी रखे। मूंगफली के पौधों से पौधों की दूरी 15 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। साथ ही इसकी बुआई करते समय इस बात का ध्यान रखे कि इसकी बीजों की बुआई 5 से 6 सेंटीमीटर की गहराई पर हो। 

मूंगफली के बीज का बीजोपचार (Seed treatment of groundnut seeds)

मूंगफली की बुआई से पहले इसके बीजों को उपचारित करना काफी अच्छा माना जाता हैं उपचारित बीज से बीज जनित रोग होने का भय नहीं रहता है तथा अंकुरण भी अच्छा होता है। बीजों को उपचारित करने के लिए बुआई से पहले कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत घुलन चूर्ण के मिश्रण को 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर लेना चाहिए। वैसे खेत जिसमे पहले कभी मूंगफली की खेती नही की गई हैं वैसे खेत मे मूंगफली की खेती करने पर मूंगफली की बीज की बुआई से पूर्व राइजोबियम कल्चर से उपचारित कर लेना बहुत ही लाभकारी साबित होता हैं।

Mungfali Ki Kheti
Mungfali Ki Kheti
मूंगफली की बुआई की विधि (Groundnut sowing method)

मूंगफली की बुआई हल के पीछे, हाथ से या सीडड्रिल द्वारा की जाती हैं। सीड ड्रिल मशीन से बुआई करने पर एक निश्चित गहराई पर बीज बोने से बीज का अच्छा जमाव होता है तथा इसके साथ ही समय की बचत भी होती है। कतारों में फसल बोने की वजह से सिंचाई, निराई-गुराई, कटाई आदि का कार्य किसान आसानी से कर पाते है। एक निश्चित अंतराल पर फसल की बुआई होने से फसल की पैदावार भी अच्छी होती है। मूंगफली से अच्छा उत्पादन लेने के लिए कतार मे ही बुआई करनी चाहिए। 

मूंगफली की फसल की सिंचाई (Mungfali ki fasal sichai kab kare)

अगर मूंगफली की खेती खरीफ के मौसम मे की जा रही हैं तो मूंगफली की फसल (mungfali ki fasal) की ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नही होती हैं क्योंकि खरीफ के सीजन मे वर्षा समय-समय पर होते रहता हैं जिससे फसल की सिंचाई हो जाती हैं। यदि मूंगफली के पौधों मे फूल आते समय सूखे की स्थिति हो तो उस समय सिंचाई करना आवश्यक हो जाता हैं। मूंगफली की फलियाँ के विकास के समय एवं गिरी बनने के समय भी भूमि मे पर्याप्त नमी का होना काफी आवश्यक होता हैं। मूंगफली की फसल को आवश्यकता पङने पर ही सिंचाई करें। चूकि आपलोग जानते ही होंगे की मूंगफली की फलियों का विकास जमीन के अंदर ही होता हैं अतः खेत मे बहुत समय तक जल जमाव न हो इसका इंतेजाम पहले से ही किसानों को कर लेनी चाहिए। जल जमाव होने से फलियों के विकास तथा उपज पर भी बुङा प्रभाव पङता हैं।

मूंगफली की फसल मे खरपतवार नियंत्रण (Weed control in groundnut crop)

मूंगफली की खरीफ ऋतु की फसल मे खरपतवार की समस्या ज्यादा होती हैं, इसलिए फसल मे खरपतवार का ज्यादा प्रकोप होने पर इसका नियंत्रण करना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि मूंगफली की फसल में खरपतवार के कारण उपज में कमी हो सकती है। अतः खरपतवारों का नियंत्रण करना बहुत ही आवश्यक हो जाता है। मूंगफली की फसल को खरपतवार से बचाने के  लिए कम से कम 2 निराई-गुङाई की आवश्यकता पङती हैं। पहली निराई-गुङाई मूंगफली के बुआई के लगभग 15 से 20 दिन बाद एवं दूसरी निराई-गुङाई 30 से 35 दिन बाद करनी चाहिए। पेगिंग की अवस्था मे निराई-गुङाई का कार्य नही करना चाहिए।

मूंगफली के फसल के खरपतवार के नियंत्रण के लिए कई खरपतवारनाशी दवाये बजार मे उपलब्ध हैं इन खरपतवारनाशी दवाओ का इस्तेमाल करके भी खरपतवार पर नियंत्रण पाया जा सकता हैं।

मूंगफली की फसल मे लगने वाले रोग एवं कीट (Diseases and pests in groundnut crop)

मूंगफली की फसल मे भी कई तरह के रोग एवं कीट लगते है जिनमे प्रमुख्य कीट गिडार, दीमक एवं हेयरी कैटर पिलर आदि है इन कीटों पर अगर समय रहते नियंत्रण न किया जाए तो इसका बुङा प्रभाव हमारी फसल पर पङती है जो की हमारी उपज को प्रभावित करती है। इन कीटों के अलावा मूंगफली की फसल मे रोग का भी प्रकोप बना रहता है मूंगफली की फसल मे प्रमुख्य रोग पीलिया रोग, बड नेक्रोसिस, मूंगफली का टिक्का रोग एवं कॉलर रॉट आदि जैसे रोग मूंगफली की फसल मे लगते है। इन सभी रोगों से बिना ज्यादा नुकसान के बचा जा सकता है बस जरूरत होती है फसल की अच्छी देखभाल की। अच्छी देखभाल के साथ-साथ अगर किसान को किसी रोग का लक्षण दिखे तो शुरुआती लक्षण दिखते ही इसके रोकथाम का इंतजाम करना चाहिए।

मूंगफली की खुदाई (Mungfali ki khudai kab kare)

मूंगफली की खुदाई उस समय करनी चाहिए जब मूंगफली के छिलके के ऊपर नसें जैसे उभर आए तथा भीतर का भाग कथई रंग का हो जाए उस समय मूंगफली की खुदाई करना अच्छा माना जाता हैं। मूंगफली की खुदाई हो जाने के बाद मूंगफली को धूप मे अच्छे से सूखा लेना चाहिए।

Mungfali Ki Kheti
Mungfali ko gamle me ugana
मूंगफली का भंडारण (Peanut storage)

मूंगफली का भंडारण करते समय किसानों को कुछ बातों को ध्यान रखना चाहिए। जैसे कि गीली मूंगफली का भंडारण नही करना चाहिए। गीली मूंगफली का भंडारण करने से मूंगफली फफूंद के कारण काले रंग की हो जाती हैं जो की खाने एवं बीज दोनों के लिए उपयुक्त नही होता हैं।

मूंगफली की उपज (peanut production)

मूंगफली की उपज मूंगफली की किस्म, खेत की मिट्टी की उर्वरता शक्ति, एवं इसकी कैसी देखभाल की गई है इस पर भी निर्भर करता है वैसे आमतौर पर इसकी उपज लगभग 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है इसकी उपज पूरी तरह से इसकी किस्म पर भी निर्भर करती है।

मूंगफली की खेती से संबंधित पूछे गए प्रश्न (FAQs)
मूंगफली में कौन सा रोग होता है?
मूंगफली मे उगते हुए बीज का सङन रोग, रोजेट रोग एवं टिक्का आदि रोग होता हैं।
मूंगफली का मूल स्थान कौन सा देश है?
मूंगफली का मूल स्थान ब्राजील देश हैं।
मूंगफली का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन सा है?
मूंगफली का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य गुजरात है।
मूंगफली उत्पादन में भारत का विश्व में क्या स्थान है?
विश्व में भारत मूंगफली का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
क्या मूंगफली से ही पीनट बटर बनाया जाता हैं?
जी हाँ
मूंगफली के लिए कौन सी मिट्टी उपयुक्त है?
रेतीली दोमट एवं भारी मटियार दोमट भूमि मूंगफली की खेती के लिए अच्छी मानी जाती हैं।
क्या मूंगफली को गमले मे उगाया जा सकता हैं?
जी हाँ, मूंगफली को बङे गमले मे उगया जा सकता हैं।

तो मुझे आशा है कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा, अगर आपको पसंद आया है तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे। और उन तक भी मूंगफली की खेती के बारे मे जानकारी पहुँचाए।

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