धान की खेती (Paddy farming) करना किसानों के लिए काफी मेहनत भरा होता है, क्योंकि धान की खेती मे किसानों को कई तरह के कार्यों को करना होता हैं. इसकी खेती के लिए पहले किसान को धान की नर्सरी तैयार करनी होती है और नर्सरी तैयार हो जाने के बाद एक-एक पौधे की रोपाई करनी होती है, जिसमें काफी समय और पैसा लगता है। धान की खेती मे धान की बिचङो की रोपाई करना काफी थकाने वाला कार्य हैं, आमतौर पर धान की बिचङो की रोपाई हाथ से ही की जाती है जिससे की धान की रोपाई करते समय घंटों तक झुक कर रोपाई करनी होती हैं। इस प्रक्रिया में समय और लागत काफी ज्यादा लगता है ऐसे में किसानों के लिए कृषि यंत्रों का उपयोग करना काफी अच्छा माना जाता है. वैसे भी मौजूदा समय में मजदूरों की काफी कमी है, क्योंकि खेती-किसानी में फसलों के सीज़न के मुताबिक खेतिहर मजदूरों की ज़रूरत बढ़ती-घटती रहती है, जिससे नियमित काम और आय नहीं होने से कई बार मजदूरों की कमी देखने को मिलता हैं।
हमारे देश भारत मे धान की खेती बङे पैमाने पर की जाती हैं खाद्यान्न फसलों में धान अनाज वाली फसलों में दूसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल है। चीन के बाद भारत में सबसे ज्यादा धान का उत्पादन होता है। चीन, भारत और इंडोनेशिया दुनिया के शीर्ष तीन धान उत्पादक देश हैं। पश्चिम बंगाल भारत में धान का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है इस राज्य में एक वर्ष में धान की दो फसलें उगाई जाती हैं।
अन्य फसलों की तरह आज धान की खेती करना किसानों के लिए काफी खर्चीला होते जा रहा है। ऐसे में वैज्ञानिक सुझावों को अपनाकर सही तरीके से कृषि यंत्रों का उपयोग किया जाए तो खर्च को कम किया जा सकता हैं। आज कुछ ऐसी मशीनें उपलब्ध हैं जिसके इस्तेमाल से धान की खेती करना आसान हो जाता हैं। यें मशीन न सिर्फ किसानों का समय बचाता हैं बल्कि पैसे की भी बचत करती हैं तो आइये जानते हैं इन मशीनों के बारें में।
धान की रोपाई करने का कृषि यंत्र (Dhaan ki ropai ke liye machine)
धान की बिचङो की रोपाई करने का कृषि यंत्र है पैडी ट्रांसप्लांटर (Paddy Transplanter) हैं. इसे राइस ट्रांसप्लांटर (Rice Transplanter) के नाम से भी जाना जाता है। इस कृषि यंत्र से धान की बीचङो की रोपाई की जाती है। इस यंत्र से रोपाई करने के लिए मैट टाइप नर्सरी मे धान की बीचङा तैयार किया जाता है। मैट टाइप नर्सरी मे बीचङा मात्र 15 से 18 दिनों मे तैयार हो जाता है. बीचङे को उगाने के लिए ज्यादा जमीन की भी आवश्यकता नहीं होती है।
इससे धान की रोपाई कतारबद्ध तरीके से होती है धान की रोपाई कतारबद्ध होने से धान की फसल मे अगर खरपतवार हो जाए तो इसे निकालने मे भी काफी आसानी होती है इस यंत्र की मदद से एक दिन मे करीब 5 से 6 एकङ खेत की रोपाई की जा सकती है। इस कृषि यंत्र से धान की रोपाई करने पर कम मजदूरों की आवश्यकता होती है तथा इसके साथ ही इससे रोपाई करने पर समय के साथ-साथ खर्च मे भी कमी आती है।
ड्रम सीडर मशीन से धान की बुवाई (Drum seeder se dhan ki buwai)
यह धान की बुआई करने का कृषि यंत्र है जो कि कदवा किए हुए खेत मे धान की बुआई करने के काम मे आता है। इस कृषि यंत्र से धान की सीधी बुवाई की जा सकती है. यह काफी सस्ती और आसान तकनीक वाली मशीन है। इसमे सीड ड्रम लगा होता है जिसमे की धान की बीजों को डाला जाता है सीड ड्रम मे निश्चित दूरी पर छिद्र बने होते है जिससे धान की बीज निश्चित दूरी पर गिरता है जिससे धान की बुआई होती है। वहीं बात करें जब किसान धान की बुआई के लिए छिटकवा विधि का प्रयोग करते हैं तो खेत मे धान के पौधे एक समान नहीं होते हैं जिससे किसानों को अच्छी उपज नहीं मिल पाती हैं। वहीं अगर किसान ड्रम सीडर मशीन इस्तेमाल कर धान की बुआई करते है तो धान के बीज एकसमान अंकुरित होते हैं जिससे किसानों को धान की अच्छी उपज मिल पाती हैं।
डायरेक्ट सीडेड राइस मशीन से धान की बुआई (Direct seeded rice machine se dhan ki buwai)
इस मशीन से धान की खेती करने पर धान की नर्सरी तैयार करने की आवश्यकता नहीं होती हैं इससे धान की बीजों की खेत मे सीधी बुआई की जाती हैं। इस मशीन को ट्रैक्टर की मदद से चलाया जाता हैं जिससे खेत मे इस मशीन की सहायता से धान की बुआई होती हैं। इससे धान की बुआई करने पर धान की पैदावार रोपाई किए गए धान के बराबर ही होता है। इससे बुआई करने पर श्रमिकों तथा पानी की कम आवश्यकता होती है साथ ही अधिक क्षेत्र मे कम समय मे बुआई की जा सकती हैं।
डायरेक्ट सीडेड राइस मशीन धान की परंपरागत रोपाई से हटकर कार्य करती हैं यह मशीन ट्रैक्टर द्वारा संचालित होकर धान की बुआई करने का कार्य करती हैं। इस मशीन से बुआई करने से पहले खेत को समतल करना होता है अगर खेत समतल न हो तो लेजर लेवलर मशीन चलाकर खेत को समतल किया जा सकता हैं। उसके बाद डीएसआर मशीन के द्वारा बुआई की प्रक्रिया को पूरा किया जाता है। इस माशीन से खाद और बीज को एक साथ बोया जाता है। यह मशीन बुआई करते समय खेत की भूमि मे पतली लाइन चीरता हैं मशीन के साथ लगी दो अलग-अलग पाइप से उर्वरक और बीज अलग-अलग गिरता हैं जिससे धान की बीज की बुआई होता हैं।
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कोनो वीडर से धान की खेती मे खरपतवार नियंत्रण (Weed control in paddy cultivation with Cono weeder)
किसानों को धान की खेती मे खरपतवार की समस्या आती हैं, जिससे धान की उपज पर प्रभाव पङता हैं अगर सही समय पर धान की फसल मे खरपतवार का नियंत्रण न किया गया तो इसका बुरा प्रभाव उत्पादकता पर पङता हैं। इन खरपतवारों से निजात पाने के लिए खरपतवारों को हाथों के द्वारा, खुरपी, पेडीवीडर, कोनो वीडर (Cono weeder) मशीनों को संयुक्त रूप से प्रयोग कर भी खरपतवार पर नियंत्रण पाया जा सकता हैं।
कोनो वीडर धान की फसल मे खरपतवार को नियंत्रण करने की मशीन हैं इस मशीन का कार्य हैं धान की फसल से खरपतवार को निकालना/काटकर मिट्टी मे मिला देना हैं। इस यंत्र को खङे होकर चलाया जाता हैं। इस मशीन के अगले हिस्से मे फ्लोट लगा होता है जो मशीन को खेत की मिट्टी मे धसने से बचाता हैं साथ ही इस मशीन मे टी प्रकार के बङे हैंडेल के नीचे शंकु आकार के दो खांचेदार रोलर एक दूसरे के आगे-पीछे लगे होते हैं। यह यंत्र खरपतवार को नष्ट तो करता ही हैं साथ ही यह यंत्र खेत की ऊपरी सतह को खुरचकर फसल की जङो को हवा देने का भी कार्य भी करता हैं। यह मशीन झुककर निदाई करने से छुटकारा दिलाता हैं। इस मशीन का कीमत 1200-1500 रुपये होती हैं यंत्र की कीमत कम होने से इस यंत्र को छोटे किसान भी आसानी से खरीद सकते हैं।
धान की फसल काटने की मशीन (Dhaan ki fasal katne wali machine)
कंबाइन हार्वेस्टर (Combine harvester)
कंबाइन हार्वेस्टर धान, मक्का, गेहूं, जौ, सरसों, राई और सोयाबीन आदि फसलों की कटाई करता हैं। कंबाइन हार्वेस्टर एक साथ कई कार्यों को करता है यह मशीन एक ही बार मे फसल की कटाई से लेकर थ्रैशिंग (गहाई) तथा दानों की सफाई का कार्य एक ही साथ करता हैं।
इसमे कटीग यूनिट, थ्रैशिंग यूनिट, क्लीनींग यूनिट एवं कलेक्टिंग यूनिट लगे होते है। कटीग यूनिट का कार्य हैं फसलों की कटाई कर थ्रैशिंग यूनिट मे भेजना। इसका दांतदार पट्टी फसल को कटती हैं। थ्रैशिंग यूनिट का कार्य हैं फसलों से दाना एवं भूसा को अलग-अलग करना। साथ ही इसमे लगे छलनी से अनाज साफ हो जाता है इसमें एक स्टोन ट्रैप यूनिट भी लगी होती है, जो कि फसल के साथ आए हुए कंकड़, मिट्टी आदि को अलग कर देता है जिससे किसानों को साफ दाना प्राप्त होता हैं। यह यंत्र गेहूँ एवं धान की फसलों की कटाई, गहाई एवं सफाई के लिए अत्याधुनिक कृषि यंत्र हैं।
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स्वचालित रीपर बाइंडर (Self Propelled Reaper Binder)
यह कृषि यंत्र फसल की कटाई के साथ-साथ कटी हुई फसल को बंडल बनाने का कार्य भी करता हैं यह यंत्र फसल की कटाई के बाद खङी अवस्था मे एक विशेष प्रकार की सुतली से कटी हुई फसल को बांधकर खेत मे कतार मे गिराती जाती हैं। इस बंडल को बाद मे किसान एकत्रित करके थ्रैशिंग (गहाई) कर सकते हैं। मशीन से फसल की बंडल बन जाने से किसानों को एकत्रित करने मे आसानी होती हैं स्वचालित रीपर बाइंडर गेहू, धान एवं जौ जैसी फसलों की कटाई के लिए उपयुक्त हैं।
ट्रैक्टर माउंटेड वर्टिकल कन्वेयर रीपर (Tractor Mounted Vertical Conveyor Reaper)
यह कृषि यंत्र गेहूं एवं धान की कटाई के लिए उपयोग मे लाया जाता हैं इस यंत्र को ट्रैक्टर के आगे लगाया जाता हैं एवं इस यंत्र को चलाने के लिए ट्रैक्टर के पी.टी.ओ शॉफ्ट के माध्यम से पावर पहुंचाया जाता हैं। इस मशीन मे लगे कट्टर बार के माध्यम से फसल की कटाई की जाती हैं। तथा संचरण प्रणाली कटी हुई फसल को एक लाइन में खेत मे बिछाते हुए चलते हैं। बाद मे किसान कटी हुई फसल को आसानी से इकट्ठा कर थ्रैशिंग (गहाई) कर सकते हैं।
स्वचालित वर्टिकल कनवेयर रीपर (Self Propelled Vertical Conveyor Reaper)
यह गेहूं एवं धान जैसी खङी फसलों की कटाई के लिए प्रयोग मे लायी जाने वाली इंजन चालित मशीन हैं। इस मशीन मे आगे की ओर कट्टर बार लगी होती है जो मशीन के चलने से फसल की कटाई करता है। संचरण प्रणाली कटी हुई फसल को एक लाइन में खेत मे बिछाते हुए चलते हैं। इस कृषि यंत्र को चलाने के लिए किसान को हैंडिल से पकडक़र मशीन के पीछे पैदल चलना पङता हैं। मशीन फसलों की कटाई के साथ-साथ कटी हुई फसल को लाइन मे बिछाते जाता है। बाद मे किसान कटी हुई फसल को आसानी से इकट्ठा कर थ्रैशिंग (गहाई) कर सकते हैं।
मल्टीक्रॉप थ्रेसर (Multi Crop Thresher)
मल्टीक्रॉप थ्रेसर (Multi Crop Thresher) किसानों के लिए एक बहुउपयोगी कृषि यंत्र है। यह बहु फसलीय गहाई यंत्र गेहूं, धान, मक्का, ज्वार, सरसों, सोयाबीन, तुअर, चना, मूंग, मसूर, राई, अरहर व मूंगफली आदि जैसी फसलों की गहाई के साथ-साथ इसके दानें को साफ-सुथरे करके बाहर निकालती है। नये एवं आधुनिक तकनीकों से बने होने के करण यह गहाई उपकरण एकही समय मे फसलों से दानें को अलग करने के साथ-साथ अनाज की सफाई तथा दाने से भूसे को आसानी से अलग कर देती है साथ ही आनज मे मिश्रित भूसे तथा मिट्टी को भी अलग करती हैं। जिससे किसानों को इस यंत्र से गहाई करने पर कम समय, कम लागत एवं कम मेहनत मे फसलों की आसानी से गहाई हो जाती हैं।
इन मशीनों का अगर धान की खेती मे इस्तेमाल किया जाए तो न सिर्फ धान की खेती की लागत मे कमी लाई जा सकती हैं बल्कि समय एवं श्रम की भी बचत की जा सकती हैं। साथ ही समय पर मजदूरों की न मिलने की समस्या को भी ये कृषि यंत्र कुछ हद तक कम करती हैं।
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