प्रथम कृषि विज्ञान केन्द्र (Krishi Vigyan Kendra), पुडुचेरी में वर्ष 1974 मे शुरू की गई, हमारे देश मे लगभग 721 कृषि विज्ञान केंद्र हैं। लगभग सभी राज्यों में कृषि विज्ञान केन्द्र स्थापित किए गए हैं, और संख्या लगातार बढ़ रही है। ये केंद्र कृषि से संबंधित जानकारियाँ, कृषि मे आए नवीनतम तकनीक, कृषि मशीनरी और उपकरण, एकीकृत कृषि प्रणाली, मिट्टी परीक्षण, किसान मेला, किसान चौपाल, कृषि प्रदर्शनी, सिंचाई प्रणाली, फसलों से संबंधित जानकारियाँ, फसलों मे लगने वाले रोगों एवं कीटों से संबंधित जानकारियाँ के साथ-साथ समय-समय पर किसानों के लिए प्रशिक्षण (Training) कार्यक्रम भी आयोजित करती हैं। इन प्रशिक्षण कार्यक्रम मे किसानों को नई एवं आधुनिक तकनीक, खेती के साथ और कौन से कार्य करके किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं इसकी जानकारी भी कृषि वैज्ञानिकों आदि के द्वारा दी जाती हैं।
समय-समय पर किसानों को मछली पालन, मुर्गी पालन, जैविक खेती, मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, बकरी पालन एवं डेयरी फ़ार्मिंग आदि की प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा दी जाती है जिसका लाभ उठाकर किसान खेती के साथ-साथ इन कार्यों को करके अतिरिक्त आय कमा सकते हैं। कृषि विज्ञान केन्द्र पर वैज्ञानिक तरीके से खेती की प्रशिक्षण दी जाती है। ये केंद्र किसानों को स्वावलंबी बनाने में भी सहायता करती हैं। कृषि विज्ञान केंद्र भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों के साथ जुड़े होते हैं। कृषि विज्ञान केन्द्र को के.वी.के. (KVK) के नाम से भी जानते हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा समय-समय पर गाँव मे जाकर किसान चौपाल का आयोजन किया जाता है जिसमे किसानों को खेती से जुङी जानकारियाँ दी जाती है और किसानों को खेती करने मे कौन सी समस्या आ रही हैं इन सभी बातों पर कृषि वैज्ञानिको एवं कृषि विशेषज्ञ के द्वारा चर्चा कर इन समस्याओं का हल निकाला जाता हैं।
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कृषि विज्ञान केंद्र क्या हैं (Krishi Vigyan Kendra Kya hain)
कृषि विज्ञान केन्द्र (kvk kya hai) एक ऐसी संस्था है जिसमे कृषि वैज्ञानिक एवं कृषि विभाग के आधिकारी होते हैं जो किसानों की समस्याओं का समाधान करते हैं। हर राज्य के जिलों में किसानों की मदद के लिए एक कृषि विज्ञान केंद्र संचालित होते हैं जहां पर किसानों की खेती की हर एक समस्या के समाधान के लिए कृषि वैज्ञानिक होते हैं। कृषि विज्ञान केन्द्र किसानों के लिये ज्ञान का केन्द्र होता हैं।
अगर किसानों की खेती मे किसी भी प्रकार की समस्या आती हैं जैसे कि फसलों पर कीटों का प्रकोप, किसी नई फसल के बारे मे जानकारी लेना, फसलों मे खाद की प्रयोग मात्रा, जैविक खेती की जानकारी एवं कृषि यंत्रों आदि की जानकारी के लिए किसान कृषि विज्ञान केंद्र संपर्क कर सकते हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र को इस उदाहरण के माध्यम से समझा जा सकता है-
जिस तरह से मानव शरीर मे मानव को किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या आती है तो मानव उस समस्या से निजात पाने के लिए अस्पताल जाते है और डॉक्टरों से सलाह लेते हैं। ठीक उसी प्रकार कृषि विज्ञान केंद्र भी कार्य करता है अगर किसानों को खेती करने मे कोई समस्या आती है तो किसान कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकते हैं वहाँ पर किसानों को खेती की समस्याओं एवं खेती से जुङी जानकारियाँ कृषि वैज्ञानिको एवं कृषि विशेषज्ञ द्वारा प्रदान की जाती हैं।
किसानों को लाभ पहुँचा रहा हैं कृषि विज्ञान केंद्र
कृषि विज्ञान केंद्र से किसान जुङकर खेती से संबंधित जानकारियाँ कृषि वैज्ञानिको एवं कृषि विशेषज्ञ से प्राप्त कर रहे हैं। यहाँ पर किसानों को फसलों से जुङी समस्याओ से लेकर सरकार के द्वारा चलाई जा रही किसानों के लिए महत्वपूर्ण योजनाओं आदि की भी जानकारी दी जाती हैं। साथ ही किसानों को वैज्ञानिक विधि से खेती करने की भी जानकारी दी जाती हैं। किसानों को यहां पर कृषि की अत्याधुनिक तकनीकों से अवगत कराया जाता है। इसी के साथ किसानों को जैविक खेती, प्राकृतिक खेती, जैविक खाद कैसे बनाएं, फसल प्रबंधन और खेती में किस समय पर कौन सा कार्य करना सही रहेगा आदि का प्रशिक्षण देने के लिए कार्यशाला का आयोजन समय-समय पर किया जाता है।
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कई बार किसानों के पास खेती की सही जानकारी न होने से किसान फसलों से अच्छी पैदावार नहीं ले पाते हैं और उन्हे नुकसान का सामना करना पङता हैं। ऐसे मे किसान कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर फसलों की हर छोटी से लेकर बङी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यहाँ पर बुआई से लेकर कटाई तक, फसलों मे लगने वाले रोगों एवं कीटों, रोगों एवं कीटों से निपटने का उपाय, बुआई का सही समय, सिंचाई का समय आदि की सम्पूर्ण जानकारी किसानों को दी जाती हैं।
किसानों को स्वावलंबी बना रहा हैं कृषि विज्ञान केंद्र
कृषि उद्यमिता को बढ़ावा दे रही हैं के.वी.के.
किसानों को अवसर प्रदान करके उनकी आय बढ़ाने के साथ ही ज्यादा से ज्यादा युवाओं को रोजगार प्रदान करने पर भी सरकार का ध्यान है। इसी कङी में कृषि से जुड़े स्टार्ट-अप (startup) को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार प्रयास कर रही है कि किसानों की आय को दोगुना किया जाए इसी को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र कृषि उद्यमिता को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा किसानों को मूल्य संवर्धन करना सिखाया जा रहा है। जिसमें किसानों को आचार, जैम, जैली, मुरब्बा, केचअप, बिस्कुट, चिप्स, पापङ, शहद आदि तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण के बाद किसानों को उत्पाद को मार्केट करना भी सिखाया जाता हैं।
सरकार के द्वारा उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए कौशल विकास, स्टार्ट-अप इंडिया, मुद्रा योजना, रफतार जैसे कई योजनायें चलाई जा रही हैं। सरकार इन योजनाओं के माध्यम से युवाओं को उद्यमिता की ओर प्रोत्साहित कर रही है।
कृषि विज्ञान केंद्र से संबंधित पूछे गए प्रश्न (FAQs)
Q. कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना कब हुई? |
वर्ष 1974 में प्रथम कृषि विज्ञान केन्द्र पुडुचेरी मे शुरू की गई। |
Q. भारत में कितने के.वी.के. हैं ? |
हमारे देश मे लगभग 721 कृषि विज्ञान केंद्र हैं, और इसकी संख्या लगातार बढ़ रही है। |
Q. के.वी.के. (kvk full form) का पूरा नाम क्या है? |
के.वी.के. का पूरा (kvk full form) नाम कृषि विज्ञान केंद्र होता हैं। |
Q. कृषि विज्ञान केंद्र के कार्य क्या हैं? |
कृषि विज्ञान केंद्र का कार्य है किसानों की फसलों की समस्याओं को दूर करना एवं किसानों को कृषि की अत्याधुनिक तकनीकों से अवगत करना। कृषि विज्ञान केन्द्र किसानों के लिये ज्ञान का केन्द्र माना जाता हैं। |
अपने राज्य एवं जिले के कृषि विज्ञान केंद्र के बारे मे जानने के लिए क्लिक करें – https://kvk.icar.gov.in/
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